सनातन धर्म और सनातन धर्म के चिह्नों को भारत भूमि सदियों से संजोते आ रही है लेकिन एक समय आया जब विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं ने इस भूमि को अपनी धूर्त सोच और रक्तपात से दूषित तो किया ही साथ ही साथ यहां के मंदिरों को बहुत हानि भी पहुंचायी। मुस्लिम आक्रांताओं ने जो किया सो किया लेकिन देश की स्वतंत्रता के पश्चात की सरकारों ने भी मंदिरों और सनातन धर्म के धरोहरों को अनदेखा किया और उन्हें बिन मां के बच्चे की तरह त्याग दिया। लेकिन 2014 में एक नयी सरकार का गठन हुआ और जनता के आशीर्वाद से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनाए गए और फिर यहीं से सनातनी धरोहरों और धार्मिक स्थलों के दिन फिरने लगे।
मोदी सरकार में हिंदुओं के धार्मिक स्थलों के विकास और जीर्णोंद्धार के लिए अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं जिसके एक से बढ़कर एक उदाहरण देखने को मिल जाएंगे। इस लेख में उन्हीं उदाहरणों के बारे में जानेंगे और समझने का प्रयास करेंगे कि कैसे नरेंद्र मोदी की सरकार अपने विकास कार्यों की सूची में देश के मंदिरों और धार्मिक स्थलों को भी एक महत्वपूर्ण स्थान दे रही है।
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धार्मिक स्थलों का विकास
नवीन उदाहरण की बात करें तो सनातन धर्म के 12 ज्योतिर्लिंग में से चार के लिए तो पहले से ही सरकार के द्वारा विकास कार्य किए जा रहे हैं लेकिन अब इस सूची में पांचवां ज्योतिर्लिंग भी सम्मलित हो चुका हैं। बुधवार, 12 अक्टूबर को महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना के पहले चरण का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया है। मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल कॉरिडोर ‘महाकाल लोक’ का पूरा परिसर निर्माण हो रहा है जो कि 20 हेक्टेयर में फैला है और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से चार गुना अधिक है। लगभग 856 करोड़ रुपये की लागत के इस प्रोजेक्ट के पहले चरण को लगभग 350 करोड़ रुपये में संपन्न कर लिया गया। आपको बता दें कि पांच हेक्टेयर में उत्तर प्रदेश का काशी विश्वनाथ कॉरिडोर फैला हुआ है।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल के दर्शन करने के साथ-साथ भक्त महाकाल लोक में कला और अध्यात्म के अद्भुत और अद्वितीय मिश्रण को भी देख पाएंगे। महाकाल लोक में शिव परिवार की प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं और भगवान शिव की लीलाओं को बताने के लिए छोटी-बड़ी लगभग 200 प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं।
अब आपको थोड़ी जानकारी महाकालेश्वर मंदिर के बारे में दे देते हैं, तो इस मंदिर को मुस्लिम शासकों ने बार बार तोड़ा लेकिन इसके अस्तित्व को कभी मिटा नहीं पाए और समय-समय पर हिंदू राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण भी करवाया। दिल्ली के शासक शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश ने वर्ष 1234 में मंदिर पर आक्रमण किया और मंदिर को तोड़ डाला। ज्योतर्लिंग को उसके आक्रमण से बचाने के लिए पुजारियों ने ज्योतर्लिंग को कुंए में छिपा दिया और 550 साल तक ऐसी ही स्थिति बनी रही।
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12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी है बाकी सबी पूर्वमुखी हैं। 12 ज्योतिर्लिंग की बात करें तो इनके नाम हैं-
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
- विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
- नागेश्वल ज्योतिर्लिंग, गुजरात
- रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
उपरोक्त सभी ज्योतिर्लिंगों में से पांच के लिए पहले ही मोदी सरकार ने विकासकार्यों को आगे बढ़ाया है। इनमें से सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को लेकर कदम बढ़ा दिए गये हैं। पहले की सरकारों के लिए ये धार्मिक स्थल कोई अर्थ नहीं रखते थे या ये भी कह सकते हैं कि पहले की सरकारों के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण अति आवश्यक था और हिंदुओं के धार्मिक स्थल वोट बैंक का माध्यम नहीं थे। आग बढ़ते हैं और एक-एक कर आपको बताते हैं कि कैसे उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अतिरिक्त चार और ज्योतिर्लिंगों के विकास और विस्तार पर ध्यान दिया गया है।
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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग-
