बेबाक, कुशल, निडर और सिंघम, अब आप सोच रहे होंगे आखिर हम इन शब्दों का प्रयोग किस व्यक्ति के लिए कर रहे हैं? हम यहां बात तमिनलाडु भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ‘अन्नामलाई’ (K Annamalai) की कर रहे हैं। यदि अन्नामलाई को भाजपा की एक महान खोज कहें, तो यह गलत नहीं होगा। अन्नमलाई भाजपा के साउथ सुपरस्टार बनकर उभर रहे हैं। वह हमेशा से ही अपनी विचारधारा और उद्देश्य को लेकर काफी स्पष्ट दिखायी देते हैं और लोकहित को वरीयता देते हैं। वे तमिलनाडु में उन मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हैं, जिन पर विपक्ष बोलने से झिझकता है।
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फैसले के विरोध में उतरे के अन्नामलाई
अब इन्हीं अन्नमलाई ने तमिलनाडु चाय बागानों में काम करने वाले 15 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका की रक्षा करने का जिम्मा उठाया है। दरअसल, हाल ही में तमिलनाडु की स्टालिन सरकार (Stalin Government) ने तमिलनाडु चाय बागान निगम (TANTEA) को वन विभाग को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है, जिसके विरोध में ही अन्नमलाई उतर आये हैं और उन्होंने स्टालिन सरकार से इस फैसले को वापस लेने को कहा है।
इसको लेकर राज्य भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने अपने एक बयान में कहा है कि TANTEA (तमिलनाडु टी प्लांटेशन कॉरपोरेशन) के नियंत्रण वाली 2,152 हेक्टेयर भूमि को तमिलनाडु वन विभाग में स्थानांतरित करने से श्रीलंका से आए कई तमिलों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। अन्नामलाई ने कहा कि 1964 के सिरीमावो-शास्त्री समझौते के तहत श्रीलंका से वापस लाये गये 15,000 से अधिक परिवार अपनी आजीविका के लिए TANTEA पर ही निर्भर हैं। उन्होंने बताया है कि वह 20 नवंबर यानी रविवार को नीलगिरी जिले के गुडलूर में अपनी पार्टी द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले हैं।
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हजारों परिवार की आजीविका पर खतरा
भाजपा नेता (K Annamalai) ने कहा कि भूमि हस्तांतरण का यह कदम मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने चुनाव से पहले TANTEA के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने के वादे के विरुद्ध है। साथ ही ये भी कहा है कि भूमि हस्तांतरण बड़ी संख्या में कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर कर देगा और इससे 2,400 परिवारों के भविष्य पर खतरे आ सकता है। अन्नमलाई जिस तरह से इस मुद्दे को लेकर मुखर हो रहे हैं उससे तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है कि मानो वो 15,000 लोगों की रक्षा और उनके हक के लिए लड़ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन से भिड़ने के लिए तैयार हैं।
यहां यह जान लें कि TANTEA की स्थापना वर्ष 1968 में तत्कालीन सरकार द्वारा उन तमिलों के लिए आजीविका बनाने के लिए की गयी थी, जो श्रीलंका से सिरिमावो-शास्त्री समझौते के तहत वापस आये थे। इसके साथ ही तत्कालीन सरकार द्वारा इन्हें आवास की सुविधा भी प्रदान की गयी थी। वहीं इन्हीं TANTEA के चाय बागान के 4,053 हेक्टेयर में से 2,152 हेक्टेयर को वर्तमान सरकार ने वन विभाग को सौंपने का निर्णय लिया, जिसके परिणामस्वरूप वालपराई और नीलगिरी में सात इकाइयां बंद हो जाएगी। इससे चाय बागान श्रमिकों के लिए बेरोजगारी पैदा करेगा और उनकी आजीविका पर खतरा आ जायेगा। बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में कहा था कि वह TANTEA को वन विभाग को हस्तांतरित करके हर वर्ष 5.98 करोड़ रुपये बचाऐगी।
अन्नामलाई के अनुसार तमिलनाडु सरकार द्वारा पूर्व में TANTEA के श्रमिकों को नियमत करने का वादा किया गया था, परंतु मुख्यमंत्री एम के स्टालिन अपने वादे से मुकरकर ऐसे निर्णय ले रहे हैं। वैसे जो व्यक्ति मंदिरों को दान में मिलने वाले सोने को पिघलाकर उनकी ईंटे बनवाने और फिर उसे बैंक में रखकर राजस्व कमाने का फैसला दे सकता है, उससे भला और उम्मीद भी क्या की जा सकती है।
वहीं जुलाई 2022 में TANTEA जो 10,000 एकड़ के क्षेत्र में चाय की खेती किया करती थी, उसने तीव्र वित्तीय संकट को ध्यान में रखते हुए अपनी खेती को आधा करने का निर्णय किया था। TANTEA के एक वरिष्ठ अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया था कि संगठन इस समय वित्तीय संकट से जूझ रहा है और इसे बचाने की एकमात्र संभावना इसके वृक्षारोपण क्षेत्र को घटाकर उसे आधा करना है। अधिकारियों की मानें तो यदि वृक्षारोपण को आधा कर देने से तो ओवरहेड और अन्य खर्चों को भी कम करने में सहायता मिलेगी।
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अन्नामलाई से हो रहा स्टालिन का सामना
तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार को लेकर समय समय पर कई फैसले सामने आते रहे हैं, जिससे लोगों का हित कम और उनकी राजनीति अधिक दिखाई दी है। फिर चाहे वो हिन्दुओं के धार्मिक स्थल के मंदिरों को तोड़ने की बात हो या फिर किसी धार्मिक आयोजन पर प्रतिबंध लगाना हो। दरअसल एक अनुष्ठानिक यात्रा में पालकी में मठाधीश द्वारा सिर ले जाने की सदियों पुरानी प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। आरडीओ ने मानवाधिकारों के उल्लंघन और कानून व्यवस्था के मुद्दों का आरोप लगाया और अंततः अनुष्ठान पर प्रतिबंध लगा दिया था। स्टालिन सरकार की कई सारी तुच्छ हरकतों पर उनकी देशव्यापी आलोचना हो चुकी है।
हालांकि एम के स्टालिन का सामना इस बार अन्नामलाई से हो रहा है, जो निरंतर लोगों के न्याय और उनके हक के लिए लड़ने का काम कर रहे हैं। अन्नामलाई कर्नाटक कैडर के 2011 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। भाजपा उपाध्यक्ष के एस नरेंद्रन ने उनको लेकर कहा था- “वह एक युवा प्रतीक हैं। उन्होंने दिखाया है कि वह एक IPS अधिकारी के रूप में एक सख्त और अच्छे प्रशासक हैं। उन्होंने कम उम्र में ही सेवा छोड़ दी और अपने राष्ट्रवादी आदर्शों के कारण हमसे जुड़ गए।” निश्चित ही भाजपा आलाकमान ने अन्नामलाई के रूप में तमिलनाडु में भाजपा का नेतृत्व करने का जिम्मा इस बार अच्छे हाथों में सौंपा है, जो राज्य में भाजपा को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।
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