1962 की गलती न दोहराई जाए, इसकी तैयारी में जी जान से जुटी है मोदी सरकार

नया 'वीपन सिस्टम ब्रांच' इसी का परिणाम है!

Weapon System Branch

Source- TFIPOST

आपने महसूस किया होगा कि वर्ष 2014 के बाद देश की स्थिति में क्या और कितना परिवर्तन हुआ है, हालात कितने बदले हैं और मौजूदा समय में हमारी स्थिति क्या है? मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद देश की स्थिति पहले की तुलना में कई गुना बेहतर हो चुकी है. देश की अर्थव्यवस्था से लेकर अन्य भी कई चीजों में हम लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं. पूरी दुनिया आधुनिकता की ओर बढ़ चुकी है और भारत भी इस रेस में कहीं भी पीछे नहीं रहा है. देश भविष्य के युद्धों की तैयारियों में अभी से जुट गया है. इसी बीच भारतीय वायुसेना ने भविष्य की चुनौतियों और बदलते युद्ध क्षेत्र की लड़ाई के लिए तैयारी शुरू कर दी है. इसके तहत वायुसेना दिवस के मौके पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने हथियार प्रणाली शाखा (Weapon System Branch) के गठन की मंजूरी दी है. ध्यान देने योग्य है कि आजादी के बाद पहली बार वायु सेना में इतना बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है.

Weapon System Branch (WSB) के भव्य आगमन की घोषणा करते हुए एयर चीफ मार्शल ने कहा, इस ऐतिहासिक अवसर (वायु सेना दिवस) पर यह घोषणा करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि सरकार ने IAF में एक हथियार प्रणाली शाखा के निर्माण को मंजूरी दी है. आजादी के बाद यह पहली बार है कि एक नई परिचालन शाखा बनाई जा रही है. इस नई शाखा के बनने से उड़ान प्रशिक्षण पर खर्च कम होने से 3400 करोड़ रुपये की बचत होगी.

इसके अलावा वायुसेना प्रमुख चौधरी ने ऐलान किया कि नई ‘वीपन सिस्टम ब्रांच’ (Weapon System Branch) हमारे पास मौजूद हर तरह की नवीनतम हथियार प्रणाली का रखरखाव करेगी. उन्होंने कहा कि हमें एकीकरण और युद्ध क्षमता के साझा इस्तेमाल की जरूरत है. तीनों सेनाओं के एकीकरण की प्रक्रिया चल रही है. परंपरागत हथियारों की जगह आधुनिक, आसान व तेजी से इस्तेमाल की जा सकने वाली प्रौद्योगिकी अपनाने की जरूत है क्योंकि पिछले एक वर्ष में जंग के तरीके बदल गए हैं. हालांकि, वायुसेना में हथियार प्रणाली शाखा के गठन के साथ सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर क्या है वीपन सिस्टम ब्रांच और यह कैसे काम करेगी? वायुसेना में इसकी जरूरत क्या थी? बड़ा सवाल यह है कि इस महत्वपूर्ण समय में भारतीय वायुसेना को एक नई शाखा शुरू करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

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यहां समझिए सबकुछ

ध्यान देने वाली बात है कि वायुसेना में अभी तक तीन ब्रांचों का परिचालन होता है. ये तीन ब्रांच हैं- टेक्निकल ब्रांच, फ्लाइंग ब्रांच और ग्राउंड ड्यूटीज ब्रांच. आजादी के बाद अब पहली बार वायुसेना में चौथी नई परिचालन ब्रांच का गठन किया जा रहा है. Weapon System Branch विमानों में हथियार प्रणाली का संचालन करेगी. इस ब्रांच की चार सब स्ट्रीम बनाई गई हैं, जो हैं- फ्लाइंग, रिमोट, इंटेलिजेंस व सरफेस. वीपन सिस्टम ब्रांच की फ्लाइंग स्ट्रीम ट्विन-सीट या मल्टी-क्रू एयरक्राफ्ट में सिस्टम ऑपरेटर शामिल होंगे. वहीं, रिमोट स्ट्रीम पायलट रहित विमानों व ड्रोन के लिए होगा. इंटेलिजेंस सब-स्ट्रीम में इमेज खुफिया जानकारियों का विश्लेषण, इंफॉर्मेशन वारफेयर स्पेशलिस्ट और रिमोट-पायलट एयरक्राफ्ट और स्पेस-बेस्ड सिस्टम के लिए सिग्नल इंटेलिजेंस ऑपरेटर शामिल होंगे. इसी तरह सरफेस स्ट्रीम सतह से हवा में लक्षित हथियारों और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के लिए कमांडरों और ऑपरेटरों को नियुक्त करेंगी.

