सिनेमा को समाज का दर्पण माना जाता है। सिनेमा लोगों को काफी हद तक प्रभावित करता हैं। हम किसी फिल्म में जो कुछ भी देखते हैं, उसे सच मान बैठते हैं। साथ ही यह भी देखने मिलता है कि सिनेमा जगत से जुड़े कलाकारों की बातों का भी काफी प्रभाव जनता पर पड़ता है। ऐसे में इन लोगों की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है कि दर्शकों तक केवल और केवल सही जानकारी ही पहुंचाए। खास तौर पर हमारे इतिहास को लेकर तो कोई भ्रामक बातें न फैलाई जाएं। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि फिल्म उद्योग से जुड़े कुछ लोग एक धर्म को नीचा दिखाने के प्रयास करते हैं और इस दौरान वे गैर-जिम्मेदारियाना रवैया अपनाते हुए ऐसा कुछ बोल जाते हैं, जिस पर विवाद खड़ा हो जाता है। ऐसा ही कुछ तमिल निर्देशक वेत्रिमारन (Tamil Director Vetrimaaran) ने भी किया है। उन्होंने चोल वंश के महान शासक राजाराज चोल को लेकर विवादित बयान दे दिया है।
राजाराज चोल को लेकर चर्चाएं ‘पोन्नियन सेल्वन’ फिल्म आने के बाद शुरू हुई है। फिल्म चोल वंश के राजा पोन्नियन सेल्वन के जीवन पर आधारित है। इसके बाद से ही इस पर बातें हो रही है। जिस बीच इस पर टिप्पणी करते हुए तमिल निर्देशक वेत्रिमारन ने अपने बयान में कहा कि राजाराज चोल हिंदू राजा नहीं थे। उनके इस बयान के आते ही सम्राट की धार्मिक पहचान के विषय में बहस छिड़ गयी है।
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राजाराज चोल को हिंदू राजा नहीं मानते वेत्रिमारन
वेत्रिमारन ने एक कार्यक्रम में कहा- ”हमारे प्रतीक लगातार ही हमसे छीन लिए जा रहे हैं। तिरुवल्लुवर का भगवाकरण करना या राजाराज चोल को हिंदू राजा कहना इसी का उदाहरण है।” वेत्रिमारन ने आगे आगाह करते हुए यह भी कहा कि सिनेमा आम आदमी के लिए है, इसलिए इसके पीछे की राजनीति को समझना आवश्यक है। वेत्रिमारन ने राजाराज को हिंदू राजा मानने से क्यों इनकार कर दिया यह तो वहीं जानें। हालांकि वेत्रिमारन के इस विवादित बयान के बाद उनके समर्थन में साउथ सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेता कमल हासन भी उतर आए हैं।
अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने निर्देशक वेत्रिमारन की बातों का समर्थन करते हुए राजाराज को हिंदू धर्म का नहीं मानते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चोल युग के समय ‘हिंदू धर्म’ नामक कोई शब्द ही नहीं था। तब वैणवम, शिवम और समानम थे और वह अंग्रेजों ही थे, जिन्होंने ‘हिंदू’ शब्द को गढ़ा क्योंकि उनको इस बात का पता नहीं था कि इसे सामूहिक रूप से कैसे संदर्भित किया जाए। यह उसी तरह है जैसे उन्होंने थुथुकुडी को तूतीकोरिन में बदल दिया।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि इस युग के दौरान कई सारे धर्म मौजूद थे और 8वीं शताब्दी में अधिशंकरर ने ‘शन्माधा स्तबनम’ की रचना की थी। कमल हासन ने कुछ कलाकारों और क्रू के साथ पोन्नियिन सेलवन फिल्म देखी थीं। इस पर वे बोले कि कि यह फिल्म इतिहास पर आधारित एक कथा है। उन्होंने कहा, “इतिहास को इस तरह से बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए और न ही इसमें भाषा के मुद्दे को शामिल करना चाहिए।”
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चोल साम्राज्य का इतिहास
राजाराज चोल के बारे में इस तरह के बयान फिल्म ‘पोन्नियन सेल्वन’ के रिलीज होने बाद सामने आए है। अभी हाल ही रिलीज़ हुई पोन्नियिन सेल्वन फिल्म में चोल साम्राज्य की नौसैनिक शक्ति, बल और इसके साम्राज्य विस्तार का वर्णन किया गया है। साथ ही इस फिल्म में चोल वंश के राजा पोन्नियन सेल्वन की जिंदगी से जुड़े मुख्य पहलूओं को दिखाया गया है। राजाराज चोल प्रथम इस साम्राज्य के सबसे महान राजाओं में से एक माने जाते है।
देखा जाए तो चोल साम्राज्य का इतिहास करीब 1000 साल से भी अधिक पुराना है। इस साम्राज्य का विकास भारत के सुदूर दक्षिण में कावेरी नदी के तट के पास हुआ है। साम्राज्य की राजधानी तिरुचिरापल्ली थी। परंतु दक्षिण भारत में कई सारे भव्य और आकर्षक मंदिरों को निर्माण करने वाले राजा चोल राजाओं को कमल हासन और वेटरीमारन हिंदू ही नहीं मानते। लेकिन ऐसा क्यूं है? क्या उन्होंने अपने इस बयान को देने से पहले एक बार भी इस पर विचार नहीं किया। या इसके पीछे उनका कोई और ही मकसद था?
वेत्रिमारन के इस विवादित बयान के बाद इस पर बहस छिड़ गई है। इसके बाद भाजपा नेता एच राजा ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राजराजा चोलन एक हिंदू राजा थे। उन्होंने कहा- “मैं वेत्रिमारन की तरह इतिहास से ज्यादा अच्छी तरह से वाकिफ तो नहीं हूं, लेकिन उन्हें राजराजा चोलन के द्वारा बनाई गयी दो चर्चों और मस्जिदों की तरफ इशारा करना चाहिए। उन्होंने खुद को शिवपाद सेकरन कहा। क्या वह तब हिंदू नहीं थे?”
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हमारे इतिहास के पन्नों में सुनहरे शब्दो से दर्ज़ एक महान शासक के धर्म और उसकी पहचान को लेकर सवालों-जवाबों का सिलसिला शुरू हो गया है और यह आखिर बढ़ते बढ़ते कहां तक जाता है यह देखने वाली बात होगी।
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