“भगवान श्रीकृष्ण जिहादी थे”, संस्कारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने घोषित कर दिया

कांग्रेस का कोई उपचार है आपकी दृष्टि में!

Shivraj Patil शिवराज पाटिल

Source- TFI

कहते हैं जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है लेकिन इसके साथ ही एक सवाल यह भी है कि जिन लोगों में विवेक ही नहीं होता हो- उनका क्या? अब आप कहेंगे कि कैसी बात कर रहा है यह एंकर- विवेक तो सभी मनुष्यों में होता है, आप कहेंगे कि इसका तो दिमाग ख़राब हो गया, इसकी बुद्धि को लकवा मार गया, कुछ भी कहता है, आप यह कह सकते हैं, लेकिन अगर मैं कहूं कि कांग्रेसी नेताओं का विवेक मर गया, तब- आप क्या कहेंगे? तब तो आप मुझसे सहमत होंगे क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में आपने भी इस बात को महसूस किया होगा कि कितनी बुरी तरह से कांग्रेसी नेताओं ने अपने विवेक को तिलांजलि दी है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार आज हम यह सब बातें क्यों कर रहे हैं तो आपको बता दें इसके पीछे वज़ह एक और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं, जी हां, शिवराज पाटिल- नाम तो सुना ही होगा- हां-हां वही मुंबई हमलों के दौरान जो नेता देश का गृह मंत्री था, वही शिवराज पाटिल. अब इन्होंने इतना ज़हरीला कुछ बोला है कि हमें इन पर यह वीडियो बनाना पड़ रहा है. इस नेता ने भगवान श्रीकृष्ण को जिहादी बताया है.

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यहां समझिए क्या है पूरा मामला?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं शिवराज पाटिल. यूपीए सरकार के दौरान देश के गृह मंत्री भी रहे हैं, अब इन्होंने कुछ ऐसा बोला है जिससे हिंदुस्तान के प्रत्येक सनातनी का सीना गुस्से से उबल उठेगा. दिल्ली में एक किताब की लॉन्चिंग के दौरान पाटिल ने कहा कि “जिहाद की बात तब आती है, जब मन के स्वच्छ विचार होने के बाद भी तमाम कोशिशों को करने के बाद कोई समझता नहीं है. तब कहा जाता है कि आपको अगर शक्ति का उपयोग करना है तो करना चाहिए. वो सिर्फ कुरान शरीफ के अंदर नहीं है, वो महाभारत के अंदर जो गीता का भाग है, उसके अंदर श्रीकृष्ण भी अर्जुन को जिहाद की बात कहते है. ये सिर्फ कुरान और गीता ही नहीं बल्कि जीजस ने भी लिखा है.”

 

यह पाटिल का पूरा बयान है. अब कुरान में क्या लिखा है, हमें उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता; जीसस ने क्या लिखा है उससे भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन इसके साथ ही पाटिल ने जो बोला है कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जिहाद सिखाया था, इससे हमें फर्क पड़ता है और बहुत ज्यादा पड़ता है. गीता, इस दुनिया की सबसे बेहतरीन ज्ञान की पुस्तक है. दुनिया के कितने ही महान वैज्ञानिकों ने इस  बात को स्वीकारा है कि वे गीता पढ़कर प्रेरणा लिया करते हैं और फिर अगर महाभारत की भी बात करें तो वहां भी कथा कुछ यूं है कि भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन को धर्म की महानता और कर्म की प्रधानता समझाते हैं न कि अर्जुन को जिहाद करने के लिए उकसाते हैं लेकिन इतनी सरल-सी बात कांग्रेसी नेता कभी नहीं समझेंगे क्योंकि कांग्रेस पार्टी के नेताओं के सोचने की प्रक्रिया ही वही है यानी कि थॉट प्रोसेस ही वही है.

सोनिया के दुलारे हैं शिवराज पाटिल

वैसे, शिवराज पाटिल से कभी इससे अच्छे की यानी सनातन के हित में बात करने की उम्मीद हमने की भी नहीं थी क्योंकि शिवराज पाटिल वही हैं जो सोनिया गांधी की चाटुकारिता करने में माहिर माने जाते थे और राजनीति में चाटुकारिता कोई नयी बात नहीं है. आपको एक स्तर के पश्चात जी हुज़ूरी करके कार्य करना ही पड़ता है परंतु शिवराज पाटिल का स्तर ही कुछ अलग था. वो सोनिया गांधी की इतनी जी हुज़ूरी करते थे कि उन्हें 2004 में लोकसभा चुनाव हारने के पश्चात भी गृह मंत्रालय जैसा अति महत्वपूर्ण पदभार सौंपा गया. पहली बार ऐसा हुआ जहां न तो देश के प्रधानमंत्री और न ही गृहमंत्री जनता द्वारा चुनकर सांसद बने हों. ऐसे खासमखास थे शिवराज पाटिल. इस खासमखास होने का दुष्परिणाम संपूर्ण राष्ट्र को भुगतना पड़ा. राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रशासन तो उस वक्त मानो गायब हो गए थे.

