‘नक्सलियों से संबंध’ मामले में डीयू के पूर्व प्रोफेसर जीए साईबाबा जेल में ही रहेंगे

24 घंटों में ही उच्च न्यायालय ने पलट दिया निर्णय!

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कभी कभी चमत्कार भी होते हैं और ऐसे कि आपकी आंखें खुली की खुली रह जाए। हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को एक अप्रत्याशित निर्णय में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था।

परंतु इससे प्राप्त क्या हुआ?

कुछ नहीं, क्योंकि माओवादियों से संबंध के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और अन्य को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित कर दिया। जी हां, सर्वोच्च न्यायालय ने मौखिक तौर पर कहा कि जहां तक आतंकी या माओवादी गतिविधियों की बात है तो दिमाग अधिक खतरनाक है। इसके लिए किसी का सीधे तौर पर शामिल होना जरूरी नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई पर लगाई रोक

दरअसल, साईबाबा का पक्ष रख रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बसंत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार उन पर सैद्धांतिक रूप से शामिल होने का आरोप लगाया जा सकता है, लेकिन उनकी संलिप्तता दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। इस पर उच्चतम न्यायलय की पीठ ने कहा कि जहां तक आतंकवादी या माओवादी गतिविधियों का प्रश्न है तो दिमाग ज्यादा खतरनाक होता है और इसमें सीधे तौर पर शामिल होना जरूरी नहीं है।

इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने जीएन साईबाबा की उस याचिका को भी रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने अपील की कि उनकी शारीरिक और मेडिकल स्थिति को देखते हुए उन्हें घर में नजरबंद कर दिया जाए।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दे दी थी जमानत

महाराष्ट्र सरकार ने इसी दलील का विरोध किया था और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से कहा इन दिनों यह प्रवृत्ति है कि नक्सल हाउस अरेस्ट की मांग करते हैं और सब कुछ घर से करते हैं। यह विकल्प नहीं हो सकता है। इस पर साईबाबा के वकील आर बसंत ने कहा कि अदालत साईबाबा की फोन लाइन काटने का आदेश दे सकती है। बेंच ने मेहता की दलील को स्वीकार किया। बेंच ने कहा कि यह तयशुदा नियम है कि बरी का आदेश अपीलीय आदेश से ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटे बिना नहीं हो सकता है।

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बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने शुक्रवार को साईबाबा को अचानक रिहा कर दिया था। साईबाबा अभी नागपुर जेल में बंद हैं। उन्हें फरवरी 2014 में गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के समय साईबाबा के वकील आर बसंत ने कहा, “उनकी 23 साल की बेटी और पत्नी है। उनकी हड्डियां फेफड़ों तक फैल रही है, जिससे हालात और बिगड़ रहे हैं। इन पहलुओं पर गौर करते हुए उन्हें वापस जेल में मत भेजिए। उन्हें जेल से रिहा कीजिए और घर पर नजरबंद करिए। वह अदालत की ओर से लगाई गई किसी भी शर्त का पालन करेंगे”। परंतु कोई दलील नहीं काम आई और अर्बन नक्सली साईबाबा अभी भी कालकोठरी में ही अपने दिन बिताएंगे।

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