पहले किसी देश की सहायता करो और फिर उसे इसी जाल में फंसाकर बिलखता हुआ छोड़ दो, यह नीति अमेरिका की बेहद ही पुरानी रही है। उसने इस नीति का प्रयोग करके कई देशों का बंटाधार किया है। अब अमेरिका अपनी इसी नीति का इस्तेमाल करके पाकिस्तान को तोड़ने का षड्यंत्र भी कर रहा है। अब आप सोच रहे होंगे कि भला अमेरिका पाकिस्तान को क्यों तोड़ेगा? बल्कि अमेरिका तो पाकिस्तान को आर्थिक मदद कर रहा है। वो पाकिस्तान की सेना की मजबूती में सहयोग कर रहा है लेकिन देखा जाये तो इसी में सारा सार छिपा हुआ है।
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अमेरिका कर रहा पाकिस्तान की मदद
दरअसल, आज कल अमेरिका पाकिस्तान पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो रहा है और लगातार उसकी मदद करता नजर आ रहा है। इस वर्ष अमेरिका से पाकिस्तान को 97 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता की है। वहीं कुछ समय पूर्व ही अमेरिका ने पाकिस्तान की सैन्य सहायता की थी। बाइडेन सरकार की ओर से पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर जेट के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की सहायता राशि मंजूर की गई थीं, जिसके बाद से ही पाक सेना खूब उछलती हुई फिर रही है। सेना और पाक सरकार फूले नहीं समाई। यह तो जगजाहिर है कि अमेरिका और चीन के बीच तनातनी चल रही है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान और चीन के बीच दोस्ती के रिश्ते तो भी खूब प्रचलित हैं, तो ऐसे में आखिर अमेरिका, चीन के करीबी पाकिस्तान को अमेरिका मदद क्यों कर रहा है?
पाकिस्तान को मदद देने के पीछे अमेरिका की साजिश?
अमेरिका किस तरह से अफगानिस्तान को अधर में छोड़ गया, वो सभी ने देखा है। अफगानिस्तान एक बार फिर से तालिबान के कब्जे में है, तो उसका जिम्मेदार कोई और नहीं अमेरिका ही है। वहीं कुछ इसी तरह का काम उसने यूक्रेन के साथ भी किया। यूक्रेन को रूस के विरुद्ध उकसाकर अमेरिका ने उसे युद्ध की आग में झोंक दिया और अब अपने कदम पीछे खींच लिए। अमेरिका ने यूक्रेन को बचाने के लिए अपनी सेना भेजने से इनकार कर दिया है। आज यूक्रेन पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। तो अमेरिका के कुछ इस तरह के कारनामे किए हैं। उसका काम ही यह है कि पहले देशों को आपस में लड़ने के लिए उकसाओं और फिर जब जंग छिड़ जाए तो फिर बैठकर आराम तमाशा देखना। अमेरिका की इस नीति ने बहुत से देशों विनाश किया, उसने पहले मदद का हाथ बढ़ाया और बाद में उन्हीं के पीठ में छुरा घोंप दिया।
अब यही नीति अमेरिका, पाकिस्तान के ऊपर अपनाने की कोशिश कर रहा है। दरअसल, अमेरिका जो वित्तीय मदद पाकिस्तान को कर रहा है उसका इस्तेमाल आतंक का पनाहगार कहां करेगा, यह बताने की हमें तो कतई आवश्यकता नहीं है। जिस पाकिस्तान में आम जनता का जीना मुश्किल हो रखा है, महंगाई अपने चरम पर पहुंची हुई है। फिर भी अपने देश की इन तमाम समस्याओं को दूर करने की बजाए पाकिस्तान इस आर्थिक मदद का इस्तेमाल आतंकियों को पालने पोसने में ही करेगा। क्योंकि यही उसकी पुरानी आदत रही है और पाकिस्तान उन देशों में से तो है नहीं जो सुधर जाए। हालांकि जिन आतंकियों को आज पाकिस्तान पाल पोस रहा है, एक दिन ऐसा आएगा जब वहीं उसकी गले की फांस बन जाएगा और अमेरिका अपने मिशन में कामयाब हो जाएगा।
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टुकड़ों में बंट जाएगा पाकिस्तान?
अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी जा रही वित्तीय सहायता सेना के हाथों में ही जाएगी। क्योंकि यह तो सभी तो मालूम है कि पाकिस्तान का असल में नियंत्रण तो सेना के हाथ में ही होता है, जबकि सरकार तो केवल कठपुतली हैं। सेना इन पैसों का इस्तेमाल आतंकी संगठनों को मजबूत करने के लिए करेंगे और यही संगठन पाकिस्तान को तोड़ देंगे।
अंत में होगा यह कि आतंकी संगठन इससे और मजबूत होंगे। अमेरिका और रूस के आपसी झगड़े में तालिबान ने सिर उठाया था। आज पूरी दुनिया के लिए तालिबान बड़ा खतरा बना हुआ है। तालिबान आज किसी का सगा नहीं है। ऐेसे में पाकिस्तान के आतंकी संगठन मजबूत होकर उसी के लिए समस्या बन जाए, तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
देखा जाये तो वैसे भी बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में पहले से ही अलग देश की मांग उठती रही है। पाकिस्तान में अलग देश बलूचिस्तान की मांग तो आज की नहीं बल्कि सात दशक से भी ज्यादा पुरानी है। आए दिन यहां पाकिस्तान विरोधी आंदोलन और आजादी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन होते रहते हैं। इसी तरह सिंध में भी पांच दशक से अलग देश बनाने की मांग उठाई जा रही हैं। वहीं खैबर पख्तूनख्वा में भी पाकिस्तान से अलग होने की समय-समय पर मांग उठी है।
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आज के समय में भले ही यह सबकुछ अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली सामान्य आर्थिक सहायता ही दिख रही हो, परंतु इसके दूरगामी परिणाम पाकिस्तान के लिए बेहद घातक साबित होंगे।
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