DW की एक रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्री के रूप में शिवराज पाटिल के कार्यकाल के दौरान भारत के कई शहरों में बम धमाके हुए, जिसके कारण कई बार उनके इस्तीफे की मांग उठी लेकिन वह पद पर बने रहे. भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत डेविड मलफर्ड ने अपने एक संदेश में कहा था कि बैंगलोर, अहमदाबाद, जयपुर, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में आतंकी गतिविधियां सामने आने लगी थी. इसी समय दिल्ली के बम विस्फोटों के पश्चात बाटला हाउस में छिपे आतंकियों का जब दिल्ली पुलिस ने एनकाउंटर किया तो उन्हें प्रशंसित करने के बजाए कुटिल मीडिया और वामपंथियों के समक्ष झोंक दिया गया, जो पुलिस को किसी भी तरह भक्षक सिद्ध करने में जुटी थी और इस दौरान शिवराज पाटिल मूकदर्शक बने हुए थे.

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हिंदूफोबिया से ग्रसित है कांग्रेस पार्टी

इसके बाद आता है मुंबई हमला, जिसके बाद शिवराज पाटिल को सोनिया गांधी भी नहीं बचा पाईं क्योंकि सोनिया गांधी भी जानती थी कि अब अगर कुछ किया तो कांग्रेस पार्टी का बंटाधार होना तय है. हालांकि कांग्रेस पार्टी का बंटाधार तो हो गया, भले ही बाद में हुआ हो और शिवराज पाटिल भी धीरे-धीरे किनारे हो लिए. कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा जाता है कि जब मुंबई पर हमले हो रहे थे, उस वक्त शिवराज पाटिल अपने सूट बदलने में व्यस्त थे. यह सूट बदलने वाला कांग्रेसी आज हमें ज्ञान दे रहा है कि भगवान श्रीकृष्ण जिहादी थे और उन्होंने अर्जुन को जिहाद सिखाया था.

वैसे, इस सख्स के लिए क्या ही बोलें, जब पूरी कांग्रेस पार्टी ही हिंदूफोबिया से ग्रसित है. कोई भी हिंदू कभी भी नहीं भूल सकता कि यह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने अदालत में भगवान श्रीराम का अस्तित्व ही नकार दिया था. यह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने भगवा आतंकवाद जैसी मनगढ़ंत और झूठी थ्योरी देश के सामने रखी और हिंदुओं को बदनाम करने का काम किया. यह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसके प्रधानमंत्री कहते थे कि संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है. यह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसके नेता आतंकियों के नाम के साथ ‘जी’ लगाकर बात करते थे, सम्मान देते थे. ऐसे में अब अगर कोई पुराना भूला-बिसरा कांग्रेसी नेता आकर भगवान श्रीकृष्ण को जिहादी बताने लगे तो इसमें उस नेता का कम, कांग्रेसी संस्कारों का दोष ज्यादा है.

आक्रामक हुई भाजपा

शिवराज पाटिल के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी भी कांग्रेस पर आक्रामक है. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट करते हुए कहा, “आम आदमी पार्टी (AAP) के गोपाल इटालिया और राजेंद्र पाल गौतम के बाद हिंदू घृणा और वोट बैंक की राजनीति में पीछे न रहते हुए कांग्रेस के शिवराज पाटिल का कहना है कि श्री कृष्ण ने अर्जुन को ‘जिहाद’ सिखाया था. कांग्रेस ने हिंदू/भगवा आतंक शब्द गढ़ा, राम मंदिर का विरोध किया, रामजी के अस्तित्व पर सवाल उठाया, हिंदुत्व को आईएसआईएस के बराबर बताया.”

 

पूनावाला ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “हिंदुओं से ये नफरत संयोग नहीं बल्कि वोटबैंक का प्रयोग है. यह गुजरात चुनाव से पहले जानबूझकर वोटबैंक के ध्रुवीकरण का पैंतरा है.” लेकिन हम सभी जानते हैं कि भाजपा की इस आक्रामकता से कुछ होना नहीं है, कांग्रेस वर्षों से यही करती आ रही है और यही कांग्रेस का संस्कार है. राहुल गांधी, चुनावों के लिए अपने पीआर के साथ भले ही कितने ही मंदिर घूम लें, स्वयं को कितना ही बड़ा जनेऊधारी हिंदू बता दें लेकिन सच यही है कि कांग्रेस पार्टी की नसों में हिंदूफोबिया भरा है. कांग्रेस पार्टी सनातनी परंपराओं से, सनातनी रीति-रिवाजों से और सनातनियों से घृणा करती है. ऐसे में हम हिंदुओं को ही ऐसे लोगों से बचकर रहना होगा.

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