एलोपैथी बनाम इंटीग्रेटेड मेडिसिन – पारंपरिक दवाइयों पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है

आधुनिकता के इस दौर में दवाइयों और उपचार पद्धतियों का एक बाजार तैयार हो गया है जिसमें अधिक पैसों के बिना किसी का भी उपचार संभव नहीं है। ऐसे में पारंपरिक दवाइयों और उपचारों की ओर मुड़ने का समय आ गया है।

इंटीग्रेटेड मेडिसिन, Allopathy vs Integrated Medicine - The need to revisit traditional medicines

source- TFI

मानव सभ्यता के इतिहास को अगर देखा जाए तो उपचार पद्धति और दवाइयां हमेशा से ही हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग रही हैं। परन्तु समय बदला, तकनीक बदली तो उपचार पद्धितयां भी बदलती चली गईं। दवाइयों की हमारे जीवन में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका है कि आज भी हमें जब अस्वस्थ होने का अनुभव होता है तो ठीक होने के लिए हम दवाइयों का ही सहारा लेते हैं। परन्तु आधुनिकता के इस दौर में दवाइयों और उपचार पद्धतियों का एक बाजार तैयार हो गया है जिसमें अधिक पैसों के बिना किसी का इलाज ही नहीं हो सकता है। इस लेख में जानेंगे कि क्यों अब समय आ गया है कि पारंपरिक दवाओं (इंटीग्रेटेड मेडिसिन) पर पुनः विचार किया जाए।

एलोपैथी (Allopathy) नाम की एक चिकित्सा पद्धति पूरे विश्व में इस समय एकछत्र राज कर रही है जबकि इससे पुरानी उपचार पद्धतियां जैसे आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी इत्यादि इसकी तुलना में बहुत अधिक प्रभावी तो हैं ही इसके साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर इनका दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है। इसीलिए आज हम एक ऐसी पद्धति के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसे इंटीग्रेटेड मेडिसिन (Integrated Medicine) के नाम से जाना जाता है और आज के समय में यह एक उभरते हुए विकल्प के रूप में सामने आ रही है।

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इंटीग्रेटेड मेडिसिन क्या है?                            

इंटीग्रेटेड मेडिसिन (Integrated Medicine) एक ऐसी पद्धति है जिसका उद्येश्य  व्यक्ति के संपूर्ण जीवन को स्वस्थ बनाए रखना होता है न कि बीमार होने पर केवल दवा देकर कुछ समय के लिए ठीक कर दिया जाता है। पारिभाषिक रूप से कहा जाए तो इंटीग्रेटेड मेडिसिन का उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा का उपचार करना है। इसके अलावा इंटीग्रेटेड मेडिसिन में पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ ध्यान, संगीत और कला के द्वारा कई प्रकार की थेरेपी भी करायी जाती हैं।

किस प्रकार से काम करती है इंटीग्रेटेड पद्धति

इंटीग्रेटेड पद्धति में सामान्यतः होता यह है कि एक चिकित्सक द्वारा किसी भी व्यक्ति को ठीक करने के लिए दवाइयों के साथ-साथ योग और व्यायाम करने के परामर्श भी दिए जाते हैं। उदाहरण के रूप में यदि कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से पीड़ित है तो उसे योगाभ्यास करने का परामर्श दिया जाता है और आज के समय में यह पद्धति काफी ज्यादा पॉपुलर होती जा रही है।

इसके अलावा इंटीग्रेटेड पद्धति में पोषण, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक तीन स्तर पर इलाज किया जाता है। पोषण के स्तर पर इस पद्धति में अच्छा भोजन करने, विटामिन और मिनरल जैसी चीजों का सेवन करने के लिए भी सलाह दी जाती है। मनोवैज्ञानिक स्तर पर मानसिक तनाव कम करने के लिए ध्यान जैसे रास्तों को अपनाने के परामर्श दिए जाते हैं। शारीरिक स्तर पर अगर देखा जाए तो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग और व्यायाम करने की सलाह दी जाती है।

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एलोपैथी से बेहतर है इंटीग्रेटेड मेडिसिन

आमतौर पर जब भी बीमार होते हैं तो हम एलोपैथिक दवाइयों (Allopathy) का ही उपयोग करते हैं परन्तु ये दवाएं एक प्रकार का नशा हैं जो हमारे शरीर को अंदर से धीरे-धीरे खोखला कर देती हैं। वहीं इंटीग्रेटेड मेडिसिन की बात की जाए तो इसमें शरीर को स्वस्थ रखने पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है जिससे कि दवाइयों के सेवन की आवश्यकता ही न पड़े। हालांकि इंटीग्रेटेड मेडिसिन ऐलोपैथ की विरोधी नहीं है बल्कि इसके एक विकल्प के रूप में सामने आ रही है। आज के भाग-दौड़ भरे जीवन में लोगों की दिनचर्या में बहुत हद तक बदलाव हो चुका है जिसकी वजह से स्वस्थ रहने के लिए सिर्फ दवाइयों के भरोसे नहीं रहा जा सकता है बल्कि अच्छा भोजन और व्यायाम करना भी बहुत आवश्यक हो जाता है।

प्रकृति के अधिक निकट है इंटीग्रेटेड मेडिसिन

इंटीग्रेटेड मेडिसिन कुछ लोगों के लिए चमत्कार हो सकती है तो वहीं कुछ लोगों के लिए छद्म विज्ञान, परन्तु हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जहां पर हम यह भूल चुके हैं कि वास्तव में मानव शरीर होता क्या है और इसे किस तरह से स्वस्थ रखना है। इसीलिए इंटीग्रेटेड मेडिसिन हमें अपने शरीर को बेहतर बनाने और प्रकृति के निकट रहने की सलाह देती है।

इंटीग्रेटेड मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. कल्लोल गुहा बताते हैं कि हमारे पूरे शरीर में लड़ने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित कोशिकाएं मौजूद  होती हैं जोकि हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने में पूरी तरह से परिपक्व होती हैं। इसके अलावा ये कोशिकाएं हानिकारक जीवाणुओं को मारती हैं और दूसरी कोशिकाओं को इन जीवाणुओं का खात्मा करने के लिए मुक्त करती हैं, इस प्रक्रिया को ऑटोफेगी के नाम से जाना जाता है।

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यही कारण है इंटीग्रेटेड मेडिसिन के तहत शरीर को स्वस्थ रखने की सलाह दी जाती है जिससे व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सही बनी रहे। चिकित्सा पद्धति के इतिहास को अगर देखा जाए तो हमारे पास कई प्रकार की चिकित्सा पद्धतियां हैं, बहुत से बेहतर विकल्प हैं। परन्तु आज के समय में एक ही चिकित्सा पद्धति को इतना बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है, दूसरों को क्यों नहीं। जबकि एलोपैथी से ज्यादा पुरानी और कारगर पद्धतियां मौजूद हैं।

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