चाइनीज़ लोन एप्स के दिन ख़त्म, अमित शाह ‘बंदूक लेकर’ इनके पीछे पड़ गए हैं

शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडाधारी चीनी ऋण एप्स का भविष्य अमित शाह ने तय कर दिया है.

Chinese loan Apps

Source- TFI

Chinese loan apps: चीन का नाम सुनकर आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है? आप निश्चित तौर पर उसके बारे में कुछ बेहतर तो सोच नहीं रहे होंगे. हालांकि, सही भी है क्योंकि इस कुंठित, कुपित, दुष्ट राष्ट्र के बारे में कोई बेहतर कैसे सोच सकता है. दुनिया को अपना ‘जागीर’ समझने वाला चीन अपनी कुत्सित महत्वाकांक्षाओं के लिए पूरी दुनिया में बदनाम है. ऐसा कोई छोटा देश नहीं है जिसे उसने अपनी जाल में न फंसाया हो, उसे अंदर से खोखला न किया हो या फिर उसे खोखला करने का प्रयास न किया हो. अफ्रीकी देश और पाकिस्तान तो इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं लेकिन यह ‘दुष्ट’ राष्ट्र भारत को भी अपने कुकृत्यों से तंग करता आया है. चीन सीमा पर अपनी करतूतों के लिए तो सबकी नजर में है लेकिन उसके अलावा देश के अंदर तक इसकी जड़ें फैली हुई है. चीनी मोबाइल एप्स (Chinese loan apps) के काले करतूतों से आप अनभिज्ञ नहीं होंगे, टीएफआई की ओर से भी इसे लेकर पहले से ही सवाल उठाए जाते रहे हैं. चीनी एप्स और उनके द्वारा प्रदान किए जा रहा ऋण संकट इतना गहरा है कि अब केंद्र सरकार को खुद सामने आकर इस मामले पर एक्शन लेने पर विवश होना पड़ा है.

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गृह मंत्रालय का जबरदस्त एक्शन

दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्रालय ने स्पष्ट रुप से उधार देने वाले ऐप्स के खिलाफ कानून प्रवर्तन एजेंसियों से तत्काल सख्त कार्रवाई करने को भी कहा है. साथ ही ऐसे चीनी ऐप्स (Chinese loan apps) के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भी लिखा है. ज्ञात हो कि हाल के दिनों में चीन-नियंत्रित संस्थाओं द्वारा उत्पीड़न, ब्लैकमेल और कठोर वसूली के कारण आत्महत्या की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसके कारण केंद्र सरकार को यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है. सरकार की ओर से कहा गया है कि इस मुद्दे ने राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और नागरिक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव डाला है.

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश को भेजे पत्र में कहा गया है कि देश भर में अवैध डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स से संबंधित बड़ी संख्या में शिकायतें मिली हैं, जो विशेष रूप से कमजोर और निम्न-आय वर्ग के लोगों के लिए प्रसंस्करण या छिपे हुए शुल्क के साथ अत्यधिक ब्याज दरों पर अल्पकालिक ऋण या माइक्रो-क्रेडिट प्रदान करते हैं. ऋणदाता ब्लैकमेल और उत्पीड़न के लिए उधारकर्ताओं के गोपनीय व्यक्तिगत डेटा जैसे संपर्क, स्थान, फोटो और वीडियो का उपयोग करते हैं.

साथ ही मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस डेटा का दुरुपयोग भारत में और विदेशों में स्थित रिकवरी एजेंटों द्वारा मॉर्फ की गई छवियों और अन्य अपमानजनक प्रथाओं का उपयोग करके नागरिकों को परेशान करने और ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता है. गृह मंत्रालय ने एक जांच में पाया कि यह एक संगठित साइबर अपराध है जिसे डिस्पोजेबल ईमेल, वर्चुअल नंबर, फर्जी खातों, शेल कंपनियों, भुगतान एग्रीगेटर्स, एपीआई सेवाओं (खाता सत्यापन, दस्तावेज़ सत्यापन), क्लाउड होस्टिंग, क्रिप्टोकरेंसी आदि का उपयोग करके अंजाम दिया जाता है. जिसके बाद अब मोदी सरकार ने राज्यों को आदेश देते हुए कहा, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध है कि वे इस संबंध में सख्त कानूनी कार्रवाई करें. इसके अलावा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भी अनुरोध किया जाता है कि वे सभी जिलों में इस तरह के ऐप का उपयोग करने के जोखिमों के खिलाफ जन जागरूकता फैलाएं.

