खेल के मैदान पर हार किसी को पसंद नहीं होती। फिर चाहे खेल कोई सा भी हो। कोई नहीं चाहता कि जिसे टीम को वे सपोर्ट कर रहे हैं, वे हारे। बात क्रिकेट की जाए तो यह हमारे लिए तो एक खेल से ऊपर हैं। परंतु जिस तरह से भारतीय टीम का हालिया प्रदर्शन हैं, उसे देखकर तो भारतीय फैंस को केवल निराशा ही हाथ लग रही हैं। आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप 2022 का बिगुल बज चुका हैं। 16 टीमें इस टूर्नामेंट का हिस्सा हैं, जिनमें भारतीय टीम भी शामिल है। लेकिन केवल हिस्सा होने से क्या होता है? क्या आपको इस बड़े टूर्नामेंट के प्रति भारतीय खिलाड़ियों का वही जोश देखने को मिल रहा है, जो पहले देखने को मिला करता था? जवाब होगा, नहीं।
देखा जाये तो इस बार भारतीय क्रिकेट के फैंस को ट्रॉफी लाने की उतनी उम्मीदें कम ही हैं। टी-20 वर्ल्ड कप के बाद अगले वर्ष भी भारतीय टीम को वर्ल्ड कप खेलना हैं। परंतु यदि आप टी20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम को देखेंगे, तो 2023 एकदिवसीय वर्ल्ड कप में भारत की संभावनाओं के बारे में काफी अनुमान लगा सकते हैं। इसको देखकर तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि भारतीय टीम ने 2023 वर्ल्ड कप हारने की भी पूरी तैयारी कर ली हैं।
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जोश और लगन की कमी
आज भारतीय खिलाड़ियों में वो जोश और लगन देखने को नहीं मिलता, जो पहले देखने को मिल करता था। इसे हम आप एक उदाहरण के जरिए समझाएंगे। सचिन तेंदुलकर को यूं ही क्रिकेट का भगवान नहीं माना जाता। उन्होंने ऐसे कई कारनामे कर दिखाये हैं, जिस कारण सचिन को यह दर्जा मिला। साल 2010 में ग्वालियर में दोहरा शतक लगाने के बाद सचिन तेंदुलकर ने वनडे का एक भी नहीं खेला था। ऐसा इसलिए क्योंकि वो वर्ल्ड कप की तैयारी में जी-जान से जुट गये थे। इसका लाभ क्या हुआ? भारतीय टीम वर्ष 2011 में दूसरी बार वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचने में कामयाब हुई। तेंदुलकर टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन बनाने के मामले में दूसरे नंबर पर थे। देखा जाए तो 2011 के वर्ल्ड कप में सभी खिलाडियों से अपनी जान लगा दी थी, परंतु आज के समय में भारतीय क्रिकेट टीम में ऐसी निष्ठा देखने को नहीं मिलती।
भारतीय खिलाड़ियों के द्वारा पहले जहां वर्ल्ड कप को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती थी, वहीं आज के समय में ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय खिलाड़ियों की पहली प्राथमिकता आईपीएल बन गया है। अगर हम पिछले जीते वर्ल्ड कप की बात करें तो सचिन तेंदुलकर और कपिल देव उन खिलाड़ियों मे से एक थे जो हमेशा से ही विश्व कप जीतने और देश का गौरव बढ़ाने की चाह रखते थे। लेकिन आज भारतीय टीम के खिलाड़ी आईपीएल में अधिक दिलचस्पी दिखाते नजर आते हैं। टीम के लिए और आईपीएल के लिए उनके प्रदर्शन में काफी अंतर स्पष्ट तौर पर देखने मिल जाता हैं। इसका सबसे नवीनतम उदाहरण जसप्रीत बुमराह हैं। बुमराह आईपीएल का तो हर मुकाबले में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने के प्रयास करते हैं, परंतु अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दौरान तो वे ज्यादातर चोटिल होने की वजह से टीम से बाहर ही रहते हैं।
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2023 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का विश्लेषण
ऑस्ट्रेलिया में चल रहे 2022 टी 20 विश्व कप में भारत की टीम को देखकर 2023 एकदिवसीय वर्ल्ड कप की स्थिति भी काफी हद तक साफ हो जाती हैं। क्योंकि हमारे पास बल्लेबाजी की अगुवाई करने के लिए रोहित शर्मा और केएल राहुल जैसे खिलाड़ी हैं। विराट कोहली ने पहले ही टीम का बंटाधार कर दिया था और अब रही-सही कसर रोहित शर्मा पूरी करते नजर आ रहे हैं। रोहित पर कप्तानी का दबाव स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है। उनकी कप्तानी में तो भारतीय टीम एशिया कप में सेमीफाइनल तक क्वालिफाई नहीं कर पायीं। वहीं एक बल्लेबाज के तौर पर भी रोहित का प्रदर्शन मौजूदा समय में कुछ खास अच्छा नहीं है। ऐसा ही कुछ हाल केएल राहुल का भी है। एक-दो मुकाबलों को यदि छोड़ दिया जाये तो भारतीय टीम के लिए राहुल का प्रदर्शन आईपीएल जैसा तो नहीं होता।
