कभी सोचा है कि फिल्म लाइगर के फ्लॉप होने के बाद पुरी जगन्नाध ने पुलिस सुरक्षा क्यों मांगी थी?

फिल्म लाइगर के बुरी तरह पिटने से इसके कलाकार और मेकर्स पर पहले ही सवाल उठ रहे थे लेकिन अब फिर से इस फिल्म के मेकर्स की मुश्किलें बढ़ गयी हैं और इस बार बात ईडी तक पहुंच गयी है। 

Ever thought why Puri Jagannadh sought police protection after Liger flopped?

source TFI

बिना आग लगे कभी धुआं नहीं उठता है और यह बात आज शत प्रतिशत सत्य होती दिख रही है। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं यह जानने और समझने के लिए आपको विजय देवरकोंडा की अति घटिया फिल्म लाइगर को याद करना होगा। फिल्म में एक चमकता हुआ स्टार किड भी था? याद आया? जी हां उसी बेसिर पैर वाली फिल्म से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आयी है। पहले ही जहां फिल्म के बुरी तरह से पिटने से इसके कलाकार और मेकर्स पर सवाल उठ रहे थे। वहीं अब फिर से इस फिल्म के मेकर्स की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।

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ईडी की पूछताछ

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने फिल्म के निर्माता और निर्देशक से काले धन और विदेशी फंडिंग के चलते करीब 12 घंटे तक पूछताछ की है। आपको याद होगा कि लाइगर के फ्लॉप होने के बाद फिल्म के निर्माता पुरी जगन्नाध ने डिस्ट्रीब्यूटर्स यानी वितरकों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाते हुए पुलिस सुरक्षा मांगी थी। एक फ्लॉप फिल्म को लेकर आखिर पुलिस सुरक्षा मांगने की बात कुछ हजम नहीं होती है।

अर्जुन रेड्डी’ जैसी बेहतरीन फिल्म से धमाल मचाने वाले साउथ एक्टर विजय देवरकोंडा ने ‘लाइगर’ मूवी से बॉलीवुड में अपना सिक्का जमाने का प्रयास किया था लेकिन शायद उन्होंने अपनी को-एक्टर यानी अनन्या पांडे और फिल्म की कहानी को चुनने में भारी गलती कर दी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी थी। इस फिल्म को पुरी जगन्नाध के द्वारा डायरेक्ट और करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन के साथ मिलकर प्रोड्यूस किया गया था। हिंदी और तेलुगू भाषा में बनी इस फिल्म के जबरदस्त प्रमोशन के बाद भी यह लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी थी।

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पानी की तरह पैसा बहाया गया

अब आप कहेंगे कि ईडी बीच में कहां से आया? तो हिंदुस्तान टाइम्स के सूत्रों के अनुसार, ईडी के अधिकारी उस कंपनी या लोगों के नाम जानना चाह रहे हैं जिन्होंने विजय देवरकोंडा की ‘लाइगर’ फिल्म को फंड दिया है। ईडी के अधिकारियों का ऐसा मानना है कि फिल्म को बनाने में विदेशी पैसों का प्रयोग किया गया है। ऐसा हो भी क्यों नहीं, आखिर फिल्म को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए पानी की तरह पैसा जो बहाया गया था। अब यदि ईडी का शक सही साबित होता है तो 1999 के विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम एक्ट (फेमा) का उल्लंघन होगा।

ईडी ने पुरी जगन्नाध और प्रोड्यूसर चार्मी कौर को निवेशकों की पहचान की पुष्टि कराने के लिए एक समन भेजा। इस फिल्म को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि इसमें कई नेताओं ने फिल्म में काले धन का निवेश किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ दिनों पहले ही फिल्म डायरेक्टर पुरी जगन्नाध ने फिल्म में पैसा लगाने वाले डिस्ट्रीब्यूटर्स के ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। इस पुलिस शिकायत में फिल्म फाइनेंसर जी. शोभन बाबू और अन्य के नाम शामिल थे। निर्देशक की ओर से पुलिस को की गयी शिकायत में कहा गया था कि वह वर्तमान में मुंबई में रहते हैं लेकिन उसका परिवार हैदराबाद में है। ऐसे में लाइगर के डिस्ट्रीब्यूटर्स उनकी फैमिली को परेशान करने और उनके घर से कीमती सामान को निकालने के लिए हमला करने की योजना बना रहे हैं। इसलिए उन्होंने हैदराबाद पुलिस से अपने परिवार के लिए सही सुरक्षा प्रदान करने की मांग की थी। जिससे वह खुद को और अपने परिवार को बचा सकें।

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रिकॉर्ड फोन कॉल

इसके बाद ही पुरी जगन्नाध का एक रिकॉर्ड फोन कॉल भी लीक हुआ था जिसे लेकर ऐसा दावा किया जा रहा था कि ये पुरी जगन्नाध और लाइगर के डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच हुई बातचीत है। कॉल में लाइगर के डायरेक्टर अपनी भाषा में कहते हैं, ’क्या तुम मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो? मुझे किसी को पैसे नहीं देने हैं. दुर्भाग्य से वो लोग बहुत लॉस में हैं. इसलिए मैंने वादा किया है कि उनकी कुछ मदद करूंगा. हमने पहले ही खरीददारों से बात कर रखी है. हमने एक अमाउंट पहले ही फिक्स कर दिया है. और वो उनको मंज़ूर है. हमने इसके लिए एक महीने का समय मांगा है. क्योंकि मुझे भी कुछ पैसों की बातचीत करनी है. हमारी मदद के बाद भी अगर आप ऐसे ही ओवरएक्ट करेंगे तो हम आपकी कोई भी सहायता  नहीं करेंगे.

आगे कहा गया कि- मुझे एक्जीबिटर्स से कुछ भी लेना-देना नहीं है. हम सभी यहां इकट्ठा हुए हैं. ये एक खेल जैसा ही है, जिसमें कुछ लोग हारते हैं. अगर इसमें मैं हारता हूं तो क्या मैं किसी से कुछ कहता हूं? अगर फिल्म बड़ी हिट होती है तो मुझे बहुत सारे काम करने पड़ते हैं ताकी खरीददारों से अपने पैसे ले सकूं. ‘पोकीरी’ से ‘आई स्मार्ट शंकर’ (फिल्म) तक मेरे बहुत से पैसे बायर्स के पास हैं. क्या बायर्स एसोसिएशन मेरे बिहाफ पर उन रुपयों को कलेक्ट करेगा?’

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इस फोन कॉल में बोले गए ब्लैकमेल, लॉस, पैसा और खेल जैसे शब्दों से इस बात का तो अंदाज़ा लगाया ही जा सकता है कि दाल में पहले से ही कुछ काला था। अब अगर इस फिल्म को लेकर ईडी काले धन और विदेशी फंडिंग का शक जता रही है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। साथ ही अगर ये शक सही भी साबित हो जाता है तो भी कोई बड़ी बात नहीं होगी। लेकिन ये बात तो हम सभी को तभी समझ लेनी चाहिए थी जब एक फ्लॉप फिल्म को लेकर फिल्म डायरेक्टर ने पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस कूड़ा फिल्म को बनाने के लिए आखिर किन मूर्ख नेताओं और विदेशी निवेशकों ने निवेश किया?

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