इसमें कोई संदेह नहीं है कि घुसपैठिये देश की सबसे जटिल समस्याओं में से एक हैं। यह वे लोग होते हैं, जो जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं। परंतु वोटबैंक की राजनीति के लिए देश की कुछ राजनीतिक पार्टियां इन्हीं घुसपैठिये को पालती-पोसती आयी हैं। हालांकि केंद्र में अब मजबूत निर्णय लेने वाली नरेंद्र मोदी सरकार और गृह मंत्री की कमान अमित शाह के हाथों में है, जिन्होंने अब इन घुसपैठियों की समस्या का स्थायी समाधान निकालने का निर्णय कर लिया है। इस लेख में हम जानेंगे कि अवैध घुसैपठियों और रोहिंग्या संकट की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह कौन-सा 3D मॉडल लेकर आये हैं?
“चाणक्य” के नाम से संबोधित किए जाने वाले अमित शाह भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार और देश के दमदार गृह मंत्री में से एक हैं। 2014 से लेकर अब तक भाजपा ने जो भी उपलब्धियां हासिल की है, उसमें अमित शाह की कुशल रणनीतियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। फिर चाहे वो पार्टी अध्यक्ष रहते हुए अमित शाह के द्वारा बनायी गयी तमाम रणनीति हो या फिर गृह मंत्री के तौर पर उनके द्वारा ऐतिहासिक निर्णय लेना हो।
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अमित शाह की अधिकारियों के साथ बैठक
इसी क्रम में कदम आगे बढ़ाते हुए अमित शाह ने अब घुसपैठियों की समस्या का समाधान निकालने का भी निश्चय कर लिया है, जिससे अब ऐसा प्रतीत होने लगा है कि रोहिंग्या संकट से भी भारत पार पा लेगा। घुसपैठियों को पहचानो, हिरासत में लो और फिर उनको उनके ही देश में छोड़ दो, यही है अमित शाह का 3D मॉडल। जी हां, हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों के सहायक खुफिया ब्यूरो यानी SIB के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी। इस महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ आतंकवाद के मुद्दों पर भी विशेष बातचीत की।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार 9 नवंबर को सभी राज्यों के एसआईबी के साथ इस बैठक में शाह ने अधिकारियों को प्रत्येक राज्य में लगभग 100 “अवैध प्रवासियों” की पहचान करने, उनके सभी दस्तावेजों की जांच करने और यदि संभव हो तो उन्हें गिरफ्तार करने और फिर उनको उनके देश भेजने का कार्य सौंपा है। इस दौरान गृह मंत्री ने अधिकारियों से लक्षित कार्रवाई जारी रखने के लिए कहा, भले ही पड़ोसी देश अनिर्दिष्ट प्रवासियों को स्वीकार न करें। देखा जाये तो घुसपैठियों (रोहिंग्या संकट) को भारत से उखाड़ फेंकने के लिए अमित शाह का ये 3D मॉडल (detecting, detaining and deporting) काफी लाभप्रद साबित होने वाला है।
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आईबी का आंकलन और रोहिंग्या संकट
गृह मंत्री का यह आदेश आईबी के आंकलन पर आधारित है। दरअसल, कुछ महीनों पूर्व ब्यूरो द्वारा गृह मंत्रालय को उत्तर प्रदेश और बिहार के क्षेत्रों में बढ़ते गरीबी के स्तर के बारे में जानकारी दी थी। साथ ही अपने विश्लेषण में आईबी ने यह भी पाया था कि इन बदलावों के पीछे सीमावर्ती इलाकों में मुस्लिम आबादी का बढ़ना एक बड़ा कारण है। उस समय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा उनसे घटना का अधिक गहराई से अध्ययन करने को कहा था।
नवंबर 2021 को आयोजित वार्षिक पुलिस महानिदेशक सम्मेलन में उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक पत्र प्रस्तुत किया था जिसके अनुसार, सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान्य रूप से जनसंख्या वृद्धि राष्ट्रीय औसत से अधिक है और इसमें लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। इस प्रस्तुति में बताया गया कि महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, पीलीभीत और खीरी के सात सीमावर्ती जिलों के 1,047 गांवों में से 303 गांवों में मुस्लिम आबादी 30-50 प्रतिशत के बीच है, जबकि 116 गांवों में मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत से कहीं अधिक है। यूपी पुलिस के पेपर में ऐसा कहा गया है कि सीमावर्ती जिलों में मस्जिदों और मदरसों की कुल संख्या फरवरी 2018 में 1,349 थी, जो सितंबर 2021 में बढ़कर 1,688 तक पहुंच गयी। बीते कुछ सालों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि ने जनसांख्यिकीय परिवर्तन के प्रभाव को सिद्ध किया है।
वैसे अमित शाह हमेशा से ही घुसैपिठयों की समस्या को गंभीरता से लेते आये है। घुसपैठियों के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी की नीति काफी हद तक स्पष्ट रही है। भाजपा इनका इस्तेमाल अपने वोटबैंक के लिए नहीं करती। वर्ष 2018 में भी अमित शाह ने घुसपैठियों को चुन चुनकर बाहर निकालने की बात कही थी। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के शक्ति केंद्र सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था– ‘‘भाजपा का संकल्प है कि एक भी बांग्लादेशी घुसपैठिया भारत में रहने नहीं देंगे, इन्हें चुन चुनकर निकाल देंगे।’’
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धर्मांतरण की घटनाओं में वृद्धि
इसके साथ ही 9 नवंबर की इस अहम बैठक में शाह ने अधिकारियों से ईसाई समूहों के द्वारा संगठित धर्म परिवर्तन पर भी नज़र रखने को कहा है। क्योंकि देखा जाये तो पिछले कुछ समय से देश में धर्मपरिवर्तन की घटनाओं में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है। हाल ही में अकाल तख्त ने सिखों के ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण का हवाला देते हुए पंजाब में एक धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने की मांग की है।
अमित शाह ने इस बैठक में एक बात की तो पुष्टि कर दी है कि गैरकानूनी रूप से जिस घर में रह रहे हैं, उसे ही दीमक की तरह चाटने वाले घुसपैठियों को किसी भी कीमत में छोड़ा नहीं जायेगा। अब इसमें शाह का यह 3D मॉडल कितनी बड़ी भूमिका निभाता है, यह देखने वाली बात होगी।
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