Bollywood Underrated Actors: अभिनय एक ऐसी कला है, जहां पर आप चंद पलों के लिए सम्राट भी हैं और पूरे जीवन के लिए रंक भी। यह व्यक्ति से व्यक्ति पर निर्भर करता है और हमारे उद्योग में कुछ ऐसे अभिनेता हुए हैं, जिन्होंने अपने अभिनय से एक ऐसा मंच तैयार किया, जिससे सबकी आंखें उसी एक व्यक्ति की ओर मुड़ जाएं।
आम तौर पर तालियां और सीटियां फिल्म में हीरो या हीरोइन के लिए होती है, परंतु यदि कोई अन्य अभिनेता अपने कौशल से इस कीर्ति को प्राप्त करें, तो कुछ तो बात होगी। ऐसे ही कुछ व्यक्तियों और उनके किरदारों से आपको परिचित कराते हैं, जिनके किरदार सीमित थे, पर उनके अभिनय ने दर्शकों को उनका प्रशंसक बना दिया।
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1. अजय देवगन
जब फिल्म बनी हो एक जोड़े के कथित रोमांस को अधिक बल देने के लिए और सारा मजा एक अन्य एक्टर अपने प्रतिभा से लूट ले जाए, तो? कुछ ऐसा ही हुआ था हम दिल दे चुके सनम में। फिल्म में भी और फिल्म के अतिरिक्त भी सलमान खान और ऐश्वर्या राय का रोमांस सर्वविदित था, परंतु वनराज की भूमिका में जो प्रभाव अजय देवगन ने डाला, उसके समक्ष सलमान खान पूरी तरह फीके पड़ गए। अभिनय इसे ही कहते हैं।
Bollywood Underrated Actors: 2. विजय राज
एक होते हैं कुशल अभिनेता, फिर आते हैं उत्कृष्ट अभिनेता और फिर आते हैं विजय राज। जब फिल्म किसी विषय पर बनी हो, लीड में कोई हो, परंतु उससे इतर लोग केवल आपके अभिनय पर ध्यान दे, तो समझ जाइए कि आपने क्या प्राप्त किया। ऐसे हैं विजय राज, जिन्होंने रन नामक मूवी में गणेश यादव नामक किरदार को पूर्णत्या अपना बना दिया। वे आए थे हास्य कलाकार बनकर, परंतु अगर ये फिल्म केवल उन्हीं के इर्दगिर्द बनती है तो विश्वास मानिए, यह फिल्म अधिक पैसा कमाती।
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3. केके मेनन
क्या हो यदि आप एक फिल्म बनाए, जहां आप हर तरह से भारतीय सेना को अपमानित करना चाहे, आपका नायक उसे पूर्ण समर्थन दे, परंतु एक अभिनेता अपने अभिनय से पूरा खेल बिगाड़ दे? समर खान के ‘शौर्य’ में केके मेनन ने वही किया। ‘अ फ़्यू गुड मेन’ के हिन्दी रीमेक के रूप में बनी यह फिल्म यूं तो भारतीय सेना का नकारात्मक चित्रण करना चाहती थी और केके मेनन के किरदार को इसी भांति ढाला भी गया, परंतु हुआ ठीक उल्टा। उन्होंने इतनी बढ़िया और दमदार एक्टिंग की कि आज मेजर सिद्धांत चौधरी या कैप्टन जावेद खान को नहीं ब्रिगेडियर रूद्र प्रताप सिंह को अधिक मानते हैं।
4. परेश रावल
जब फिल्म में एक नहीं दो दो स्टार हो, परंतु सारी लाईंमलाइट एक ऐसा व्यक्ति ले जाए, जिसे केवल अभिनय से मतलब हो तो इसका अर्थ है कि अभिनय विजयी हुआ और यही हुआ परेश रावल के साथ भी। अधिकतम नकारात्मक या कैरेक्टर रोल के लिए चर्चा में रहने वाले परेश रावल ने प्रियदर्शन के रामजी राव स्पीकिंग के हिन्दी संस्करण ‘हेराफेरी’ में जिस प्रकार से बाबूराव गणपतराव आप्टे, राजू और श्याम दोनों पर भारी पड़े।
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5. सनी देओल
कल्पना कीजिए कि आप एक अधिवक्ता हैं, जिसके पास कुछ नहीं है। आप मदिरापान करते हैं, परंतु आप एक असहाय स्त्री और उसके न्याय की लड़ाई में उसका साथ देते हैं और आश्चर्यजनक रूप से आप विजयी हो जाते हैं। ऐसे रोल को कौन करना चाहेगा? क्या इस रोल में कोई यश प्राप्त होगा? ये सवाल अजय सिंह देओल ने भी स्वयं से पूछा ही होगा, परंतु गोविंद के उस रोल में ऐसी जान डाली कि दामिनी में उनका डंका सबसे अधिक बजा और कई जगह वे ऋषि कपूर और मीनाक्षी शेषाद्रि पर भी पड़े। यूं ही नहीं सनी पाजी को इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर और राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
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