दादा से वोट चाहिए, शाहरुख को बनाएंगी बंगाल का ब्रांड एम्बेसडर– गजब राजनीति है ममता बनर्जी की

जिनको ग्रेग चैपल न संभाल पाए उन्हें नियंत्रित करने चली हैं ममता

Sourav Ganguly News

Bengal brand ambassador: ममता बनर्जी अपने आप में शोध की जीती जागती संस्था हैं। इनके बारे में जितना लिखा जाए, वो कम है। अभी हाल ही में सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटने के पश्चात ममता बनर्जी बंगाली अस्मिता का राग अलापते हुए कहने लगीं कि सौरव के साथ अन्याय हुआ। उनके अनुसार, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत सौरव गांगुली को पदच्युत किया है और सौरव गांगुली के साथ ये अन्याय अस्वीकार्य है। परंतु जो दिखता है, आवश्यक नहीं कि वही हो।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे ममता बनर्जी के लिए सौरव गांगुली कोई गौरव का विषय नहीं, केवल राजनीतिक वर्चस्व प्राप्त करने की सीढ़ी हैं।

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ममता बनर्जी का प्रलाप

हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सौरव गांगुली को ICC अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ाने की वकालत की है। ममता बनर्जी के अनुसार, “मैं प्रधानमंत्री से अपील करती हूं कि गांगुली को आईसीसी चुनाव लड़ने की इजाजत मिले… यह सुनिश्चित किया जाए।’ ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि गांगुली एक लोकप्रिय शख्सियत हैं, इसलिए उन्हें वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार से अपील करती हूं कि राजनीतिक तौर पर फैसला न लिया जाए, क्रिकेट और खेल को ध्यान में रखें। वह राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं”।

परंतु मोहतरमा उतने पे थोड़े न रुकी। उन्होंने कहा कि “सौरव गांगुली कुशल प्रशासक रहे हैं, लेकिन अमित शाह के बेटे BCCI में बने हुए हैं और सौरव गांगुली को हटा दिया गया। हम जानना चाहते हैं कि आखिर इरादा क्या है?”

इससे पूर्व तृणमूल कांग्रेस के नेता मदन मित्रा ने आरोप लगाया था कि सौरव गांगुली को बीसीसीआई प्रमुख इसलिए बनाया गया था ताकि भाजपा उन्हें ममता बनर्जी के खिलाफ अपने संभावित मुख्यमंत्री के रूप में खड़ा कर सकें। सौरव गांगुली वह नहीं कर पाए जो मिथुन चक्रवर्ती ने बीजेपी के लिए किया। भाजपा में शामिल होने से इनकार करने वाले लोग जेल में बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन भाजपा ने गांगुली के साथ ऐसा नहीं किया क्योंकि वह एक राष्ट्रीय प्रतीक हैं।

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दादा बंगाल के ब्रांड एम्बेस्डर क्यों नहीं?

भई बात तो खरी कही, और ऐसा प्रतीत होता है कि तृणमूल वाले दादा के लिए कितने चिंतित हैं। परंतु एक बात बताओ, दादा तो बंगाल के ही हैं न, तो वे Bengal के brand ambassador क्यों नहीं? क्यों आप दिल्ली के चिरकुट शाहरुख खान को उठाकर बंगाल का प्रतिनिधित्व करने हेतु उठा लाते हो?

इसी बात पर शुवेन्दु अधिकारी ने भी उचित प्रश्न उठाया है। ममता बनर्जी के जुबानी हमले पर भाजपा नेता प्रतिपक्ष शुवेन्दु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी को पहले शाहरुख को Bengal के brand ambassador के पद से हटाकर सौरभ गांगुली को वहां नियुक्त करना चाहिए।

परंतु वे केवल इतने तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने आगे ये भी पूछा कि अपनी महानता का एहसास इतनी देर से क्यों हुआ? उन्हें इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। अधिकारी ने आगे कहा कि ममता को पता होना चाहिए कि वर्तमान पीएम का खेल की राजनीति से कोई वास्ता नहीं।

अब ये तो अलग वाद विवाद का है कि प्रधानमंत्री मोदी का खेल की राजनीति से कितना नाता है, परंतु शुवेन्दु अधिकारी ने एक विषय पर अवश्य प्रकाश डालकर सही कार्य किया है। आखिर दादा क्यों बंगाल के गौरव के प्रतीक चिह्न नहीं है और कोई बाहरी क्यों है, वो भी शाहरुख खान?

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शाहरुख खान क्यों Bengal के brand ambassador है?

ममता बनर्जी ऐसे तो गैर बंगाली के विरुद्ध तलवार तानकर खड़ी हो जाती है, विशेषकर बिहारी प्रवासियों के विरुद्ध। ऐसे में शाहरुख खान तो केवल एक निजी टीम के मालिक हैं, और उनका बंगाल से उतना ही नाता है, जितना ममता का हिन्दी से या एमके स्टालिन का देशभक्ति से। आगे आप समझदार है।

परंतु मामला कुछ और भी है, जो बहुत कम लोगों को पता है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें Bengal के पर्यटन का brand ambassador बनाया था। शाहरुख ने इसे स्वीकारते हुए कुछ समय के लिए बंगाल का प्रचार प्रसार भी किया था। हालांकि इसके अलावा उनका बंगाल के पर्यटन में वृद्धि करना में कोई विशेष योगदान नहीं रहा है, जिसके कारण बॉलीवुड के सितारों के ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने पर सवाल और प्रबल हो जाते हैं।

