हिंदुओं की दिवाली पर अंधकार में डूबा रहेगा राजस्थान, गहलोत से कोई उम्मीद नहीं है

ई तो होना ही था!

राजस्थान बिजली संकट

राजस्थान बिजली संकट: रोशनी और उमंग का पर्व दिपावली आने वाला है। इस त्योहार पर दीये की रोशनी, लाइटों की जगमगाहट से हर तरफ रोशनी ही रोशनी दिखाई देती है। परंतु तब क्या  हो, जब यह कहा जाए कि आपकी दिवाली अंधकार में डूबने वाली है। जी हां, इस बार राजस्थान के लोगों की दिवाली ‘काली’ होने की संभावना जतायी जा रही है। राजस्थान में इन दिनों भारी संकट मंडरा रहा है, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राजस्थान गहरे अंधेरे में डूबने वाला है।

ऐसा हम नहीं बल्कि एक्सपर्ट कह रहे हैं क्योंकि इस बार दिवाली के मौके पर राजस्थान में बिजली गुल होने के पूरे-पूरे आसार नज़र आ रहे है। इस समय राजस्थान के कई सारे हिस्सों में लगातार बिजली की कटौती हो रही है। कई बिजली प्लांट के बंद हो जाने के बाद अब राजस्थान में गंभीर बिजली संकट खड़ा होता प्रतीत हो रहा है। लगातार कटौती और बिजली का निर्माण करने वाली यूनिट्स के बंद होने से इसकी आशंका दिन पर दिन बढ़ती चली जा रही है।

एक्सपर्ट्स की मानें तो इस पूरी समस्या का कारण कोयले की कमी है। ऐसा माना जा रहा है कि विभागीय अधिकारियों और सरकार की लापरवाही के कारण इस तरह की गंभीर समस्या आ खड़ी है। राजस्थान में अब केवल चार दिनों का कोयला ही बाकी रह गया है। राजस्थान पर इतना बड़ा संकट आ खड़ा हो गया है और इस दौरान भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोई सुध लेते नजर नहीं आ रहे हैं और वो हाथ पर हाथ धरे बैठे है।

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राजस्थान में गहरा रहा बिजली संकट

राजस्थान विधानसभा में बिजली संकट को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाने पर लेते हुए कहा कि राजस्थान की कुल बिजली कैपिसिटी 23309 मेगावाट की है। वहीं थर्मल प्लांट की कुल क्षमता 8597 मेगावाट की है। परंतु मुझे बहुत ही दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि पिछले 9 महीने में 4245 मेगावाट के थर्मल प्लांट कुछ तकनीकि कारण, रखरखाव और कोयले की कमी के कारण बंद पड़े रहे।

यहां जान लें कि कोयले की कमी के कारण राजस्थान के कुल चार बिजली घरों की कुल 11 यूनिट्स बंद हो गयी है। इनमें सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 4 यूनिट्स, कोटा थर्मल पावर प्लांट की 3 यूनिट्स, राजवेस्ट की 2 यूनिट्स, छबड़ा थर्मल पावर प्लांट और रामगढ़ की एक-एक यूनिट शामिल है। इससे बनने वाली 2400 मेगावाट कैपिसिटी बिजली का प्रोडक्शन का कार्य रुक गया है।

राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड की एक असेसमेंट रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2022-23 में प्रदेश में बिजली की मांग (पीक आवर्स) 17757 मेगावाट तक पहुंचे और उपलब्ध कैपेसिटी केवल 12847 रहने का अनुमान लगाया गया है। जिस आधार पर देखा जा सकता है कि कुल 4910 मेगावाट बिजली की कमी पड़ने वाली है। अफसरों की इस तरह की लापरवाही के चलते राजस्थान को बिजली कटौती के संकट को झेलना पड़ सकता है।

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राजस्थान बिजली संकट: कोयले के स्टॉक की भारी कमी

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वक्त दिवाली मेंटनेस की आड़ लेकर राजस्थान के कई ब्लॉक में हर रोज चार-चार घंटों तक बिजली पिछले कई दिनों से काटी जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार बिजली कटौती का असली कारण मेंटनेस नहीं बल्कि बिजली की कमी है। वहीं बात यदि ग्रामीण इलाकों की करें तो 25 फीडर्स में रोस्टर के आधार पर लोड शेडिंग कर बिजली कटौती की जा रही है।

केंद्र की गाइडलाइंस के अनुसार हर प्रदेश को 26 दिन का कोयला स्टॉक रखना आवश्यकता होता है, जबकि राजस्थान के थर्मल बिजली घरों में औसत चार दिन का ही कोयला स्टॉक बचा हुआ है। राजस्थान के बिजली घरों में कोयले की कमी एक वर्ष से बनी हुई है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश में लगभग एक करोड़ 47 लाख बिजली उपभोक्ता मौजूद है, जो इस समय बिजली कटौती से तंग आ चुके है।

राजस्थान के सभी पावर प्लांट्स को पूरी तरह से फिर से चलाने हेतु 37 रैक कोयले की रोजाना सप्लाई की आवश्यकता है। पहले राजस्थान को 20 रैक कोयला प्रतिदिन दिया जा रहा था, जो अब घटकर 14 रैक पर पहुंच गया है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने लगाई हुई है कोल माइनिंग पर रोक

राजस्थान मुख्य रूप से अपनी कोयले की आवश्यकता के लिए छत्तीसगढ़ पर निर्भर है। जहां राजस्थान की आखिरी उम्मीद छत्तीसगढ़ ही है, वहीं वह भी उससे मुंह मोड़ता नजर आ रहा है। यहां दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित की जाने वाली कोयला खान पारसा ईस्ट एंड कैंट बासन कोल ब्लॉक में कोयला ही खत्म हो गया है। इस कारण 36000 मीट्रिक टन कोयले की सप्लाई ठप पड़ गयी। वहीं कोयले की सप्लाई में आने वाली कमी के कारण करीब 2000 मेगावाट बिजली प्रोडक्शन पर इसका प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही सरगुजा में 841 हेक्टेयर के एक्सटेंशन ब्लॉक की माइनिंग पर छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा रोक लगा दी गयी है।

कुछ दिनों पूर्व ही राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी, डिस्कॉम चेयरमैन भास्कर ए सावंत और RVUNL के सीएमडी राजेश कुमार शर्मा ने केंद्रीय कोयला और ऊर्जा मंत्रालय से अधिक कोयला सप्लाई मुहैया करवाने की मांग की है। वहीं केंद्र के द्वारा राजस्थान सरकार को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि वह छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार से वार्तालाप करके जितना शीघ्र हो सके माइनिंग का कार्य शुरू करवा दें। राजस्थान सरकार के द्वारा इस पर आग्रह करने और बिजली संकट को देखते हुए कोल इंडिया की सब्सिडरी कंपनियों से 3 रैक अतिरिक्त कोयला देने की मांग को फिलहाल केंद्र के द्वारा स्वीकार किया गया है।

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इन सबसे यह तो स्पष्ट होता है कि राजस्थान में बिजली का संकट बहुत गहरा गया है और यह दिन पर दिन बढ़ता ही चला जा रहा है। अब जिस प्रकार गहलोत सरकार इसे गंभीरता से न लेकर हाथ पर हाथ धरे बैठी है, उससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि सरकार ने राजस्थान के लोगों की दिवाली “काली” करने की पूरी तैयारी कर ली है।

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