आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि जो प्रतिभाशाली है वो तो कीचड़ में भी कमल समान खिल उठेगा। जहां पहले थकाऊ भर्ती प्रक्रिया, लंबी कतारें, कोटा सिस्टम, आरक्षण और नेताओं की सिफारिशों ने दिल्ली विश्वविद्यालय में सामान्य छात्रों के एडमिशन लेने को दूभर कर दिया था वहीं जब से CUET एग्जाम का आगमन हुआ तब से इन सभी चीज़ों पर लगाम लग गयी है। CUET ने डीयू में प्रवेश का एक सही तरीके से लोकतांत्रीकरण किया है। CUET से पहले अति उत्कृष्ट या अत्यंत निकृष्ट छात्रों का ही चयन संभव हो पाता था। ऐसे माहौल में कुछ मेधावी छात्र अवश्य सफलता प्राप्त कर लेते थे परन्तु इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय का कोई भी श्रेय नहीं था।
मेरिट लिस्ट के सहारे एडमिशन
देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों में एडमिशन हासिल करना, छात्रों के लिए किसी बड़े संघर्ष से कम नहीं होता था क्योंकि पहले DU के अधिकतर कॉलेजों में एडमिशन का सहारा मेरिट लिस्ट के आधार पर लिया जाता था। जिसके जितने नंबर आते थे उस हिसाब से उसे एडमिशन मिल जाता था। जिस समय DU में मेरिट के आधार पर एडमिशन मिलता था उसमें सीबीएससी, केरल आदि बोर्ड आगे रहते थ लेकिन जब से CUET एग्जाम का आगमन हुआ है तब से ये कुछ बोर्ड लिस्ट में नीचे आते दिखाई दे रहे है। ऐसे में साफ पता चलता है कि इन बोर्ड के छात्रों को नंबर तो मिल जाते थे लेकिन जब टेस्ट देने की बारी आयी तो ये बहुत पीछे दिखायी दिए। जिससे इनकी योग्यता का सच सामने आने लगा है।
इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में प्रवेश प्रक्रिया में कट-ऑफ से कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) में बदलाव होने के कारण कुछ राज्य बोर्डों के छात्रों को दूसरों की तुलना में अधिक सहायता मिली है। उदाहरण के लिए बिहार राज्य बोर्ड से डीयू में प्रवेश लेने वाले छात्रों के प्रतिशत में वृद्धि देखने को मिली है, जबकि केरल राज्य बोर्ड के लिए यह आंकड़ा नीचे गिरता हुआ दिख रहा है।
#CUET impact?
Top 5 Boards students admitted to Delhi University:2022
1. CBSE
2. CISCE
3. Bihar Board
4. UP Board
5. Rajasthan Board2021
1. CBSE
2. Haryana
3. CISCE
4. Kerala Board
5. Rajasthan BoardBased on data from first two rounds of seat allocations
(Indian Express)
— The Indian Index (@Indian_Index) November 12, 2022
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CUET के आने के बाद सब बदल रहा है
पहले जहां दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में अलग-अलग कोर्सेज़ के लिए एडमिशन देने की प्रक्रिया में कट-ऑफ मुसीबतों को खड़ा करने वाला प्रतीत होता था वहीं अब CUET के आने के बाद सब बदल रहा है। CUET यानी कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET or Common University Entrance Test) राष्ट्रीय स्तर की एक ऐसी प्रवेश परीक्षा के रूप में सामने आयी है जो नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित की जाती है। CUET एग्जाम का आयोजन केंद्रीय विश्वविद्यालयों के यूजी (UG) तथा पीजी (PG) पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिए किया जाता है। पहले जहां कुछ स्टूडेंट्स को 12वीं कक्षा में 95% नंबर लाने के बावजूद भी अपने मन चाहे कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलने में न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ते थे वहीं CUET एग्जाम के आने के बाद ऐसा नहीं है।
