कमल का फूल : महत्व एवं फूल का उपयोग

Kamal ka phool

कमल का फूल : महत्व एवं फूल का उपयोग

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे की कमल का फूल के बारे में साथ ही इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.

कमल का फूल हमारे देश का राष्ट्रीय फूल है, यह फूल बहुत ही सुंदर होता है। कमल का फूल कीचड़ या दलदल वाले भाग में खिलता है, इस फूल का वैज्ञानिक नाम नेलंबो न्यूशिफेरा है, यह फूल मुख्य रूप से 2 रंगों में पाया जाता है, गुलाबी और सफेद तथा यह फूल सुंदरता, शुद्धता, ज्ञान तथा अनुग्रह का प्रतीक होता है।

यह फूल तालाब, सरोवर और नदी नालों में देखने को मिलता है, इसकी पत्तियां गोल और बड़े-बड़े आकार के होते हैं, कमल फूल के पत्ते चिकने और चमकीले होते हैं। यह आधा पानी के अंदर होता है और आधा पानी की ऊपरी सतह पर दिखाई देता है।यह फूल सूर्योदय के साथ खिलता है और पूरे दिन खिला रहता है तथा सूर्य के अस्त होने पर फूल मुरझा जाता है, यह फूल तीन दिनों तक खिला रहता है 3 दिनों के बाद इसकी पंखुड़ियां गिरने लगती है। यह फूल बहुत ही मनमोहक होता है, इसके बीज भूरे रंग के होते हैं। कमल के फूल पर मां लक्ष्मी विराजमान रहती है जिसके कारण इसे धन का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए लोग लक्ष्मी मां को कमल का फूल भी चढ़ाते हैं, यह फूल हिंदू संस्कृति में बहुत ही पवित्र माना जाता है, इस फूल का पूजा अर्चना में विशेष महत्व है कमल हमारे राष्ट्र और गौरव का प्रतीक है।

कमल फूल का महत्व –

कमल फूल का सभी स्तर पर बहुत ही महत्व होता है, यह कीचड़ में उगता है फिर भी हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है और पूजा पाठ में इसका उपयोग किया जाता है, तथा इस फूल के बीज को पीसकर शहद के साथ मिलाकर औषधि के रूप में खाया जाता है, यह शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने में उपयोगी होता है। कमल फूल के अंदर आयरन और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है इससेशरीर के कई बीमारियों का इलाज किया जाता है। कमल फूल के जड़ों में राइजोबियम पाया जाता है  जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।कमल फूलके पत्तियों से जुड़े डंठल में रेशे मौजूद होते हैं इनका उपयोग दीपक जलाने के बाती बनाने में किया जाता है।

कमल के पौधे और फूल का उपयोग –

कमल फूल के पत्तियों को पीसकर रस निकाला जाता है तथा यह रस डायरिया जैसे रोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है, कमल का फूल सबसे अधिक ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है, इसके पत्ते डंठल से जुड़े रहते हैं जिनमें रेशा होता है जिसका उपयोग बत्तियां बनाने में किया जाता है, इस रेशे के द्वारा कपड़े भी बनाए जाते हैं, जिसका उपयोग करके हमारे शरीर को बहुत से रोगों से बचाया जा सकता है, कमल फूल के पौधे के जड़ को सब्जी खाने के रूप में भी उपयोग किया जाता है।

कमल फूल का उत्पत्ति स्थान –

कमल एक जलीय पौधा है, जो तालाबों और झीलों जैसे जल निकायों में पैदा होता है। कमल के पौधे के लिए गर्म जलवायु और जल आवश्यक होता है, कमल फूल के डंठल और जड़े पानी में डूबी हुई रहते हैं तथा इसकी पत्तियां और फूल पानी के ऊपरी सतह पर तैरते रहते हैं।

कमल के फूल का औषधि के रूप में प्रयोग

इससे कई प्रकार की दवाइयां भी मनाई जाती है।  इसका प्रयोग आज से ही नहीं प्राचीन काल से हमारे ऋषि मुनि और वैध भी कमल के फूल को औषधि के रूप में प्रयोग लेते आ रहे हैं। कमल का उपयोग घरेलू दवाइयों के रूप में भी किया जाता है। कमल से थ्रोट इनफेक्शन, स्मॉल पॉक्स, और भी त्वचा संबंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती हैं। कमल के फूल में बहुत प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं। वह सभी फाइबर से भरे हुए होते हैं, अक्सर आपने देखा होगा कि कमल के पत्तों का प्रयोग खाने में भी किया जाता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। कमल के पत्तों को सुखाकर चाय बनाकर पीने में दिल की बीमारियों से भी राहत मिलती है।

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कमल के फायदे और उपयोग  

कमल के फूल के औषधीय गुण से रूसी का इलाज  

नीलकमल के फूल के केशर को तिल तथा आँवले के साथ पीस लें। इसमें मुलेठी मिलाकर सिर में लेप करने से रूसी खत्म होती है।

आधासीसी अर्धकपारी में कमल के फायदे  

अनन्तमूल, कूठ, मुलेठी, वच, पिप्पली और नीलकमल लें। इन 6 द्रव्यों को कांजी में पीसकर, थोड़ा एरण्ड तेल मिला लें। इसका लेप करने से आधासीसी (अधकपारी) तथा सूर्य उगने के बाद होने वाले सिर के दर्द में लाभ मिलता है।

कमल के फूल के औषधीय गुण से उल्टी पर रोक  

कमल के भुने हुए छिलके रहित बीजों को 1-2 ग्राम की मात्रा में लें। इसमें मधु मिलाकर सेवन करने से उल्टी बंद  हो जाती है।

आशा करते है कि कमल का फूल के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।

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