मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है: इतिहास , खोज एवं विशेषताएं

मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है

मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है: इतिहास , खोज एवं विशेषताएं

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है के बारे में साथ ही इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.

यह शहर आज के पाकिस्तान में स्थित हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के सक्खर जिले में मोहन जोदड़ो शहर के अवशेष मिले हैं। यह स्थान पाकिस्तान के लडकाना से 20 किलोमीटर और सक्खर से 80 किलोमीटर दुरी पर स्थित हैं।

आज जिस भाग पर यह शहर हैं। वह भाग आज पाकिस्तान के अन्दर आता हैं। लेकिन महाभारत के समय में भारत के उत्तरी हिस्से को गंधार, मद्र, कैकय, और कंबोज कहा जाता था। अयोध्या से लेकर कंबोज तक का भाग कुरुक्षेत्र कहलाता था। आज कुरुक्षेत्र भारत में हरियाणा राज्य का छोटा भाग हैं। कंबोज इस समय अफगानिस्तान का हिस्सा हैं। उस काल में सिन्धु और सरस्वती के सतह पर लोग रहते थे। नदी के दोनों और कही सारी बस्तिया और शहर बसे थे। यह शहर आज के मध्यप्रदेश के नर्मदा नदी तक बसे थे।

मोहनजोदाड़ो का इतिहास –

मोहनजोदड़ो का मतलब है मुर्दों का टीला, दक्षिण एशिया में बसे इस शहर को सबसे पुराना शहर माना जाता है, इतने साल पहले बने इस शहर को इतने व्यवस्थित ढंग से बनाया गया है, कि जिसकी कल्पना भी हम नहीं कर सकते है। खुदाई के दौरान इस शहर के बारे में लोगों को जानकारी हुइ, इसमें बड़ी बड़ी इमारतें, जल कुंड, मजबूत दिवार वाले घर, सुंदर चित्रकारी, मिट्टी व धातु के बर्तन, मुद्राएँ, मूर्तियाँ, ईट, तराशे हुए पत्थर और भी बहुत सी चीजें मिली। जिससे ये पता चलता है कि यहाँ एक व्यवस्थित शहर बना हुआ था, जैसे हम आज रहते है वैसे ही वे लोग भी घरों में रहते थे, खेती किया करते थे। मिटटी के नीचे दबे इस रहस्य को जानने के बहुत से लोग उत्साहित है, इस पर कई बार खुदाई का काम शुरू हुआ और बंद हुआ है। कहा जाये तो अभी सिर्फ एक तिहाई भाग की ही खुदाई हुई है। ये शहर 200 हैक्टेयर क्षेत्र में बसा हुआ है। इस प्राचीन सभ्यता के लिए पाकिस्तान को एक नेशनल आइकॉन माना जाता है।

मोहन जोदड़ो की स्थापना

इतिहासकारों के अनुसार 2600 ईसा पूर्व अर्थात आज से 4000 साल पूर्व मोहन जोदड़ो की स्थापना हुई थी। मोहन जोदड़ो और हड़प्पा आस पास में ही स्थित हैं। मोहन जोदड़ो को ‘सिंध का बाग’ भी कहा जाता हैं।

मोहनजोदड़ो की खोज –

1922 में राखालदास बेनर्जी जो पुरातत्व सर्वेक्षण के सदस्य थे पाकिस्तान में सिन्धु नदी के पास में खुदाई का काम किया था। उन्हें बुद्ध का स्तूप सबसे पहले दिखाई दिया। जिसके बाद आशंका जताई गई कि यहाँ नीचे कुछ इतिहास दबा हुआ है। इस खोज को आगे बढ़ाते हुए 1924 में काशीनाथ नारायण व 1925 में जॉन मार्शल ने खुदाई का काम करवाया। 1965 तक इसे भारत के अलग अलग लोगों की कमांड में करवाया गया। लेकिन इसके बाद इस खोज को बंद करा दिया गया और कहा गया कि खुदाई की वजह से प्रकति को नुकसान हो रहा है।

मोहनजोदड़ो के इतिहास में  विशेषताएं –

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      रोचक तथ्य –

FAQ

Ques-मोहनजोदड़ो का सबसे बड़ा भवन कौन सा है?

Ans-मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत अन्नागार या अन्नकोठार या धान्यागार है। यह 45।71 मी। लम्बा और 15।23 मी चौड़ा है।

Ques- मोहनजोदड़ो का अंत कैसे हुआ?

Ans-वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके विनाश के कारण प्राकृतिक आपदा और जलवायु में बदलाव के कारण मानते हैं। कई लोग इसके विनाश का कारण भयंकर भूकंप बताते हैं।

Ques-मोहनजोदड़ो क्यों प्रसिद्ध है?

Ans-मोहनजोदड़ो वह प्रसिद्ध स्थान है जहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। मोहनजोदड़ो में की गई खुदाई से प्राप्त वस्तुओं से प्राचीन इतिहास समझने में बहुत मदद मिली है।

Ques-मोहनजोदड़ो की खोज किन-किन खोजकर्ताओं ने की थी?

Ans-1922 में राखालदास बेनर्जी जो पुरातत्व सर्वेक्षण के सदस्य थे, उन्होंने पाकिस्तान में सिंधु नदी के पास में खुदाई का काम किया था। उन्हें बुद्ध का स्तूप सबसे पहले दिखाई दिया। उसके बाद इस खोज को आगे बढ़ाते हुए 1924 में काशीनाथ नारायण व 1925 में जॉन मार्शल (ब्रिटिश) ने खुदाई का काम करवाया।

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