शराब और मुर्गा बांटकर पीएम बनने का ख्बाव देख रहे हैं केसीआर!

केसीआर का यह फॉर्मूला उन्हें ले डूबेगा!

भारतीय राष्ट्रीय समिति

Source- TFIPOST

भारतीय राष्ट्रीय समिति: हम भी पीएम, तुम भी पीएम, नीतीश भी पीएम, केजरीवाल भी पीएम, ममता भी पीएम, केसीआर भी पीएम और राहुल तो पीएम हईये हैं! मौजूदा समय में विपक्ष में यदि आप पीएम उम्मीदवारों की सूची देखेंगे तो आप अपना माथा खुजलाने लगेंगे क्योंकि पिनोकियो की नाक की भांति दिन प्रतिदिन यह सूची बढ़ती ही जा रही है। दूसरी ओर केसीआर हैं जो अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर, दिल पर पत्थर रखकर, बिना दिमाग और बुद्धि का इस्तेमाल किए, भाजपा को टक्कर देने हेतु धीरे धीरे कमर कस रहे हैं! वो केवल और केवल मोदी विरोध को केंद्र में रखर राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं, जो राष्ट्रीय राजनीति तो छोड़िए, तेलंगाना में ही उनके समूल नाश का कारण बनेगा।

दरअसल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयानबाजी कर चर्चा में बने रहने की नाकाम कोशिश करते रहते हैं। वर्ष 2019 में भी केसीआर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दक्षिण भारत की राजनीति में एक मोदी विरोधी कैंपेन चलाया था और यह दावा किया था कि भाजपा वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव किसी भी कीमत पर नहीं जीत सकेगी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी लोक कल्याणकारी योजनाओं के कारण उन पर देश की जनता का विश्वास पहले से ज्यादा दिखा।

ऐसे में अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव में लगभग 2 वर्षों का वक्त बचा है तो एक बार फिर से के चंद्रशेखर राव, पीएम मोदी के खिलाफ अभियान चलाने लगे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि तेलंगाना में भाजपा अपना तेजी से विस्तार कर रही है और पिछले लोकसभा चुनावों में भी भाजपा को तेलंगाना में फायदा देखने को मिला था। हैदराबाद महानगर पालिका के चुनाव से लेकर लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव में भी भाजपा की सीटें बढ़ने के साथ ही उसका वोट बैंक भी बड़ा हुआ है, जो केसीआर की रात की नींद उड़ा चुका है, ऐसे में वो अपने नए नए प्लान के साथ सामने आ रहे हैं।

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शराब और मुर्गा के दम पर नहीं टिक पाएंगे!

केसीआर को लगता है कि यदि तेलंगाना में उन्हें अपनी राजनीतिक प्रभुत्व और अधिक मजबूत करना है तो उन्हें देश की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देनी होगी। इसका नतीजा है कि अब केसीआर ने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति का नाम बदलकर भारतीय राष्ट्रीय समिति रख दिया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने अपनी पार्टी की महत्वपूर्ण आम सभा की बैठक में यह फैसला लिया है। पार्टी का नाम बदलने की घोषणा से उत्साहित कार्यकर्ताओं ने अपनी पार्टी के नेता केसीआर को ‘राष्ट्रीय नेता’ भी करार दिया है। कार्यकर्ताओं ने इस मौके पर पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटकर जश्न भी मनाया। कार्यकर्ताओं का उत्साह देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो तेलंगाना राष्ट्रीय समिति का नाम भारतीय राष्ट्रीय समिति बदल कर केसीआर ने लोकसभा 2024 का चुनाव ही जीत लिया हो!

अहम बात यह है कि टीआरएस के नेता इस ऐलान से पहले ही इसकी संभावनाएं देख चुके थे, जिसके बाद से तेलंगाना में टीआरएस के कार्यकर्ता लगातार जश्न मना रहे थे। टीआरएस नेता राजनाला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें आप टीआरएस नेता को एक ट्रक के पास खड़ा हुआ देख सकते हैं। ट्रक के अंदर मुर्गे हैं और एक टेबल पर शराब की बोतलें रखी हुई हैं। आप वीडियो में देख सकते हैं कि शराब और मुर्गा लेने के लिए लोगों की लंबी लाइन भी नजर आ रही है। ज्ञात हो कि केसीआर की राजनीति भी मुफ्तखोरी पर टिकी हुई है। राज्य में उनकी पकड़ काफी ढ़ीली हो चुकी है और वो अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए अनाप-शनाप बयानबाजी करते रहते हैं। केसीआर लोगों को मुफ्त की चीजें देकर लुभाने का प्रयास करते हैं लेकिन राज्य की जनता अब उन्हें नकारने लगी है और पिछले कुछ समय में प्रदेश में भाजपा का बढ़ता जनाधार इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

विपक्षी एकता ‘स्कैम’ है

हालांकि, राष्ट्रीय पार्टी के ऐलान के साथ ही केंद्र की राजनीति में केसीआर की पैठ की बातें सामने आने लगी हैं। उनके इस कदम को तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 से भी जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि राज्य में भाजपा का बढ़ता कद उनकी मुश्किलें बढ़ा रहा है। वहीं, केसीआर की पीएम बनने की चाहत जमकर हिलोरे ले रही है लेकिन यह दूर दूर तक संभव नहीं है क्योंकि भाजपा के विरोध में अभी से ही विपक्ष में चार महागठबंधन देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में केसीआर कुछ कर नहीं पाएंगे। उन्हें लगता है कि देश की राजनीति में कदम रखना बहुत आसान है और वो नरेंद्र मोदी का अकेले ही मुकाबला कर सकते हैं लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती विपक्षी एकता को आगे बढ़ाने की है। साथ ही एक समस्या यह भी है कि उन्हें नीतीश कुमार का मुकाबला करना है, जो कि उत्तर भारत में सबसे ज्यादा बड़े मोदी विरोधी उम्मीदवार माने जा रहे हैं।

एक अहम बात यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं को सबसे ज्यादा कोसने वाले नेताओं में भी केसीआर शामिल रहे हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर गति शक्ति मिशन तक पर प्रश्न खड़े किए थे। केसीआर यह तक कहते पाए गए कि देश के गांवों को हाईवे से जोड़ने की जरूरत ही क्या है। उनका यह रवैया दर्शाता है कि वह एजेंडे के तहत नहीं बस मोदी विरोध के दम पर राष्ट्रीय राजनीति पर कदम रख रहे हैं। यह भी सत्य है कि केवल एक शख्स के विरोध पर राजनीतिक बदलाव करने की मंशा लिए केसीआर को राष्ट्रीय स्तर पर झटका तो लगेगा ही, साथ ही तेलंगाना में बढ़ता भाजपा का कद उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगा। ऐसे में यदि कहा जाए कि 2024 के लोकसभा चुनावों में बिखरा हुआ यह विपक्षी खेमा ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी बार ऐतिहासिक जीत का कारण बन सकता है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

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