“भारत के बुद्धिजीवी भारत-विरोधी हैं”, ऑस्ट्रेलियाई समाजशास्त्री ने राजदीप सरदेसाई को दिन में तारे दिखा दिए

भारत के बुद्धजीवियों को लेकर जो भारत की जनता सोचती है वही दुनिया के लोग भी सोचते हैं। अब ऑस्ट्रेलिया के समाजशास्त्री ने भी भारतीय बुद्धजीवियों की पोल खोलकर रख दी, वो भी राजदीप सरदेसाई के सामने।

sardesai

का समझे थे, कि मोदी के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप के नाम पर भारत को अपमानित करोगे, नौटंकी करोगे, और बच निकलोगे? देखो भई, हम विशुद्ध भारतीय हैं, वैश्विक मान्यता की हमें विशेष आवश्यकता नहीं है, परंतु यदि कोई व्यक्ति निशंक होकर, स्वच्छ भाव से हमारे विचारधारा को मानता है, और हमारे देश में विषैले मानसिकता को बढ़ावा देने वाले बुद्धिजीवी वर्ग को कूटता है, तो क्या बुरा है?

इस लेख में जानेंगे कि कैसे एक ऑस्ट्रेलियाई समाजशास्त्री ने प्रोपगैंडा की दुकान, राजदीप सरदेसाई को दिन में तारे दिखा दिए।

और पढ़ें- ‘आग लगाओ अभियान’ के बचाव में अब कांग्रेस ने राजदीप सरदेसाई को उतार दिया है

‘सही जानकारी का अभाव’

हाल ही में जनता को संबोधित करते हुए इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच पर सोशियोलॉजिस्ट सैल्वाटोर बाबोनेस ने कहा कि भारत को फासीवादी दर्शाने के पीछे ग्लोबल मीडिया का हाथ है। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक छवि को जो चीजें प्रभावित करती है, वह सही जानकारी का अभाव है।

राजदीप सरदेसाई के साथ वार्तालाप करते हुए यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के एसोसिएट प्रोफेसर और सोशियोलॉजिस्ट सैल्वाटोर बेबोनेस ने बताया, “भारत दुनिया का सबसे सफल लोकतंत्र है। भारत ने उपनिवेशवाद से बाहर निकलकर खुद को ग्लोबल स्तर पर साबित किया है”।

और पढ़ें- ‘प्रियंका कांड’ पर हिमंता ने राजदीप सरदेसाई के एक झन्नाटेदार थप्पड़ मारा है!

राजदीप कि सिट्टी-पिट्टी गुम

परंतु वे उतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने हंगर इंडेक्स, प्रेस फ्रीडम जैसे पैमानों पर भारत के कथित रैंक पर राजदीप को उल्टा दर्पण दिखाते हुए कहा कि इन रैंकिंग्स को दरअसल सर्वे के आधार पर तैयार किया जाता है। अब सवाल ये है कि ये सर्वे किन लोगों पर किए जाते हैं, इनमें इंटेलेक्चुअल वर्ग से जुड़े लोग, विदेश और भारत के छात्र, एनजीओ और मानवाधिकार संगठनों से जुड़े लोग होते हैं। इन रैंकिंग्स में भारत को गलत आंका जाता है।

परंतु कथा यहीं पर समाप्त नहीं हुई थी। प्रोफेसर बेबोनेस ने आगे कुछ ऐसा बोला जिससे राजदीप कि सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। उन्होंने बताया, “भारत को फासीवादी दर्शाने के पीछे ग्लोबल मीडिया का हाथ है। भारत की वैश्विक छवि को जो चीजें प्रभावित करती है, वह सही जानकारी का अभाव है। वैश्विक मीडिया और दुनिया के पास भारत के बारे में सही जानकारी ही नहीं है। इसके अतिरिक्त समस्या यह है कि भारत का बुद्धिजीवी वर्ग देश विरोधी है. यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं यहां वर्ग की बात कर रहा हूं, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं। यह बुद्धिजीवी वर्ग मोदी विरोधी भी है और भारतीय जनता पार्टी का भी विरोधी है”।

और पढ़ें- नरोत्तम मिश्रा ने अपने इंटरव्यू में राजदीप सरदेसाई की लंका लगा दी

 बेइज्जती का दूसरा नाम राजदीप

अब बेइज्जती का दूसरा नाम राजदीप है, या राजदीप बेइज्जती का पहला नाम, इस पर बाद में चर्चा होगी, परंतु इतना तो तय है कि यह प्रथम अवसर नहीं है कि इनके खोखले एजेंडे की इतनी बुरी तरह धज्जियां उड़ाई गई हो। कुछ ही समय पूर्व जब दिल्ली में भारी बरसात हुई थी, तो जगह जगह पानी भरा हुआ था, और महोदय छाती ठोंक कर हाल ही में उद्घाटन किए सेंट्रल विस्टा के कर्तव्य पथ अंडर पास के जलभराव की फोटो ट्विटर पर डाल रहे थे। परंतु जब लोगों ने बताया कि वह फोटो निर्माण से पूर्व की थी, तो वह काफी बहस के बाद चुपके से उसे बिना किसी माफी के डिलीट करके खिसकते बने।

और पढ़ें- राजदीप सरदेसाई को आरिफ़ मोहम्मद खान और विक्रम संपत ने धो डाला

पर छोड़िए, आशा भी किससे कर रहे हैं, ये वो राजदीप हैं, जिनके एजेंडावाद के चर्चे पूरे देशभर में चर्चित हैं। ऑस्ट्रेलियाई समाजशास्त्री तो केवल एक उदाहरण हैं, इन्हें तो सानिया मिर्ज़ा तक से इनके ओछे रिपोर्टिंग के लिए उलाहने मिल चुके हैं। पर जो अपनी गलतियों से सीख ले, वो राजदीप कहाँ?

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें। 

Exit mobile version