यही नहीं, 2019 में दरअसल, आईआईपीएम के खिलाफ केस दर्ज करने वाले संस्थान के दो पूर्व विद्यार्थियों के अनुसार शाहरुख खान ने इस संस्थान के लिए न केवल विज्ञापन किए, बल्कि वो आईआईपीएम द्वारा आयोजित कई इवेंट्स और कैम्पस फ़ेस्टिवल्स में भी भाग ले चुके थे। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दीपांजन दत्त के अनुसार, “शाहरुख खान को विज्ञापनों में IIPM को प्रमोट करते हुए देखकर ही उन्होंने इस संस्थान में दाखिला लिया था, चूंकि शाहरुख खान IIPM के ब्रैंड ऐंबसेडर माने जाते थे, इसलिए बतौर IIPM के ब्रांड एंबेसडर शाहरुख खान की भूमिका की जांच हो। जांच का जिम्मा CBI को दिया जाए।”

दीपांजन दत्त ने आगे यह भी कहा, ‘याचिकाकर्ता ने अपने बेटे का दाखिला इस संस्थान में करवाया। उन्होंने शाहरुख खान जैसे भरोसेमंद ब्रैंड को IIPM का विज्ञापन करते देखकर ये फैसला लिया। ये सेलिब्रिटी छात्रों को गुमराह करने वाले इस तरह के विज्ञापन नहीं कर सकते। इस तरह के विज्ञापनों को बाज़ार से हटा लिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने IIPM के बिज़नस की जांच करवाए जाने की भी मांग की है । उन्होंने दावा किया है कि IIPM के विदेशों में भी कैंपस हैं”।

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शिक्षा के नाम पर धांधली

इससे साफ पता चलता है कि बच्चों को उच्च शिक्षा देने के नाम पर अरिंदम चौधुरी का आईआईपीएम किस प्रकार की धांधली करता था। यदि कोई उनका विरोध करता था तो वे भारी भरकम राशि सहित मानहानि का मुकदमा दायर कर देते थे, और ये बात आउटलुक के पत्रकार महेश्वर पेरी से बेहतर कोई नहीं जानता। ‘करियर्स360’ नामक संस्था के साथ मिलकर उन्होंने अरिंदम के विरुद्ध लगभग अकेले लड़ाई लड़ी, और इस दौरान उन्हें कई झूठे मानहानि मामलों में फंसाया गया था। स्वयं महेश्वर पेरी भी शाहरुख खान के आईआईपीएम से जुड़ाव पर अक्सर प्रश्न उठाते रहे हैं, और उन्होंने भी शाहरुख के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

तो इससे ममता बनर्जी का क्या लेना देना? याचिककर्ताओं ने पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य की पुलिस को भी निशाने पर लिया। IIPM के छात्रों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि ‘जब UGC ने ये स्पष्ट किया कि IIPM उनसे अफिलिएटेड नहीं है और दिल्ली हाई कोर्ट ने भी उक्त संस्थान को फर्ज़ी करार दिया, इसके बाद  कुछ छात्रों ने IIPM के नाम 2018 में एक केस भी दर्ज कराया था। परन्तु राज्य की पुलिस ने अभी तक IIPM के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उन्होंने जांच पर क्लोज़र रिपोर्ट जमा कर दी। इसी वजह से याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा”।

इसके अतिरिक्त रोज वैली घोटाले ने एक वक्त पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच था। ये मामला उस वक्त सुर्खियों में आया, जब इसमें पश्चिम बंगाल के बड़े-बड़े नेताओं के नाम आने की बातें उठने लगीं। रिपोर्ट्स की मानें तो इस घोटाले में लोगों को बड़े-बड़े खूबसूरत सपने दिखाकर ठगने का काम किया गया था। इन ठगों के गिरोह के तार राजनीति, रियल एस्टेट और फिल्म जगत तक से जुड़े हुए थे। रोज वैली चिटफंड नाम के इस घोटाले में रोज वैली ग्रुप ने लोगों को 2 अलग-अलग स्कीम का लालच दिया था।

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करोड़ रुपये का घोटाला

आकर्षक लालच देकर कंपनी ने करीब 1 लाख निवेशकों को करोड़ों का चूना लगा दिया था। ये घोटाला शारदा घोटाले से सात गुना बड़ा है जिसमें लगभग 15000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। कंपनी ने आशीर्वाद और हॉलीडे मेंबरशिप जैसे स्कीम के नाम पर लोगों को ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया। इसके बाद लोगों ने भी इनके झांसों में आकर इसमें निवेश कर बैठे। खबरों की मानें तो ग्रुप एमडी शिवमय दत्ता इस घोटाले के मास्टरमाइंड बताए जाते हैं, और इसे संयोग कहें, या परम आश्चर्य, यही कंपनी KKR के प्रमुख स्पॉन्सर में से एक थी।

ऐसे में ममता बनर्जी जब ये दावा करें कि सौरव दादा के साथ अन्याय हुआ है, तो ये न केवल हास्यास्पद है, अपितु सर्वथा असत्य है। बाकी रही बात दादा की, तो जिन्हें चैपल जैसा धूर्त कपटी व्यक्ति तक नियंत्रण में न ले पाया, उसे ममता बनर्जी क्या खाक ले लेंगी।

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