अब बात करते हैं मध्यक्रम की जो कि संभवतः भारत के लिए बड़ा खतरा दिखाई देता है। विराट कोहली 2023 वर्ल्ड कप में मध्यक्रम का का मार्गदर्शन करने वाले हैं, परंतु यह कितना सफल साबित होगा ये तो समय ही पता चलेगा। लंबे समय से फॉर्म से बाहर चल रहे कोहली ने अफगानिस्तान के विरुद्ध मैच में अपनी वापसी की और ऑस्ट्रेलिया श्रृंखला में भी अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने फॉर्म में वापस आने के बाद ज्यादातर टी-20 क्रिकेट ही खेला हैं। लेकिन कोहली कब तक फॉर्म में रहेंगे, यह कुछ कहा नहीं जा सकता।
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मध्य क्रम है सबसे बड़ी समस्या
मध्यक्रम का दूसरा स्तंभ सूर्यकुमार यादव हैं। वह एक ऐसे खिलाड़ी के तौर पर उभर रहे हैं, जो प्रशंसकों की अपेक्षाओं को भी पूरा करते नजर आ रहे हैं। अगर कोहली विफल रहते हैं तो ऐसी संभावनाएं है कि सूर्यकुमार मध्यक्रम कार्यभार संभाल लेंगे। परंतु इन दोनों के अलावा भारत का मध्यक्रम में कोई खिलाड़ी ऐसा नजर नहीं आता, जिसका प्रदर्शन स्थिर हो। हार्दिक पंड्या, दीपक हुड्डा, ऋषभ पंत, संजू सैमसन, श्रेयस अय्यर, शुभम गिल, रवींद्र जडेजा से उम्मीदें अवश्य हैं, परंतु यह नहीं मालूम कि वे इन पर खड़ा उतर भी पाएंगे या नहीं? जहां पंड्या और जडेजा अपनी गेंदबाजी के लिए भी जगह बना सकते हैं।
वहीं गेंदबाजों की बात करें तो इसमें अधिक विकल्प भारतीय टीम के पास नहीं हैं। अश्विन और बुमराह के अलावा कोई भी अच्छा गेंदबाज इस वक्त तो नज़र नहीं आ रहा। तेज गेंदबाजी विभाग में दीपक चाहर, मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, शार्दुल ठाकुर, उमरान मलिक, अर्शदीप सिंह, हर्षल पटेल जैसे खिलाड़ी मुख्य दावेदारी की रेस में हैं। शमी को छोड़कर बाकी सभी अनुभवहीन हैं। वहीं शमी खुद पिछले काफी समय से चोट की समस्या से जूझ रहे थे। अगला विकल्प स्पिन विभाग को मजबूत करना होगा। वहां भी अनुभवहीन खिलाड़ियों की भरमार है।
भारत ऐसा पहला देश था, जिसने अपने ही घरेलू मैदान में विश्व कप जीतकर देश का गौरव बढ़ाया था। भारत से पहले कोई भी देश ऐसा नहीं कर पाया था। हालांकि बाद में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड ने भी यह कारनामा कर दिखाया था। भारतीय टीम ने अब तक दो बार वर्ल्ड कप जीत देश का गौरव बढ़ाया हैं। साल 1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने विश्व कप जीता था और इसके बाद साल 2011 में वानखेड़े के मैदान पर श्रीलंका को हराकर विश्व कप अपने नाम किया था।
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ऐसे में भारतीय फैंस को इंतेजार तो तीसरी ट्रॉफी का हैं। परंतु मौजूदा स्थिति को देखते हुए अगर भारतीय टीम 2023 वर्ल्ड कप जीत जाए, तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। एक तरफ इन दिनों जहां भारतीय क्रिकेट टीम इन दिनों अपने प्रदर्शन के चलते आलोचनाओं में है, तो वहीं इस बीच भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने एशिया कप का खिताब जीत लिया है। यह एशिया कप का 8वां संस्करण था और भारत ने 7वीं बार खिताब अपने नाम किया है।
खैर, देखा जाये तो 2023 वर्ल्ड कप में अभी 365 दिन बाकी हैं। ऐसा नहीं है कि भारतीय टीम के लिए जीतना नामुमकिन हैं। यदि टीम के खिलाड़ी सब कुछ छोड़कर बस अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दें और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों से प्रेरणा लेकर वर्ल्ड कप जीतने के लिए उनके जैसी ही निष्टा दिखाए, तो वे एक बार और देश को वर्ल्ड कप की ट्रॉफी दिलाने में सफल हो सकते हैं।
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