कोयंबटूर सिलेंडर ब्लास्ट: दक्षिण भारत का कोयंबटूर वैसे तो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, लेकिन इन दिनों यह 23 अक्टूबर को हुए एक सिलेंडर ब्लास्ट के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके अलावा आए दिन इस केस में नये-नये खुलासे हो रहे हैं और राज्य सरकार की विफलता भी सीधे तौर पर देखने को मिल रही है। दरअसल, 23 अक्टूबर को तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक कार ब्लास्ट हुआ था जिसमें उक्कड़म का रहने वाला जेमिशा मुबीन सवार था और इसी व्यक्ति पर ब्लास्ट करने का आरोप लगा, हालांकि यह व्यक्ति ब्लास्ट के दौरान ही मारा गया। इसके अलावा 6 और लोग पकड़े गए जिनका नाम मोहम्मद थलका, मोहम्मद असरुद्दीन, मोहम्मद रियाज, फिरोज इस्माइल, अफसर खान और मोहम्मद नवाज है। पकड़े जाने के बाद इन 6 लोगों को अब UAPA कानून के तहत पुलिस कस्टडी में रखा गया है।
इस पूरे मामले में यदि तमिलनाडु की स्टालिन सरकार के रुख की बात करें तो इस मुद्दे पर सरकार के द्वारा उतना ध्यान नहीं दिया गया जितनी गंभीरता से किसी सरकार को कोयंबटूर सिलेंडर ब्लास्ट मामले पर ध्यान देना चाहिए था। अब ऐसी स्थिति में किसी को तो आवाज उठानी ही थी और यहीं पर आती है तमिलनाडु भाजपा। तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष अन्नामलाई ने इस मामले में एक के बाद एक कई प्रश्न खड़े किए। इन्हीं उठाए गए प्रश्नों के दबाव में आकर अततः राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को इस मामले को लेकर एक निर्णय तक पहुंचना ही पड़ा। एमके स्टालिन के द्वारा इस मामले को जांच के लिए NIA को सौंप दिया गया। मामले पर आगे की जांच अब केंद्रीय एजेंसी NIA द्वारा ही की जा रही है।
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कोयंबटूर सिलेंडर ब्लास्ट: अन्नामलाई ने खड़े किए ये सवाल
प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने सरकार से प्रश्न करते हुए कहा था कि डीएमके 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आई थी और उसी के बाद से मुख्यमंत्री एम के स्टालिन गृह विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, लेकिन उनके आने के बाद से राज्य की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। इसके अलावा उन्होंने आशंका जाताते हुए कहा कि ये किसी प्रकार का ‘आत्मघाती हमला तो नहीं है’। यही नहीं अन्नामलाई के सवाल उठाने के बाद ही संदिग्धों की गिरफ्तारियां शुरू हुई। अतः इस बात में किसी भी तरह का संशय नहीं होना चाहिए कि यदि कोयंबटूर की घटना की जांच इतनी गहनता से की जा रही है और इस मामले पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है तो इसका पूरा श्रेय तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के अन्नामलाई को जाना चाहिए।
यहां ध्यान दी जाने वाली बात यह भी है कि जहां एक तरफ तमिलनाडु की कई स्थानीय पार्टियां और राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी AIADMK इस मामले को लेकर आवाज उठाने में कहीं भी दूर-दूर तक नहीं दिखायी देती, वहीं तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने इस मामले पर राज्य सरकार पर दबाव तो बनाया ही इसके साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र भी लिखा था। विपक्ष का तमगा लेकर आगे-आगे चलने वाली पार्टियों को तमिलनाडु भाजपा से तो सीखना ही चाहिए कि कैसे विपक्ष की भूमिका को पूरी जिम्मेदारी से निभानी होता है और कैसे तमिलनाडु जैसी अकर्मण्य सरकार पर दबाव बनाया जाता है।
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मामले के बारे में
चलिए अब मामले पर भी एक नजर डालते हैं। मौजूदा CCTV फुटेज के अनुसार रियाज, फिरोज और नवाज तीनों संदिग्धों को मुबीन की कार में 2 सिलेंडर और 3 ड्रम रखते हुए देखा गया था। इसके अलावा मोहम्मद थलका ने मुबीन और उसके एक रिश्तेदार को कार उपलब्ध कराई थी। इन सभी चीजों से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस धमाके की प्लानिंग कितने बड़े स्तर पर की गई थी।
जानकारी के अनुसार कोयंबटूर सिलेंडर ब्लास्ट होने के बाद मुबीन के घर से 75 किलो पोटेशियम नाइट्रेट, चारकोल और एल्युमीनियम पाउडर मिला था। इसके आलावा एक कागज भी मिला जिस पर कोयंबटूर की पांच जगहों के नाम लिखे हुए थे, जिसमें कमिश्नरेट, कलेक्ट्रेट, विक्टोरिया हॉल, कोयंबटूर रेलवे स्टेशन और रेस कोर्स जैसी जगहों के नाम लिखे हुए थे।
बम बनाने की मंशा से घर में रखे थे विस्फोटक
कोयंबटूर के पुलिस कमिश्नर बालकृष्णन ने बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि मौके से मिले सामान का उपयोग कम विस्फोटक वाले बम बनाने में किया गया था। यही नहीं मुबीन के घर से 75 किलोग्राम विस्फोटक और कुछ खाली बक्से पाए जाने के बाद पुलिस ने कहा कि उसकी मंशा और ज्यादा बम बनाने की थी। इसके अलावा मोबाइल की जांच होने के बाद पता चला कि यूट्यूब पर उसने बम बनाने के लिए सर्चिंग की थी.
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मुबीन से 2019 में भी पूछताछ कर चुकी है NIA
कार ब्लास्ट हमले में मारा गया मुबीन पहले से ही आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा हुआ था और 2019 में NIA इससे पूछताछ भी कर चुकी है। इसके आलवा मुबीन पर श्रीलंका में ईस्ट संडे पर हुए कोयंबटूर सिलेंडर ब्लास्ट के मास्टरमाइंड मोहम्मद अजहरुद्दीन के करीबी होने का भी शक था। लेकिन पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण उस वक्त उसे छोड़ दिया गया था। मुबीन, अजहरुद्दीन जहरान हाशिम का कट्टर अनुयायी था और वह इसे पूरी तरह से फॉलो करता था।
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सारगर्भित बात यह है कि तमिलनाडु सरकार को यह समझ जाना चाहिए कि अब वह किसी बड़े मुद्दे पर निकम्मों की तरह न तो व्यवहार कर सकती है और न तो राज्य के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से वह दूर भाग सकती है क्योंकि उसके सामने सक्रिय और सशक्त तमिलनाडु भाजपा है जिसके दबाव और प्रश्नों को झेलना अब उसके बस की बात नहीं।
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