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 बेंगलुरु में दिखा था ऐसा मामला

ज्ञात हो कि नवंबर 2021 में ऐसा ही मामला बेंगलुरु में भी सामने आया था, जब पुलिस ने पूरे मॉड्यूल का ही भंडाफोड़ किया था. मामला यह था कि एक चीनी फर्म ने अपने ग्राहकों को ऋण उधार देकर उन्हें साप्ताहिक आधार पर भुगतान करने के लिए विवश किया था. बेंगलुरु पुलिस की जांच में यह सामने आया था कि तीन चीनी नागरिक फर्म चला रहे थे, जिसने कैश मास्टर और क्रेजी रुपये जैसे पैसे उधार देने वाले मोबाइल एप्लिकेशन (Chinese loan apps) विकसित किए थे. फर्म ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ एक समझौता किया था और ऐप के माध्यम से लोगों को पैसे उधार दे रही थी.”

उसके बाद फर्म ने अपने ग्राहकों से अत्यधिक प्रसंस्करण शुल्क लेना शुरू किया और एक बार ऋण वितरित होने के बाद, फर्म के क्रमचारियों ने उधार लेने वाले ग्राहकों को फोन और इंटरनेट कॉल करना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं, लोगों को साप्ताहिक आधार पर ब्याज का भुगतान करने के लिए विवश भी किया गया. पुलिस की जांच के यह सामने आया कि “फर्म में यदि कोई उधार लेने वाला ग्राहक ब्याज का भुगतान करने में विफल रहता है तो उसके ऋण विवरण को उसके दोस्तों के साथ साझा किया जाता है और उसका अपमान किया जाता है.” उसके  बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई चीनी नागरिकों की भी गिरफ्तारी की थी.

कोविड के समय से ही चल रहा है खेल

ध्यान देने योग्य है कि कोविड के समय से ही चीन के नियंत्रण वाले कई ऋण प्रदाता चीनी एप्स लोगों को अपना निशाना बनाते आ रहे हैं. काफी बड़ी संख्या में लोग इसके शिकार भी हुए हैं. ये एप्स पहले लोगों को कई तरह के प्रलोभन देते हैं, उन्हें सस्ते ब्याज पर ऋण देने की बात कही जाती है, उन्हें अपने छलावे में फंसाया जाता है और जब लोग लोन ले लेते हैं फिर इन कंपनियों की नौटंकी शुरु हो जाती है. उन्हें प्रताड़ित किया जाता है, उनसे वसूली की जाती है, उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है, उन्हें धमकी दी जाती है और नतीजा यह होता है कि लोग आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं. ये चीनी एप्स भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों का भी पालन नहीं करते हैं और धड़ल्ले से ऐसी वारदातों को अंजाम देते हैं.

आपको याद होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के बीते मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में कहा था कि सरकार संदिग्ध ऋण एप के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. उन्होंने कहा था कि उन भारतीय लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है जिन्होंने ऐसे एप को स्थापित करने में मदद की. उन्होंने कहा था कि ज्यादातर संदिग्ध एप एक विशेष देश से जुड़े हैं और ऋण लेने वाले कई लोगों को परेशान किया जा रहा है और इन एप के जरिए पैसे उगाहे जा रहे हैं. हालांकि, उन्होंने जिस ‘विशेष देश’ की बात कही थी वह चीन ही है, जो भीतर ही भीतर ऐसी कृत्यों को अंजाम दे रहा था. दुनिया के छोटे देशों को अपने ऋण जाल में फंसाने के लिए चीन मशहूर है लेकिन भारत में लोगों को अपने ‘ऋण जाल’ में फंसाने के चीन के प्रयास का अब बैंड बज रहा है. इस मामले पर मोदी सरकार पूरी तरह से एक्टिव है और लोगों को ऋण जाल में फंसाने वाले चीनी एप्स पर एक्शन भी देखने को मिल रहा है.

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