कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो कि इंसान के शरीर को धीरे-धीरे बर्बादी की ओर ले जाती हैं। डायबिटीज अर्थात् मधुमेह कुछ ऐसा ही रोग है जिसे एक मीठा जहर कहा जाता है। अब अहम बात यह है कि डायबिटीज के भी दो प्रमुख प्रकार होते हैं, जिसमें टाइप-2 डायबिटीज को सर्वाधिक खतरनाक समझा जाता है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि आखिर डायबिटीज टाइप-2 होता क्या है और इसके लक्षण से लेकर इसके रोकथाम या इलाज क्या क्या हैं?
अगर हम दोनों डायबिटीज की बात करें तो डायबिटीज़ टाइप-1 और डायबिटीज़ टाइप-2 तब होती है, जब शरीर ग्लूकोज़ को ठीक से स्टोर और उपयोग नहीं कर पाता है, जो ऊर्जा के लिए आवश्यक है। यह ग्लूकोज़ रक्त में इकठ्ठा हो जाता है और उन कोशिकाओं तक नहीं पहुंचता है जिन्हें इसकी आवश्यकता होती है, जिससे गंभीर जटिलताएं होती हैं। ग्लूकोज़ वह ईंधन है जो आपके शरीर की कोशिकाओं के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन आपकी कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए इसे एक कुंजी की आवश्यकता होती है जो कि इंसुलिन होता है।
अब इसमें अहम बात यह है कि जो लोग टाइप-2 डायबिटीज़ से पीड़ित होते हैं, उनमें इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है और आगे चलकर बीमारी में पैंक्रियाज अक्सर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता। दोनों तरह की डायबिटीज़ में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा होता है और यही खतरे का कारण बनता है। आज कल की शहरी लाइफस्टाइल इसके लिए बेहद जिम्मेदार मानी जाती है क्योंकि लोगों को सही पोषण नहीं मिलता है। वहीं, दूसरी ओर वे न तो व्यायाम करते हैं और न ही फिजिकल एक्सरसाइज पर ध्यान देते हैं, न ही खान-पान को लेकर जागरूक होते हैं।
तथ्यात्मक बात यह भी है कि यदि किसी व्यक्ति को वंशानुगत कारणों से डायबिटीज होती है तो इसे टाइप-1 डायबिटीज कहा जाता है, जबकि कुछ लोगों में गलत लाइफस्टाइल और खान-पान के कारण यह बीमारी घर कर जाती है। इस स्थिति को टाइप-2 डायबिटीज कहते हैं।
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डायबिटीज टाइप-2 के कारण?
- डायबिटीज टाइप-2 बहुत अधिक फैट, हाई बीपी, समय पर न सोना, सुबह देर तक सोना, बहुत अधिक नशा करना और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण भी होती है।
- इंसुलिन कम होने से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है।
- डायबिटीज टाइप-2 का एक कारण शरीर में इंसुलिन कम बनना भी होता है। ऐसा कुछ शारीरिक कारणों या गलत खान-पान के कारण भी हो सकता है।
भारत में तेजी से बढ़ रहा है डायबिटीज टाइप-2
आपको बता दें कि भारत में डायबिटीज के ज्यादातर मामलों में टाइप-2 डायबिटीज के केस सामने आए हैं। जिसका कारण इंसुलिन रेजिस्टेंट और पैंक्रियाज का धीरे-धीरे इंसुलिन को बनाने की क्षमता का कम होना है। इसके अलावा कुछ अन्य फैक्टर्स भी हैं जो टाइप-2 डायबिटीज के डेवलपमेंट में जिम्मेदार होते हैं। जानकारी के अनुसार इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के 2017 के डेटा से पता चलता है कि भारत में 7 करोड़ 20 लाख व्यस्क डायबिटीज के साथ जी रहे हैं, अब इनकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी ही हुई होगी। भारत में शहरों और महानगरीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में डायबिटीज होने की संभावना पहले से कहीं अधिक होती है। यह कुछ हद तक लाइफस्टाइल को बढ़ावा देने वाले शहरों के कारण है, जो किसी व्यक्ति के बॉडी मास इंडेक्स को बढ़ा सकते हैं।
इंटीग्रेटेड मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ कल्लोल गुहा बताते हैं कि हमारे शरीर में इंसुलिन कम बनने से रक्त में मौजूद कोशिकाएं इस हॉर्मोन के प्रति बहुत कम संवेदनशीलता दिखाती हैं। इस कारण रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है और यही डायबिटीज टाइप-2 का मुख्य कारण है। उन्होंने इसके समाधान भी बताए हैं। आप लिंक पर क्लिक कर उनकी वीडियो देख सकते हैं।
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टाइप-2 डायबिटीज के लक्षण
टाइप 2 डायबिटीज में कई लोगों को कोई लक्षण महसूस नहीं होता, जबकि कुछ संकेतों को बुढ़ापे के संकेत समझकर नजर अंदाज कर दिया जाता है। इसलिए टाइप-2 मधुमेह का पता अक्सर किसी अन्य बीमारी की जांच करने के दौरान ही लगता है। टाइप-2 मधुमेह में लोगों को अक्सर निम्न प्रकार के लक्षण महसूस होते हैं-
- थकान व सुस्ती महसूस होना
- हमेशा भूख लगी रहना
- अधिक प्यास लगना
- बार-बार पेशाब आना खासकर रात के समय
- त्वचा संक्रमण
- धुंधला दिखाई देना
- बिना किसी कारण के शरीर का वजन कम होना
- सिरदर्द होना
- चक्कर आने जैसा महसूस होना
- टांगों में ऐंठन होना
- जननांगों के आस-पास खुजली होना
- त्वचा पर लगा कट या घाव ठीक होने में अधिक समय लगना
- खुजली होना, चिड़चिड़ापन होना
- बार-बार मूड में बदलाव होना
- त्वचा पर काले रंग के चकत्ते बनना
टाइप-2 मधुमेह से ग्रस्त कुछ लोगों की जांघों व गर्दन पर काले रंग के धब्बे बनने लग जाते हैं।
क्या हैं बचाव के तरीके?
अब सवाल यह भी है आखिर इसके बचाव के क्या विकल्प हैं तो चलिए इस पर भी बात कर ही लेते हैं। इसके लिए आप-
- नियमित रूप से जांच करवाने के लिए डॉक्टर के पास जाते रहें
- मीठे पदार्थ ना पिएं
- अपने शरीर के वजन को सामान्य रखें
- बाहर का खाना ना खाएं
- शराब ना पिएं
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें
- स्वस्थ आहार खाएं
- गतिहीन जीवन से बचें
- धूम्रपान ना करें
- ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें
यदि आप डायबिटीज टाइप-2 के मरीज हैं तो आपको सर्वाधिक ध्यान अपने आहार का रखना होगा। आप हरी पत्तेदार सब्जियां, दालचीनी, चिया के बीज, फ्लेक्स सीड (अलसी का बीज), योगर्ट, सेब का सिरका, लहसुन स्ट्राबेरी और नट्स आदि अपने खान पान में शामिल करें और परहेज करे।
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