रहीमन धागा प्रेम का दोहे का अर्थ एवं भावार्थ

रहीमन धागा प्रेम का दोहे का अर्थ एवं भावार्थ

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम रहीमन धागा प्रेम का दोहे की व्याख्या के बारें में जानेंगे एवं साथ ही रहीम दास जी का जीवन परिचय के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें।

रहीमन धागा प्रेम का दोहा 

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परी जाय॥

रहीमन धागा प्रेम का दोहे का अर्थ एवं भावार्थ

रहीमन धागा प्रेम का दोहे का अर्थ रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता। यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है।

रहीमन धागा प्रेम का दोहे का भावार्थ इस प्रसिद्ध दोहे में महान कवि रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम का धागा बड़ा ही नाज़ुक और कोमल होता है। इसे कठोर वचनों और कड़वी भावनाओं के जरिए तोड़ना बिल्कुल उचित नहीं है। अगर प्रेम की यह कोमल डोर एक बार टूट जाए, तो फिर यह कभी जुड़ नहीं पाती है। अगर हज़ार प्रयत्न करके आप प्रेम की यह डोरी जोड़ भी लो, तो उसमें एक गाँठ पड़ ही जाती है। अर्थात एक बार टूट जाने के बाद रिश्ते भले ही दोबारा जुड़ जाएं, लेकिन वो पहले जैसे नहीं रह पाते हैं।

यहाँ रहीम जी हमें रिश्तों की अहमियत समझा रहे हैं। इस दोहे में वो कहते हैं कि रिश्ते हमारी ज़िंदगी का एक बहुत ख़ास हिस्सा होते हैं। अपनी गलतियों और बुरे व्यवहार की वजह से हमें रिश्तों के कोमल बंधन को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। अगर कड़वी बातों के वार से कोमल रिश्ते एक बार टूट कर अलग हो जाएं, तो फिर उन्हें फिर से पहले जैसा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें अपने रिश्तों को हमेशा प्यार से सहेज कर रखना चाहिए।

रहीम दास का जीवन परिचय

नाम रहीम दास
पूरा नाम अब्दुल रहीम खान-ए-खाना
जन्म और स्थान 17 दिसम्बर 1556, लाहोर (पाकिस्तान)
माता का नाम सुल्ताना बेगम (जमाल खान की छोटी बेटी)
पिता का नाम बैरम खान
पत्नी का नाम माहबानो
धर्म इस्लाम
काल भक्ति
मृत्यु 1 अक्टूबर 1627

रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना था। इनका जन्म सन् 1556 ई० में लाहौर (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता बैरम खाँ मुगल सम्राट अकबर के संरक्षक थे किन्हीं कारणोंवश अकबर बैरम खाँ से रुष्ट हो गया था और उसने बैरम खाँ पर विद्रोह का आरोप लगाकर हज करने के लिए मक्का भेज दिया। मार्ग में उसके शत्रु मुबारक खाँ ने उसकी हत्या कर दी।बैरम खाँ की हत्या के पश्चात् अकबर ने रहीम और उनकी माता को अपने पास बुला लिया और रहीम की शिक्षा की समुचित व्यवस्था की। प्रतिभासम्पत्र रहीम ने हिन्दी, संस्कृत, अरबी, फारसी, तुर्की आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। इनकी योग्यता को देखकर अकबर ने इन्हें अपने दरबार के नवरत्नों में स्थान दिया।

ये अपने नाम के अनुरूप अत्यन्त दयालु प्रकृति के थे। मुसलमान होते भी ये श्रीकृष्ण के भक्त थे। अकबर की मृत्यु के पश्चात् जहाँगीर ने इन्हें चित्रकूट में नजरबन्द कर दिया था। केशवदास और गोस्वामी तुलसीदास से इनकी अच्छी मित्रता थी। इनका अन्तिम समय विपत्तियों से घिरा रहा और सन् 1627 ई० में मृत्यु हो गयी।

रहीम दास की साहित्यिक सेवाएं 

पिता बैरम खां अपने युग की एक अच्छे नितिज्ञ एवं विद्वान् थे, आत: बाल्यकाल से ही रहीम को साहित्य के प्रति अनुराग उत्पन्न हो गया था। योग गुरुओं के संपर्क में रहकर इनमें अनेक कव्य गुणों का विकास हुआ। इन्होंने कई ग्रंथों का अनुवाद किया तथा ब्रिज, का विधि एवं खड़ी बोली में कविताएं भी लिखी। इनकी नीति के दोहे तो सर्वसाधारण कि जिन्नहा पर रहते हैं। दैनिक जीवन की अनुभूतियों पर आधारित दुष्टान्तो के माध्यम से इनका कथन सीधे हृदय पर चोट करता है। इनकी रचना में नीति के अतिरिक्त भक्ति एवं सिंगार की भी सुंदर व्यंजनों दिखाई देती है उन्होंने अनेक ग्रंथों का अनुवाद भी किया।

रहीम दास के जीवन परिचय के विशेष बिंदु –

रहीम की मृत्यु कब हुई थी?-
उत्तर – अकबर की मौत हो जाने के बाद अकबर का बेटा जहांगीर राजा बना लेकिन रहीम जहांगीर के राजा बनने के पक्ष में नहीं थे। इस कारण अब्दुल रहीम के दो बेटे को जहांगीर ने मरवा दिया। और फिर 1 अक्टूबर 1627 को अब्दुल रहीम को भी चित्रकूट में मौत हो गई। रहीम की मौत हो जाने के बाद उन सब को दिल्ली लाया गया और वहां पर इनका मकबरा आज भी स्थित है।

Ques- रहीम की शैली क्या है?
उत्तर –
रहीम जनसाधारण में अपने दोहो के लिए प्रसिद्ध हैं। पर इन्होंने कवित, सवैया सोरठा तथा बरवै छंदों में भी सफल काव्य रचना की है। इन्होंने ब्रज भाषा में अपनी काव्य रचना की। इनके ब्रिज का रूप सरल व्यवहारिक स्पष्ट एवं प्रभावपूर्ण है।

Ques- रहीम की रचना कौन-कौन सी हैं?
Ans- सतसई, श्रृंगार सतसई, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, रहीम रत्नावली एवं बरवै नायिका.

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Ques- रहीम किस काल के कवि हैं?
Ans- रहीम भक्ति काल के कवि हैं।

Ques- रहीम का जन्म कब कहां हुआ था?
Ans- कवि रहीम (Rahim) का जन्म 17 दिसंबर 1556 को लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था।

Ques- रहीम का पूरा नाम हिंदी में क्या है?
Ans- रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम खान-ए-खाना है।

Ques- कवि रहीम के पिता का नाम क्या था?
Ans- कवि रहीम के पिता का नाम बैरम खान था।

Ques- रहीम की भाषा शैली कौन सी है?
Ans- रहीम की भाषा शैली अवधि और ब्रज थी।

आशा करते है कि रहीमन धागा प्रेम का दोहे से सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।

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