अमेज़न के खात्मे के लिए आया ONDC बैंगलोर में सुपरहिट हो गया

पूरे देश में जब लागू होगा तब अमेज़न का क्या होगा?

ondc

समय बदल रहा है और बदलते समय के समय साथ डिजिटलीकरण भी लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है। एक दौर ऐसा भी हुआ करता था जब व्यक्ति वस्तु के क्रय-विक्रय के किए दुकानों, बाज़ारों में जाया करता था। परंतु आज हमें किसी भी वस्तु की आवश्यकता होती है, तो हम उसे घर बैठे ऑनलाइन बड़े ही आसानी से मंगा सकते हैं। बाज़ार के बदलते स्वरूप ने ई-कामर्स जैसे नयी धारणा को जन्म दिया। ई-कॉमर्स एक ऐसा सेक्टर है, जिसमें भारत में अनेकों संभावनाएं हैं, लेकिन इस सेक्टर में केवल दो-चार कंपनियों ने कब्जा कर रखा है। इस एकाधिकार को खत्म करने का बीड़ा अब भारत सरकार ने उठाया है और इसी क्रम में स्वदेशी सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ONDC लेकर आई है, जो अमेजन फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के दबदबे का अंत करेगा।

देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में भारत में ई-कॉमर्स का कारोबार बड़ी ही तेजी से फला-फूला है। ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए भी आपके दिमाग में कुछ चुनिंदा प्लेटफॉर्म के ही नाम ही आते होंगे, जिनमें अमेजन-फ्लिपकार्ट प्रमुख हैं। आपको आज बड़ी संख्या में लोग इसका उपयोग करते दिख जाएंगे। कुछ इस तरह इन प्लेटफॉर्म ने पूरे के पूरे ई-कॉमर्स नेट्वर्क पर अपने प्रभाव को स्थापित कर लिया।

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बैंगलोर में ONDC की शुरुआत

मुख्य रूप से अमेजन-फ्लिपकार्ट इन दोनों कंपनियों ने बाज़ार पर इस तरह से कब्जा किया कि बहुत सी नयी कंपनियों ने तो इनके सामने दम ही तोड़ दिया, तो वहीं इसके साथ ही छोटे व्यापारी, जिनको डिजिटल तकनीक की समझ नहीं, उनकी दुकान ही बंद हो गई। हालांकि ज़ेप्टो जैसे क्विक कामर्स प्लेअर भी मार्केट में आए और इन्होंने स्थानीय स्तर पर छोटे छोटे दुकानों से समान लेकर ग्राहकों के घरों तक डिलिवरी कराने लगे, परंतु इसमें भी लाभ छोटे कारोबारियों को ज़्यादा ना होकर इन्हीं प्लेटफॉर्म को हुआ।

हालांकि अब भारत सरकार द्वारा छोटे खुदरा विक्रेताओं की सहायता करने और ई-कॉमर्स दिग्गजों के प्रभुत्व को कम करने के लिए कदम उठाए जा रहे है। इसी क्रम में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) की स्थापना की, जिसका बीटा संस्करण 30 सितंबर से बेंगलुरु में लोगों के लिए उपलब्ध भी हो गया। इसकी शुरुआत बेंगलुरु के 16 पिन कोड वाले इलाकों में की गयी है। ONDC के पहले चरण के ट्रायल में 200 से अधिक ग्रासरी स्टोर्स और रेस्टोरेंट को इससे जोड़ा गया है।

ONDC का पहला दिन

पहले ही दिन से बैंगलोर में ONDC हिट साबित होता हुआ दिखा रहा है। ONDC के आंकड़ों के मुताबिक पेटीएम, आईडीएफसी, स्पाइसमनी और माईस्टोर नेटवर्क पर 161 ऑर्डर दिए गए, जो खरीदार ऐप हैं। इनमें से 55% ऑर्डर किराना स्टोर से थे जबकि 45% खाद्य और पेय पदार्थ थे।

