केदारनाथ कहां है एवं कैसे पहुंचे? कथा, इतिहास, एवं दर्शन के नियम

केदारनाथ कहां है एवं कैसे पहुंचे

केदारनाथ कहां है एवं कैसे पहुंचे?

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे केदारनाथ कहां है एवं कैसे पहुंचे? मंदिर के इतिहास, कथा के बारे में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.

केदारनाथ कहां है? – केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह भारत के उत्तराखंड केदारनाथ में मंदाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालयी सीमा पर स्थित है. यह ऋषिकेश से 221 किलोमीटर की दूरी पर है. यह भगवान शिव की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं. मौसम अच्छा नहीं होने के कारण मंदिर केवल अप्रैल के अंत से नवंबर के बीच तक खुलता है.

इस अवधि में भगवान शिव के दर्शन करने एवं उनसे आशीर्वाद लेने के लिए दूर – दराज के लोग यहाँ आते हैं. इस मंदिर के पास में बहने वाली मंदाकिनी नदी एवं बर्फ की चादर ओढ़े हुए पहाड़ों के रूप में यहाँ का दृश्य बहुत ही शानदार है. केदारनाथ के इस शांत वातावरण एवं अदभुत दृश्य को देखकर लोग इसकी ओर आकर्षित हो जाते है. मानो किसी ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया हो. सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर से देवताओं को उखीमठ लाया जाता है और वहां 6 महीने तक पूजा की जाती है.

केदारनाथ मंदिर की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई

केदारनाथ मंदिर समुद्रतल से करीब 3584 मीटर (11,758 फूट) की ऊंचाई पर स्थित है, जिसे 6 फूट ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है। केदारनाथ मंदिर की लंबाई 187 फूट, चौड़ाई 80 फूट और ऊंचाई 85 फूट है.

केदारनाथ मंदिर की कथा –

हिमालय के केदार खंड पर भगवान श्री हरी विष्णु के अवतार नर और नारायण तपस्या करते थे। नर नारयण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें वर मांगने को कहा तब भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ने भगवान शिव से ज्योतिर्लिंग के रूप में केदार श्रृंग पर सदा वास करने का आग्रह किया। जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें वर दिया और ज्योतिर्लिंग के रूप केदार श्रृंग में सदा के लिए स्थित हो गए।

केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय और पूजा–

केदारनाथ मंदिर के कपाट रोजाना प्रातः 07:00 बजे खुलते हैं।

सुबह शिवलिंग को स्नान कराकर घी से अभिषेक किया जाता है। फिर दीयों और मंत्र जाप के साथ आरती की जाती है। तीर्थयात्री आरती में शामिल होने और दर्शन करने के लिए सुबह गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं।

दोपहर एक से दो बजे तक एक विशेष पूजा होती है जिसके बाद मंदिर के पट विश्राम के लिए बंद कर दिए जाते हैं। शाम पांच बजे मंदिर के कपाट एक बार फिर दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए जाते हैं।

भगवान शिव के इस मंदिर का क्यों नाम पड़ा केदारनाथ धाम-

केदारनाथ मंदिर से जुड़ी बातें –

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केदारनाथ कहां है, केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे ?

अब हम आपको बताने जा रहे है की केदारनाथ कहां है एवं हवाई मार्ग, रेलवे मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा यहाँ कैसे पहुंचे?

हवाई जहाज से केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे –

केदारनाथ मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा जौली ग्रांट है, जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित है। देहरादून आने के बाद आपको सोनप्रयाग आना पड़ेगा। जौली ग्रांट से सीधा सोनप्रयाग जाने के लिए आपको बस की सुविधा उपलब्ध होती है.

ट्रेन से केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे –

केदारनाथ मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार में है और उत्तराखंड के इन तीनों शहरों से सोनप्रयाग जाने के लिए आपको बस की सुविधा आसानी से मिल जाती है। ज्यादातर लोग केदारनाथ धाम की यात्रा करने के लिए हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर आना पसंद करते हैं, क्योंकि हरिद्वार से सोनप्रयाग जाने के लिए देहरादून और ऋषिकेश की तुलना में अधिक बसें चलती हैं।

बस से केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे –

केदारनाथ मंदिर का नजदीकी बस स्टैंड देहरादून, ऋषिकेश या हरिद्वार में है, जहां आने के लिए देश के मशहूर शहरों से बस और ट्रेन चलती है। इन तीनों शहरों से सोनप्रयाग जाने के लिए सीधा बस चलती है।

आशा करते है कि केदारनाथ कहां है एवं कैसे पहुंचे? से सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।

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