स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम मीरा बाई के द्वारा रचित पद एवं दोहे हिंदी अर्थ सहित आपके सामने लेकर उपस्थित हुए है अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें।
मीरा के पद हिंदी अर्थ सहित
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई|
जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई||
हिंदी अर्थ – मेरे तो बस श्री कृष्ण हैं जिसने पर्वत को ऊँगली पर उठाकर गिरधर नाम पाया. उसके अलावा मैं किसी को अपना नहीं मानती. जिसके सिर पर मौर का पंख का मुकुट हैं वही हैं मेरे पति.
बसो मोरे नैनन में नंद लाल।
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल।
मोहनि मूरति सांवरी सुरति, नैना बने बिसाल।
अधर सुधा–रस मुरली राजति, उर बैजंती माल।
छुद्र घंटिका कटि तट शोभित, नुपूर सबद रसाल।
मीरा प्रभु संतन सुख दाई, भक्त बछल गोपाल ।
हिंदी अर्थ – हे कृष्ण तुम सदैव तुम मेरे नयनों में निवास करो । आप का ये रूप सदैव मेरी आँखों में रहे । हे प्रभु आपके माथे पर मोर का मुकुट एवं कानों में मकरा कृत कुंडल सुशोभित है, माथे पर लाल रंग का तिलक लगा हुआ है । हे प्रभु आपका रूप अत्यंत मोहक है । सांवली सूरत पर बड़े-बड़े नेत्र आपके सौंदर्य को और बढ़ा रहे है । हे कृष्ण आपके होंठों पर अमृत रस बरसाने वाली मुरली सुशोभित है । वक्ष पर बैजंती माला अत्यंत सुंदर लग रही है ।
मेरे प्रभु श्री कृष्ण की कमर में छोटी सी घंटी और पैरों में सरस और मधुर ध्वनि उत्पन्न करने वाले घुंघरू सुशोभित है। मीरा बाई कहती है कि मेरे प्रभु संतों को सुख देने वाले और अपने भक्तों से प्रेम करने वाले है।
मीरा के पद हिंदी अर्थ सहित
मेरो तो गिरधर गोपाल, दूसरों न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।
छाँड़ि दई कुल की कानि, कहा करै कोई।
संतन ढिंग बैठि – बैठि, लोक लाज खोई।
अंसुवन जल सींचि–सींचि, प्रेम बेली बोई ।
अब तो बेली फ़ैल गई, आनन्द फल होई ।
भगत देखि राज़ी भई, जगत देखि रोई ।
दासी मीरा, लाल गिरधर, तारों अब मोही ।
हिंदी अर्थ – मेरे एक मात्र शरण, रक्षक, सुखदाता सब कुछ गिरधर गोपाल है , दूसरा कोई नहीं है । अपने प्रियतम श्री कृष्ण की पहचान बताते हुए कहती है कि जिसके सिर पर मोर पंख का मुकुट है वही मेरा पति है । इस पति को पाने के लिए मैंने कुल की मर्यादा को त्याग दिया है, लोक लज्जा मैंने छोड़ दिया है और संतों की संगति कर ली है । मेरे कोई क्या बिगाड़ेगा । मैं तो प्रेम दीवानी हूँ ।
मीरा बाई कहती है मैंने आँसू जल सींच-सींच कर प्रेम रूपी लता बढ़ाई है । अब यह कृष्ण प्रेम रूपी लता बहुत फ़ैल चुकी है अर्थात कृष्ण से मेरा प्रेम अत्यंत गाढ़ा है । मैं इस प्रेम के आनंद में डूब चुकी हूँ और इस प्रेम के आनंद फल को चख रही हूँ ।
मैं कृष्ण भक्तों को देखकर बहुत प्रसन्न होती हूँ और संसारी लोगों के प्रपंच को देखकर बहुत दुखी हो उठती हूँ । मीरा कहती है – मीरा तो गिरधर गोपाल की दासी है, अतः आप मेरा उद्धार कर दो, संसार के इन सभी बंधनों से मुक्ति दे दो.
मीरा के पद हिंदी अर्थ सहित
भज मन! चरण–कँवल अविनाशी |
जेताई दीसै धरनि गगन विच, तेता सब उठ जासी ||
हिंदी अर्थ – मीराबाई इस पद में कहती हैं कि हे मन तू कभी नष्ट ना होने वाले भगवान् के चरणों में ध्यान धरा कर. तुझे इस धरती और आसमान के बिच जो कुछ दिखाई दे रहा हैं. इसका अंत एक दिन निश्चित हैं.
इस देहि का गरब ना करणा, माटी में मिल जासी |
यों संसार चहर की बाजी, साझ पड्या उठ जासी ||
हिंदी अर्थ – यह जो तुम्हारा शरीर हैं इस पर बेमतलब गर्व कर रहे हो, यह भी एक दिन मिटटी के साथ मिल जाएगा. यह संसार चौसर के खेल की तरह हैं. बाजी शाम को खत्म हो जाती हैं. उसी प्रकार यह संसार नष्ट होने वाला हैं. भगवान् को प्राप्त करने के लिए भगवा वस्त्र धारण करना काफी नही हैं.
कहा भयो हैं भगवा पहरया, घर तज भये सन्यासी |
जोगी होई जुगति नहि जांनि, उलटी जन्म फिर आसी ||
हिंदी अर्थ – सन्यासी बनने से न ही इश्वर मिलता हैं, न जीवन मरण के इस चक्कर से निकल पाते हैं. यदि इश्वर को प्राप्त करने की युक्ति नही अपनाई तो इस संसार में फिर से जन्म लेना पड़ेगा. होना भी यही चाहिए.
मीरा के पद हिंदी अर्थ सहित
अरज करू अबला कर जोरे, स्याम! तुम्हारी दासी |
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर ! काटो जम की फांसी ||
हिंदी अर्थ – इश्वर की प्राप्ति और जन्म म्रत्यु के चक्कर से मुक्ति. मीराबाई आगे कहती हैं, हे श्याम मै तुम्हारी दासी हु, मै हाथ जोड़कर आपसे विनती करती हु. आप मुझे यम की फांसी, मृत्यु से मुक्ति दिलाओ और मेरे जन्म मरण का चक्र समाप्त कर दो.
मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजंती माला।
बिंदरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।
हिंदी अर्थ – कृष्ण के उस रूप का वर्णन मीरा ने किया है जो जग जाहिर है। कृष्ण के पीले वस्त्र, मोर का मुकुट और गले में वैजयंती माला बहुत सुंदर लगती है। कृष्ण जब वृंदावन में इस रूप में गाय चराते हैं तो उनका रूप मोहने वाला होता है। हिंदू संस्कृति में पीला रंग सूर्य के तेज और उत्तम स्वास्थ्य की निशानी मानी जाती है। पीला रंग बसंत के आगमन का भी सूचक है। इसलिए हमारे यहाँ पूजा में गेंदे के फूल का मुख्य स्थान रहता है। कृष्ण का गाय चराना भी हमारी पुरानी अर्थव्यवस्था का प्रतीक है। पुराने जमाने में पशुधन का बहुत महत्व होता था। कृष्ण की गाय चराने की प्रक्रिया उसी पशु धन की रक्षा और उसकी वृद्धि का सूचक है।
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मीरा बाई जीवन परिचय
बिंदु | मीरा बाई जीवन परिचय |
जन्म | 1504 जोधपुर कुरकी नामक गाँव |
पति | भोजराज |
गुरु | संत रविदास |
मृत्यु | 1557 |
रचना | मीरांबाई की पदावली, राग सोरठ के पद, राग गोविंद, गीत गोविंद टीका, |
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