जय हिन्द का नारा किसने दिया था एवं इसके पीछे की रोचक कहानी

सुभाष चंद्र बोस जय हिन्द का नारा किसने दिया था

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जय हिन्द का नारा किसने दिया था?

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे की जय हिन्द का नारा किसने दिया था एवं इसके पीछे की रोचक कहानी से भी अवगत करवाएंगे साथ ही हम इस नारें का भारत पर क्या प्रभाव हुआ इस पर भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें।

जय हिन्द का नारा किसने दिया था? – जय हिन्द का नारा भारतीय क्रन्तिकारी चेम्पाकरमन पिल्लई ने दिया था. लेकिन इस नारे का सम्बन्ध नेताजी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस से ज्यादा जुड़ा हैं. क्योंकि जय हिन्द नारा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की आजादी हिन्द सेना का उद्घोष था. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के आजाद हिन्द सेना के सदस्य और नेताजी के अनुयायी रामचंद्र मोरेश्वर ने तथ्यों पर आधारित एक नाटक लिखा था. जिसका नाम जय हिन्द था. इसके साथ ही जय हिन्द नामक एक पुस्तक भी प्रकाशित की थी.

जय हिन्द का अर्थ और प्रभाव

हमारे देश में जय हिन्द नारा आपको हर भाषण में सुनने को मिल जाता हैं. विशेषकर नेता लोग अपना भाषण ख़त्म करने के बाद लोगो को प्रफुल्लित करने के लिए ‘जय हिन्द’ नारे उद्घोष करते हैं. जय हिन्द का अर्थ ‘भारत की विजय हो’ होता हैं. जय हिन्द नारा हमारे देश में देश भक्ति और देशप्रेम दिखाने के लिए उपयोग किया जाता हैं|

जय हिन्द – कई विद्वान यह भी मानते है कि जय हिन्द का नारा सुभाष चन्द्र बोस द्वारा दिया गया हालाँकि इस नारे का प्रयोग सर्वप्रथम क्रांतिकारी चेम्पाकरमन पिल्लई द्वारा किया गया था लेकिन सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आज़ाद हिन्द फ़ौज के लिए युद्धघोष के रूप प्रयुक्त इस नारे ने अधिक लोकप्रियता प्राप्त की यह नारा भारत की आवाम में आत्याधिक प्रचलित था जिस का प्रमुख कारण “जय हिन्द” नारे में भारत देश के प्रति एक प्रेम की भावना का एहसास होना भी था |

जय हिन्द का नारा किसने प्रचलित बनाया? : सुभाष चन्द्र बोस
कब दिया: 1941
सर्वप्रथम जय हिन्द का नारा किसने दिया था? : चेम्पाकरमन पिल्लई

वर्ष 1933 में पिल्लई को जब सुभाष चन्द्र बोस से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ उस समय उन्होंने “जय हिन्द” कह कर नेता जी का अभिवादन किया तथा यह शब्द नेता जी को प्रभावित कर गए तथा ये ही शब्द बाद में आज़ाद हिन्द फ़ौज के युद्ध घोष के रूप में जाने गए.

अर्थ: “जय हिन्द” का अर्थ है “भारत की विजय” आइए इस अर्थ को विस्तार से समझने के प्रयास करें जय एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ होता है (जीत, विजय) इसी प्रकार हिन्द शब्द (भारत, हिन्दुस्तान, इंडिया) का एक अन्य नाम है इसी प्रकार “जय हिन्द” का सामूहिक अर्थ “भारत की विजय” होता है
लक्ष्य: इस नारे का लक्ष्य आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिकों में देश के प्रति एक जूनून की भावना को भरना था तथा जल्द ही यह नारा भारतीय जनता में भी लोकप्रिय हो गया

सुभाष चंद्र बोस ने किया प्रचलित

उनके द्वारा दिया गया यह नारा सभी को बहुत पसंद आया और यह तुरन्त भारतीयों में प्रचलित हो गया एवं नेता जी सुभाषचन्द्र बोस द्वारा आज़ाद हिन्द फ़ौज के युद्ध घोष के रूप में प्रचलित किया गया।

सुभाष चंद्र बोस द्वारा इस नारे को प्रचलित किया गया और यही कारण है, कि अक्सर हम इस बात से यह समझ लेते हैं, कि इस नारे की उत्पत्ति सुभाष चंद्र बोस द्वारा ही की गई थी। किंतु दोस्तों ऐसा नहीं है, यह नारा ” जैनुल आबिदीन हसन ” द्वारा दिया गया था।

लेखक ने हसन के बारे में बताते हुए यह लिखा है, कि आगे चलकर वे इंडियन नेशनल आर्मी में मेजर बन गए और बर्मा ( म्यामांर ) से भारत की सीमा पार तक के मार्च में हिस्सा लिया। उस समय पर आई एन ए (INA ) इंफाल तक पहुंच चुकी थी लेकिन सप्लाई और हथियारों में भारी कमी के कारण उसे वहां से पीछे हटना पड़ा।

लूथर ने अपनी किताब में साफ तौर पर लिखा है कि, नेताजी अपनी सेना और आजाद भारत के लिए एक भारतीय अभिभावन संदेश चाहते थे। बहुत सारी सलाहें मिलीं। हसन ने पहले ” हलो (Hello ) ” शब्द दिया। इस पर नेताजी ने उन्हें डाट दिया। फिर उन्होंने जय हिंद का नारा दिया जो नेताजी को पसंद आया और इस तरह जय हिंद आई एन ए (INA ) और क्रांतिकारी भारतीयों के अभिवादन का आधिकारिक रूप बन गया। बाद में इसे देश के आधिकारिक नारे के तौर पर अपनाया गया।

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जय हिन्द का नारा किसने दिया था? पूरी कहानी

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के सामने जिस व्यक्ति ने सर्वप्रथम जय हिन्द का नारा रखा था. उन का नाम चेम्पाकरमन पिल्लई था. चेम्पाकरमन पिल्लई का जन्म 15 सितम्बर, 1891 में तिरुवंतमपूरम में हुआ था. वह बचपन से ही देशप्रेमी थे. और भारत को अंग्रेजी सरकार से मुक्ति दिलाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अपने कॉलेज के समय से ही जय हिन्द नारे का प्रयोग अपने अभिवादन में करना शुरू कर दिया था.

सन 1908 में चेम्पाकरमन पिल्लई जर्मनी अर्थशास्त्र में पी. एच. डी. करने के लिए चले गए थे. वहा पर उन्होंने प्रथम युध्द के समय ब्रिटिश सेना के खिलाफ जर्मनी सेना में जूनियर अफसर का पद संभाला था. 1933 में जब पिल्लई नेताजी से आस्ट्रिया की राजधानी वियना में मिले तब उन्होंने नेताजी का अभिवादन ‘जय हिन्द’ के नारे से किया. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने पहली बार इस नारे को सुना और इनकी शालीनता तथा सरलता से बहुत प्रभावित हुए.

आशा करते है कि जय हिन्द का नारा किसने दिया था? से सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।

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