तब इटली के नौसैनिक हत्या करके निकल गए थे, आज चोर-उचक्के भी धरे जाते हैं

बदलाव बस इतना है कि तब 'सोनिया गांधी की सरकार' थी, आज मोदी की है

gujarat metro

आशय, ये शब्द आपके संसार को बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है। इटली से हमारा नाता इस परिप्रेक्ष्य को सबसे बेहतर समझा सकता है। अरे हम ऊ 10 जनपथ वाले नाते को नहिए मानते, ऊ तो 2014 में ही टूट गया, ऊ तो स्वरा भास्करवा और एनडीटीवी वाले ही माने, ये कथा तो उस नाते की है जो हमारे विचारों में आए परिवर्तन को भी परिलक्षित करता है।

उद्घाटन के कुछ दिनों बाद का है मामला

इस लेख में उन दो घटनाओं के बारे में जानेंगे जिनमें अपराधी एक ही देश से हैं पर जिनके व्यवहार में आया व्यापक परिवर्तन इस बात का परिचायक है कि नया भारत कितने आगे आ चुका है।

हाल ही में गुजरात में अहमदाबाद मेट्रो का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन कराया। परंतु उद्घाटन के कुछ ही दिनों बाद ये घटना हुई हैं।

https://twitter.com/amritpurohit/status/1576770529171623936

असल में गुजरात मेट्रो के दो कोच को मलिन किया गया और जमकर उत्पात मचाया गया। प्रारंभ में भांति-भांति की अफवाहें उड़ने लगीं। परंतु जल्द ही ये सामने आया कि कार्य कुछ इतालवी पर्यटकों का है, जिसके लिए उन्हें हिरासत में भी लिया गया। सूत्रों की माने तो इस विषय पर इतालवी एजेंसियों ने भी मौन व्रत साधा है क्योंकि वे भी ऐसे लोगों का समर्थन कर अपनी भद्द नहीं पिटवाना चाहते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो क्राइम ब्रांच और गुजरात एटीएस की पूछताछ में सामने आया है कि ये युवक ‘Passionate Graffiti’ बनाते हैं, आड़े तीरछे डीजाइन बनाकर मेट्रो को गंदा कर देते हैं। इन्होंने इससे पहले कोच्चि में एक पूरी मेट्रो पर ग्रफीटी बनाई थी। इसके बाद दिल्ली, जयपुर और मुंबई में ऐसा किया।

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ऐसी घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं

मेट्रो को भद्दा बनाने की यह पांचवीं घटना है। इनके खिलाफ चार एफआईआर पहले से दर्ज हैं। विजिटर वीजा पर भारत आए इटली के चारों युवक पहले दुबई गए और इसके बाद मुंबई होकर अहमदाबाद पहुंचे थे। एटीएस और क्राइम ब्रांच ने मेट्रो से शिकायत मिलने पर इन्हें गिरफ्तार किया गया।

इतना ही नहीं, इन युवकों ने एटीएस और क्राइम ब्रांच को बताया है कि उन्होंने कोच्चि मेट्रो पर Burn और Splash लिखा था। इन युवकों का कहना है कि वे 2019 में आई अमेरिकन ब्लैक कॉमेडी थ्रिलर फिल्म ‘BURN’ के इंस्पायर्ड हैं। एटीएस ने TAS को डिकोड किया है। इसका मतलब Tagliatelle with Sauce से है जो कि एक पाश्ता डिश होती है और इसका दूसरा अर्थ Terrorist anti Squad से भी है। युवकों का कहना है वे ऐसा थ्रिल के लिए करते हैं। पुलिस की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में इन युवकों पर मेट्रो संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और गलत तरीके से प्रवेश के साथ 50 हजार रुपये के नुकसान की बात कही गई है।

अब यही काम हम किसी देश में करते, तो? परंतु इससे हमें क्या? ऐसा क्या हमने इन लोगों को हिरासत में लेकर प्राप्त किया, जो यहां पर हमें इतना उत्सव मनाना चाहिए? समय के चक्र को घुमाइए, एक और घटना को स्मरण कीजिए।

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केरल के दो मछुआरों का मामला

10 वर्ष पूर्व, 15 फ़रवरी 2012 को केरल के दो मछुआरे जेलेस्टाइन और अजीश पिंकू केरल के नींदाकारा हार्बर से मछली पकड़ने निकले थे। वो सेंट एंटनी नाव से लक्षद्वीप की ओर गहरे समंदर में मछली पकड़ने गए। लौटते समय उनका सामना सिंगापुर से मिस्र जा रहे ऑयल टैंकर एनरिका लेक्सी से हुआ। यह इटली का जहाज़ था, जिसमें 19 भारतीयों समेत 34 क्रू सदस्य सवार थे। जहाज़ पर तैनात इटली के दो मरीन अफसर, सल्वाटोर गिरोन और मसीमिलियानो लटोन, जिन्होंने जेलेस्टाइन और अजीश की गोली मारकर हत्या कर दी।