पहले दिन लॉजिस्टिक पार्टनर लोडशेयर ने लगभग 100 ऑर्डर दिए और आने वाले दिनों में और बढ़ने की उम्मीद कर रहा है। लोडशेयर नेटवर्क के वीपी अबे जकारिया ने कहा कि पहला दिन बहुत अच्छा लग रहा है। हमने लगभग 100 ऑर्डर किए। पेटीएम, गोफ्रगल और लोडशेयर जैसे ऐप के एक साथ आने से बड़े पैमाने पर तालमेल आया, जो हममें से अधिकांश ने कल्पना की थी। फोनपे जैसे ऐप के संचालन शुरू होने और अपने विशाल ग्राहक आधार में आने के बाद हम निश्चित रूप से ऑर्डर में वृद्धि देखने जा रहे हैं।

ओएनडीसी ई- कॉमर्स इकोसिस्टम को लोकतांत्रिक बनाएगा, क्योंकि इसमें सभी खरीददार और दुकानदार स्वतंत्र रूप से व्यापार कर पाएंगे। इसे “लोकतांत्रिक” तकनीक कहते हुए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पहले ही कहा था कि यह खरीदारों और छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाएगा। इस संबंध में  वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने ट्विटर पर इसकी घोषणा करते हुए कहा कि ओएनडीसी के साथ बेंगलुरु के उपभोक्ताओं को “एक नयी खरीदारी का अनुभव” मिलेगा।

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बैंक भी काफ़ी बढ़चढ़कर इसमें अपनी रुचि दिखा रही हैं। इसी क्रम में ONDC को 20 राष्ट्रीय संगठनों से कुल ₹255 करोड़ देने का वादा किया गया है। भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा समेत ऋणदाताओं ने पहले ही निवेश की गारंटी दी है। 27 सितंबर को बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने यह घोषणा की थी कि उसने निजी प्लेसमेंट के माध्यम से ओएनडीसी में 10 करोड़ का निवेश किया। इस निवेश के परिणामस्वरूप बैंक की नियामक फाइलिंग के अनुसार, BOI के पास ONDC का 5.56% हिस्सा होगा।

मंत्रालय द्वारा अप्रैल माह में पांच शहरों दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयंबटूर में ONDC का पायलट फेस शुरू किया गया था। इन शहरों में ओएनडीसी के माध्यम से लेनदेन की अनुमति थी। वस्तुतः इसका प्रोटोकॉल UPI के समान है। इस साल के अंत तक इस परियोजना से 100 शहरों, 30 मिलियन विक्रेताओं और 10 मिलियन विक्रेताओं तक पहुंचने की उम्मीद है। यह अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के वर्चस्व के अंत की शुरुआत होगी।

ई-कॉमर्स में बड़ा सुधार

ONDC ग्राहकों को विभिन्न श्रेणियों की वस्तुओं और सेवाओं में अपनी पसंद के एकल-खरीदार एप्लिकेशन से खरीदारी करने की अनुमति देता है। वस्तुतः जिस प्रकार से जीएसटी अप्रत्यक्ष कर के रूप में एक बड़ा सुधार था, ठीक उसी प्रकार ONDC भी ई-कामर्स के क्षेत्र के एक बड़े सुधार की तरह देखा जा रहा है। ONDC के माध्यम से बाज़ार का आकार भी बड़ा बनेगा, जिसमें भारत से छोटे बड़े सभी व्यापारी रहेंगे और सरकार द्वारा तय प्रक्रिया पूरा करने के बाद ही कोई भी विक्रेता यहां पर अपना समान बेंच पाएगा।

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इससे ना केवल धोखाधड़ी रुकेगी, अपितु लोगों के बीच अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तु भी मिलेगी। व्यापारियों को भी इससे लाभ होगा, उनका कमीशन भी निर्धारित रहेगा। कमीशन कम होने के कारण उनका लाभ प्रतिशत भी बढ़ेगा, ऐसे में वे अपन कारोबार को पूरी पारदर्शिता के साथ अधिक बड़ा बना सकते हैं। निष्कर्षता यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की ONDC फ्लिपकार्ट , वॉल्मार्ट, अमेज़न के वर्चस्व को खत्म करने का काम करेगा।

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