अगस्त 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर से जुड़ी कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया था। इसमें सोमनाथ प्रदर्शन गैलरी, समुद्र दर्शन पथ और मंदिर से जुड़े कई अन्य प्रोजेक्ट शामिल हैं। इसी दौरान पीएम मोदी ने पार्वतीजी मंदिर का भी शिलान्यास किया था जिसे बनाने के लिए 30 करोड़ रुपए की लागत तय की गयी है, ऐसा कहा जाता है।
जान लेना होगा कि सोमनाथ मंदिर का बार-बार विध्वंस तो किया ही गया, मंदिर के पुनरुत्थान के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल को एड़ी-चोटी का जोर भी लगाना पड़ा था। सोमनाथ मंदिर भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध और सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंग है। मूल मंदिर की भव्यता किसी को भी आकर्षित कर सकती थी। इस मंदिर को नीच आक्रांता ने अपना निशाना भी बनाया। 1025 में तुर्की मूल के अफ़गान आक्रांता महमूद गज़नवी ने वेरावल पर धावा बोलकर न केवल अनेक हिंदुओं का नरसंहार किया, अपितु सोमनाथ मंदिर का विध्वंस कर पवित्र ज्योतिर्लिंग को भी खंडित किया। इसके बाद अनेक बार इस मंदिर की पुनर्स्थापना हुई और अनेक बार इस मंदिर का विध्वंस भी हुआ।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग-
केदारनाथ धाम का कायाकल्प 2013 के ध्वंस बाद अति आवश्यक था। इसके लिए पीएम मोदी ने चरणबद्ध रूप से काम को बांटा और पुनर्विकास की योजनाओं को धरातल पर उतारा। और तो और केदारनाथ धाम के दर्शन सुलभ करने के लिए रोपवे के अलावा ट्रेन यात्रा पर ही कार्य जारी है। बीते वर्ष नवंबर में प्रथम चरण में 225 करोड़ की लागत से आदि शंकराचार्य की प्रतिमा समेत सेतु निर्माण जैसे कई काम पूरे किए थे। इसके बाद द्वितीय चरण में वहां 184 करोड़ की लागत के कार्य शुरू किए गए जिसमें केदारनाथ तक रोपवे भी बन रहा है, जिससे गौरीकुंड से केदारनाथ तक की यात्रा 40 मिनट में तय होगा।
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काशी विश्वनाथ मंदिर-
काशी विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प देर सवेर ही सही पर करीब साढ़े तीन सौ सालों बाद इसी नरेंद्र मोदी सरकार में किया गया है। बीते दिसंबर 2021 में, काशी विश्वनाथ धाम का कायाकल्प 21 माह में पूर्ण हुआ था जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। लगभग 55 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले विश्वनाथ धाम के निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही जटिल थी। इसके लिए कुल 315 भवनों का अधिग्रहण किया गया और लगभग 700 परिवारों को विस्थापित और पुनर्वास किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर आने-वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा इसलिए यहां काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाया गया। इसके बनने के बाद गंगा घाट से सीधे कॉरिडोर के रास्ते बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
प्रधानमंत्री मोदी के इसी दौरे में जिस तीर्थस्थल को लेकर सबसे अधिक चर्चाएं हुई थीं वो रहा “श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर।” पीएम मोदी ने इसी साल 12 जुलाई को देवघर में 16,800 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस दौरान हुए देवघर हवाई अड्डे का उद्घाटन बहुत बड़े कदम के रूप में देखा जा सकता है। इस तरह से बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर को हवाई मार्ग की सुविधा भी मिल गयी। देवघर एयरपोर्ट 400 करोड़ की लागत में बनकर तैयार हुआ है, जो 653.75 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें रनवे का निर्माण शामिल है, जिसकी लंबाई 2,500 मीटर और यह 45 मीटर चौड़ी है। रनवे एयरबस ए320 और बोइंग 737 दोनों तरह के विमानों को संभालने की क्षमता रखता है। एयरपोर्ट से बैद्यनाथ मंदिर की दूरी करीब 10 किलोमीटर है।
इसके अलावा देवघर को अब एम्स की सौगात भी मिल गयी है। देवघर एम्स 250 बेड और दो ऑपरेशन थियेटर के साथ बनकर तैयार हुआ है। देवघर एम्स में 200 प्रकार की जांच की सुविधाएं होंगी। इस अस्पताल की नींव भी चार वर्ष पूर्व रखी गयी थी। प्रधानमंत्री मोदी के हाथों इसी साल देवघर को इन दोनों बड़े प्रोजेक्ट्स की सौगात मिली।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोनों ही कार्यकाल को देखें तो इस सरकार ने देश के प्राचीन मंदिरों को केंद्र मान उनके कायाकल्प को लेकर दृढ़तापूर्वक काम किया और उन्हें ऐसा बनाया कि विश्वस्तर पर इनकी चर्चा हो। आज भारतीय संस्कृति और उसकी जीवटता को जीवंत रखने के लिए पीएम मोदी धड़ल्ले से काम करने में लगे हुए हैं। भारत की संस्कृति को और चमकाने के लिए संकल्पबद्ध सरकार के लिए अभी देश के और मंदिर, देवस्थानों, मठ प्रतीक्षा में हैं।
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