अपने बचाव में उन्होंने कहा था कि उन्हें नाव में सवार लोगों के समुद्री लुटेरे होने का शक हुआ था और वो प्रोटोकॉल फ़ॉलो कर रहे थे। कुछ ही देर में इंडियन कोस्ट गार्ड को इस बारे में पता चल गया और आगे की कार्रवाई की जाने लगी। 17 फ़रवरी को भारतीय नौसेना ने इतालवी क्रू पर पाइरेसी-रोधी उपायों की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया और टैंकर को कोच्चि ले आया गया।

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बहुत खींचतान हुई

परंतु फिर क्या हुआ, उससे पता चलता है कि तब के भारत और अब के भारत में आकाश पाताल का अंतर आ चुका है। हालांकि, इसमें भी बहुत खींचतान हुई थी। पुलिसकर्मियों को जहाज़ पर जाकर अधिकारियों को काफ़ी कुछ समझाना पड़ा था।

उधर इटली भी अपने मरीन्स को बचाने में ज़ोर-शोर से जुट गया था। 22 फ़रवरी को इटली सरकार ने केरल हाईकोर्ट से मरीन्स के ख़िलाफ़ एफ़आईआर रद्द करने को कहा। इतना ही नहीं, इतालवी सरकार ने कुछ अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का हवाला देते हुए कहा कि भारत को इस मामले में क़ानूनी कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है।

2 मई को एनरिका लेक्सी जहाज़ को जाने की इजाज़त दे दी गई थी। फिर 18 मई को नींदाकारा कोस्टल पुलिस ने लटोर को प्राथमिक और गिरोन को दूसरा अभियुक्त मानते हुए केस दर्ज किया। इस प्रकरण से नाराज़ इटली ने 20 मई को अपने राजदूत को भारत से वापस बुला लिया और तत्कालीन यूपीए सरकार भीगी बिल्ली की भांति इटली की जी हुज़ूरी करने में जुट गई, क्योंकि 10 जनपथ की राष्ट्रभक्ति सर्वोपरि, राष्ट्रहित जाए हित लेने।

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इंग्लैंड से जुड़ी घटना

ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं, अभी कुछ ही समय पूर्व जब इंग्लैंड में संपन्न वनडे सीरीज के अंतिम मैच में दीप्ति शर्मा ने ‘Mankading’ कर चार्ली दिन का विकेट चटकाया, तो क्रिकेट के नियम सेट करने वाले इंग्लैंड ने आसमान सर पर उठा लिया, मानो भारत ने कोई महापाप कर दिया हो।

मजे की बात, ये वही इंग्लैंड है, जिसने इस तकनीक का आविष्कार किया और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भरपूर उपयोग भी किया। ये वही इंग्लैंड है, जिसने मार्च में क्रिकेट की सर्वोच्च संस्थाओं में से एक MCC यानी मेरिलबोन क्रिकेट क्लब के सुझावों के आधार पर ICC ने जिन अधिनियमों में बदलाव किए हैं, वो क्रिकेट का रंग रूप बदलने के लिए पर्याप्त है, जिसमें पहले मांकडिंग को हेय की दृष्टि से देखा जाता था और इसे करने वाले क्रिकेटर को खेल भावना का अपमान करने का दोषी माना जाता था। वाह! मतलब यह करें तो ठीक, हम करें तो पाप! साबास!

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दुर्भावना के विरुद्ध लड़ाई

परंतु जिस प्रकार से रविचंद्रन अश्विन ने इस दुर्भावना के विरुद्ध अपनी लड़ाई लड़ी, कहीं न कहीं आज उसका सकारात्मक परिणाम निकलकर सामने आया है। अब मांकडिंग से याद आया, जब अंग्रेजों की खेल भावना आहत हो रही थी तो कप्तान हरमानप्रीत कौर को भी घेरा जाने लगा। परंतु उन्होंने तो मानो ठान लिया कि अब और नहीं। उन्होंने कहा, “आप बाकी 9 विकेटों के बारे में भी तनिक पूछते। उन्हें चटकाना कम कठिन नहीं था। ये तो खेल का भाग है, हमने कुछ नया नहीं किया। ये आपके ज्ञान को ही दर्शाता है, बताता है कि बल्लेबाज क्या कर रहे थे। मैं तो अपने खिलाड़ियों का साथ दूंगी, उन्होंने अगर कोई नियम तोड़ा हो तो बताइए।”

तो इस घटना का उक्त इतालवी घटनाओं से क्या नाता? नाता है। ये यूरोपीय देश कल तक हमारे सर पर सवार रहते थे और आज इनकी सशक्त भारत के आगे एक नहीं चलती है। एक समय था जब गली का कल्लू भी हमें कूट के निकल जाता था और हम सेकुलरिज्म का झुनझुना लेकर पीटते थे, और कुछ नहीं कर पाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है।

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आज उसी का परिणाम है कि आज हमारे के एक छोटी सी संपत्ति पर कोई कुदृष्टि भी डालेगा,  तो उसे हम छोड़ेंगे नहीं। एक समय था कि कोई हमारे नागरिकों को गोली मारके निकल जाता था, परंतु जब हमने चीन के नमूनों को गलवान में नहीं छोड़ा, तो फिर ये यूरोपीय लंगूर कौन है?

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