Badass Ravi Kumar: हिमेश रेशमिया – हर ट्रेड का ‘फनकार’

हिमेश रेशमिया ने म्‍यूजिक डायरेक्‍टर बनकर धूम मचाई. सिंगर बनकर सनसनी फैला दी. चाहत थी कि एक्‍टर बनकर कोहराम मचाएंगे लेकिन...

Badass Ravi Kumar

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देखो बंधुओं, योग्य केवल वही नहीं होता जो अच्छे और उत्कृष्ट उत्पाद निकाले परंतु अपने उत्पाद को ऐसे पेश करे कि लोग उसकी ओर आकर्षित होने पर विवश हो जाए, चाहे अच्छे के लिए या बुरे के लिए। बैटमैन में तो एक संवाद भी है, “किसी चीज में योग्य हैं तो कभी उसे मुफ़्त में न करें!” इस बात को हिमेश रेशमिया ने काफी गंभीरता से लिया है, जो इनके वर्तमान फिल्म ‘Badass RaviKumar’ में दिखाई देता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे हिमेश रेशमिया अपनी अनोखी उद्यमिता के बल पर संगीत से लेकर पैरोडी फिल्मों तक, धनोपार्जन के लिए कुछ भी करने को तैयार है।

देखो बंधुओं, इन दिनों टीज़रों की मानो बाढ़ सी आई है और हिमेश रेशमिया ने सोचा कि चलो गुरु, बहती गंगा में हम भी हाथ धो लें। सो अपने बहुचर्चित किरदार ‘रवि कुमार’ को समर्पित इन्होंने एक पूरा संसार ही रच दिया, जिसके अंतर्गत इन्होंने प्रथम फिल्म निकाली है ‘Badass Ravikumar’ और यह फिल्म कैसी होगी, इसके अनाउंसमेन्ट टीज़र से ही आप समझ सकते हैं।

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पैरोडी फिल्म उद्योग के अपने लाभ हैं

परंतु ठहरिए, जिस व्यक्ति ने 2000 के प्रारम्भिक दशक में नाक से ही गाके सही, पर कई युवाओं के हृदय में जगह बनाई और अपने संगीत से अनेकों देशवासियों को अपना प्रशंसक बनाया, वो अचानक से ऐसे नौटंकी पर कैसे उतर आया? क्या ये व्यवसायीकरण के साइड इफेक्ट हैं या फिर कुछ और? वास्तव में यह एक ऐसी युक्ति है, जिसमें व्यवसायीकरण भी है और तनिक रचनात्मकता भी और जिससे दर्शक भी परिचित हैं कि ये ऐसा ही होगा।

इस प्रथा का नाम है – Parody Genre। कभी सम्पूर्णेश बाबू के बारे में सुना है? यदि नहीं तो आपने इस तेलुगु आर्टिस्ट के कई हास्य से परिपूर्ण वीडियो तो अवश्य सोशल मीडिया पर यदा कदा देखे ही होंगे। ये जानबूझकर ऐसे वीडियो और फिल्में बनाते हैं, जिनके कॉन्टेन्ट लॉजिक से परे हैं, जिनकी कार्यशैली और जिनके विचार किसी भी स्थिति में आम फिल्मों जैसे नहीं होंगे।

देखिए, अब जगदीश शर्मा की ‘देशद्रोही’ या कान्ति शाह की ‘गुंडा’ पैरोडी Genre में चाहते हुए भी नहीं आती। ये बनी ही इतनी बेकार थी कि यह न चाहते हुए भी इस श्रेणी का हिस्सा बन गई परंतु सम्पूर्णेश बाबू की फिल्में Parody Genre में इसलिए आती हैं क्योंकि यह कभी भी गंभीरता से फिल्माई ही नहीं गई। एक उदाहरण बहुत पूर्व में बनी ‘Ramgarh ki Sholay’ भी थी, जो ‘Sholay’ की पैरोडी थी और इस शैली पर चर्चित यूट्यूबर साहिल चंदेल ने भी काफी प्रकाश डाला है।

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तो क्या हिमेश रेशमिया पैरोडी फिल्मों के माध्यम से नाम कमाना चाहते हैं? संभव है, क्योंकि ये भी अपने आप में एक लुभावना उद्योग है, जिसके अपने लाभ हैं और ऐसे में यदि हिमेश रेशमिया भारत के ऑस्टिन पावर्स बनते हैं तो आश्चर्यचकित मत होइएगा। अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्या बला हैं? परंतु कभी किसी ने सोचा था कि जेम्स बॉन्ड की खिंचाई करके भी नोट छापे जा सकते हैं और फिर हिमेश रेशमिया तो ठहरे बॉलीवुडिया, ऊपर से गुजराती, बाकी आप समझदार हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘Badass Ravikumar’ फिल्म की लोग खिंचाई कर रहे हैं, उसके केवल अनाउंसमेन्ट पर अगर 2.5 करोड़ से अधिक व्यूज आए हैं, तो सोचिए, इस फिल्म की रिलीज के बाद क्या होगा? वैसे भी ये भारत है, यहां कुछ भी हो सकता है!

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