विश्वविद्यालय के द्वारा साझा किए गए प्रवेश डेटा के अनुसार, केरल बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन के छात्र जिनको पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश मिलने के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या का गठन हुआ था। वहीं कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के आरम्भ होने के बाद इस प्रवेश सत्र में ये सातवें स्थान पर पहुंच गया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी की सीबीएसई, जिसके देश भर में संबद्ध स्कूल हैं और इसलिए विभिन्न राज्यों के आवेदक इस वर्ष भी शीर्ष स्थान पर ही विराजमान है। सीट आवंटन के दूसरे दौर के बाद से उपलब्ध प्रवेश आंकड़ों की माने तो बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के राज्य शिक्षा बोर्डों को केरल बोर्ड से ऊपर रखा गया है।
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‘CUET एक अच्छा विकल्प’
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने इस पर कहा है कि “सीयूईटी ने सभी को एक समान मंच और समान अवसर प्रदान किया है क्योंकि अलग-अलग बोर्डों के अपने नियम, विनियम और मूल्यांकन के तरीके होते हैं। हम इस असमानता को कम करना चाहते थे और CUET इसके लिए एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह सभी को एक समान मंच प्रदान करता है।
खबरों के अनुसार, हिन्दू कॉलेज की राजनीति शास्त्र की 120 सीटों में 20 सीटें ही सामान्य छात्रों के लिए थी। ऐसे में कुल में से 2 को छोड़ दें तो अन्य सभी सीटों पर केरल के छात्रों का एडमिशन हुआ था। इसके साथ ही इस कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लिए दाखिले ही बंद हो गए थे। पहली लिस्ट में कोर्स के लिए कट ऑफ 100 प्रतिशत था। कंप्यूटर साइंस को लेकर स्थिति और भी बदतर थी। इस वर्ष केरल बोर्ड के केवल एक छात्र को एक ही कार्यक्रम में प्रवेश मिला है।
वहीं साल 2016 की बात करें तो तमिलनाडु राज्य बोर्ड के छात्रों ने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में अधिकांश सीटें अपने नाम की थी, जिसमें इसकी कट-ऑफ 98% निर्धारित किया गया था। इसके बाद 2021-22 के अंत में केरल बोर्ड के छात्रों ने इतनी अधिक संख्या में प्रवेश क्यों लिया इस बात की तह तक जाने के लिए तत्कालीन कुलपति योगेश त्यागी ने नौ सदस्यीय पैनल का गठन किया था। डीन ऑफ एडमिशन डी.एस. रावत की रिपोर्ट में ऐसा पाया गया था कि भारत में राज्य बोर्डों में अंकन योजना में महत्वपूर्ण भिन्नता थी।
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सभी छात्रों को सामान मंच
CUET को इस साल सभी छात्रों को सामान मंच देने के लिए पेश किया गया था। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने इसे पेश करते हुए कहा था कि CUET का उद्देश्य देशभर के उन छात्रों को समान अवसर प्रदान करना है जो भिन्न-भिन्न बोर्डों से प्रवेश चाहते हैं और विभिन्न क्षेत्रों से आवेदन करते हैं।
CUET एग्जाम के पहले जहां केरल के छात्रों ने DU में एडिशन मिलने पर अपना वर्चस्व जमा रखा था। वहीं अब योग्यता की बात आते ही अन्य बोर्डों ने केरल बोर्ड को धुल चटा दी है। वैसे तो केरल बोर्ड के मूल्यांकन पर पहले भी कई सवाल खड़े हो चुके हैं जैसे कि केरल में छात्रों को शत प्रतिशत अंक दिए जाते रहे हैं अर्थात बोर्ड द्वारा छात्रों का मूल्यांकन ढुलमुल तरीके से किया जाता है। लेकिन अब CUET एग्जाम से केरल छात्रों को मुफ्त में मिलने वाले झूठे अंकों की संख्या से पर्दा उठ गया है। साथ ही ये इस ओर भी ध्यान केंद्रित करता है कि छात्रों को अधिक नंबर दे देने से उनकी योग्यता का विकास नहीं होता है।
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