ज्ञात हो कि संचालन को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए पहले के तीनों शाखाओं को 3 उप-धाराओं में विभाजित किया गया है. ग्राउंड ड्यूटी शाखा प्रशासन, लेखा, रसद, शिक्षा और मौसम विज्ञान का ख्याल रखती है. दूसरी ओर, तकनीकी शाखा IAF क्षमता के यांत्रिक और इलेक्ट्रॉनिक पहलुओं का ध्यान रखती है. तकनीकी शाखा फ्लाइंग ब्रांच की मुख्य सहायता प्रणाली है, जो लड़ाकू विमानों, परिवहन और हेलीकाप्टरों को संभालती है.

लेकिन फ्लाइंग ब्रांच अपने आप सब कुछ नहीं कर सकती. जब दो देशों के बीच लड़ाई की बात आती है तो पायलट एक साथ बहुत सी चीजों को नहीं संभाल सकता है. यह समस्या दशकों से चली आ रही है लेकिन इसकी तीव्रता तब महसूस हुई जब मोदी सरकार ने सशस्त्र बलों को युद्धस्तर पर आधुनिक बनाना शुरू किया. अधिक से अधिक तकनीकी रूप से परिष्कृत हथियार प्रणालियों को भारतीय वायु सेना के शस्त्रागार में पेश किया गया है. पिछले कुछ वर्षों में, हमने 4.5 जेनरेशन लड़ाकू विमानों, AWACS, AEW&C और हवा में ईंधन भरने वाले विमानों को वायु सेना में शामिल होते देखा है. इसके अलावा IAF ने छह AEW और C Mk-II विमानों के स्वदेशी विकास को भी मंजूरी दी है. इसके अलावा अन्य कई उपकरणों का अधिग्रहण भी कार्ड पर है.

भारत की आत्मा पर बोझ है 1962 की हार

मौजूदा समय में दुनिया के सभी देश अपनी सैन्य क्षमताओं को विकसित कर रहे हैं और अपनी क्षमताओं में लगातार बदलाव कर रहे हैं. भविष्य के युद्धों में वायुसेना की उपयोगिता सर्वोपरि होगी और इसी को लेकर मोदी सरकार लगातार काम कर रही है. अगर हमारी सरकारों ने आजादी के तुरंत बाद ही नीतियों में परिवर्तन किया होता तो भारत 1962 का युद्ध कभी नहीं हारता. उस समय हमारे पास क्या नहीं था, हर चीज उपलब्ध थी, चीन से बेहतर हमारी वायु सेना थी लेकिन कमी थी तो दृढ़ निश्चय और कुशल नेतृत्व की. सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने सेना की कायाकल्प बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और पीएम नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि आज हमारी सेना अलग ही जोश में है.

अगर हम भारत-चीन युद्ध की बात करें तो 1962 की शुरुआत से ही चीन भारतीय सीमाओं पर अपनी गतिविधियों को बढ़ाने में लगा हुआ था लेकिन हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हिंदी-चीनी भाई भाई के नशे में मदमस्त थे. करीब 1 महीने तक चले युद्ध में सरकारी आंकड़ों के अनुसार हमारे 3 हजार से अधिक सैनिक शहीद हुए थे. चीन ने भारत की करीब 43 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर तब कब्जा कर लिया. आज भी इसके एक बड़े हिस्से पर उसका कब्जा है. ये जमीन आकार में स्विटजरलैंड के क्षेत्रफल के बराबर है. वर्ष 1962 की हार आज भी भारत की आत्मा पर एक बोझ है. असल में यह हार भारत की सेना की नहीं बल्कि भारत की तत्कालीन सरकार की हार थी.

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लेकिन 2022 का भारत 1962 वाला भारत नहीं है. आज भारत ने LAC पर मजबूत Infrastructure तैयार कर लिया है और लद्दाख के साथ अरुणाचल प्रदेश में भी जबरदस्त तरीके से तैनाती बढ़ा दी है. इसके साथ ही एक के बाद एक परिवर्तन के साथ मोदी सरकार भारतीय सेना को पूरी तरह से विकसित करने में लगी हुई है. बताते चलें कि भारत को धमकाने के लिए चीन ने पाकिस्तान के साथ हाथ मिलाया है. सेना की क्षमताओं के मामले में, हम पहले से ही दोनों देशों से बेहतर हैं. तीनों के नौसैनिक युद्ध में शामिल होने की बहुत कम संभावना है क्योंकि पीएलए ने हमें कभी भी समुद्र में चुनौती देने की हिम्मत नहीं की, जबकि पाकिस्तानी नौसेना अभी भी 1971 की घटनाओं से उबर रही है. ऐसे में वायु शक्ति ही एकमात्र ऐसी शक्ति है जिसमें भारत को चुनौती दी जा सकती है. पुराने विमानों की विरासत आज भी हमें सता रही है. हम आधुनिकीकरण करते रहे हैं लेकिन इसके बारे में ज्यादा मुखर नहीं हुए हैं. अब एक नई शाखा की स्थापना हमारे विरोधियों की मुश्किलें बढ़ाने का काम करेगी.

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