‘भारत को ज्ञान न दे’, पश्चिमी देशों के व्यवहार पर दिखा जयशंकर का ‘रौद्र रूप’

एस जयशंकर पिछले लंबे समय से पश्चिम का धागा खोलते आ रहे हैं और इस बार ऐसा चाबुक चलाया है कि वे चाहकर 'चीख' भी नहीं सकते.

S Jaishankar

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इस दुनिया में तकरीबन हर खराब चीज बदली जा सकती है लेकिन अगर कुछ नहीं बदली जा सकती है तो वह है किस्मत। लेकिन वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को देखकर यह कहा जा सकता है कि अगर आप ठान ले तो किस्मत भी बदली जा सकती है। वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका आज कैसी है और क्या है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है और इसके पीछे पीएम मोदी के मिसाइल यानी देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर का बहुत बड़ा हाथ है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने एक बार फिर से पश्चिमी देशों पर ऐसा चाबुक चलाया है कि वो चाहकर अब चीख भी नहीं सकते।

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अब भारत की विदेश नीति ‘भारत’ के हिसाब से चलती है

दरअसल, विदेश मंत्री एस जयशंकर शुक्रवार को टाइम्स नाउ समिट 2022 में एक अतिथि के तौर पर आमंत्रित किए गए थे और समान्य सी बात है कि देश के विदेश मंत्री हैं तो देश-दुनिया से जुड़े मुद्दों पर उनसे सवाल तो किए ही जाएंगे। विदेश मंत्री से रूस-यूक्रेने युद्ध को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि भारत वर्षों से पाकिस्तान और अफगानिस्तान से जुड़े मद्दों पर मतभेद होने के बावजूद भी पश्चिम के साथ काम करता रहा है। इसलिए उन्हें भी भारत की नीतियों से अपना सामंजस्य बिठाना ही पड़ेगा और अगर भारत का रूख पश्चिम की उम्मीदों से मेल नहीं खाता तो ये पश्चिम की समस्या है, भारत की नहीं।

इसके अलावा एस जयशंकर ने कहा कि बाली में जी20 देशों के शिखर सम्मेलन का नतीजा भी इस मसले पर पीएम नरेंद्र मोदी के जजमेंट को सही साबित करता है और हमारी विदेश नीति किसी दूसरे देश के अनुसार नहीं चलती है अपितु हम वही करते हैं जो भारत के हित में होता है।

विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के विषय पर बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान को लेकर पश्चिम के साथ हमारे ऐतिहासिक मतभेद हैं और अभी भी मतभेद पूरी तरह से समाप्त नहीं हुए हैं। परन्तु हम फिर भी पश्चिम के साथ लगातार इतने वर्षों से काम कर रहे हैं और रही बात रूस-यूक्रेन युद्ध की तो भारत युद्ध की शुरूआत से ही शांति के पक्ष में है और दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने का लगातार प्रयत्न कर रहे हैं।

QUAD को लेकर कही ये बात

एस. जयशंकर से जब पूछा गया कि क्या इस मामले पर भारत की पोजिशन QUAD देशों से अलग है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि QUAD देश एक जैसे रास्ते पर चलेंगे यह तो कभी भी तय नहीं हुआ था। अगर QUAD देशों में से किसी को भारत से उम्मीदें हैं तो भारत को भी उनसे उम्मीदें हैं। पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा एक पड़ोसी देश है जो आतंकवादी गतिविधियां करता है परन्तु QUAD देशों की आतंकवाद के विषय पर सामूहिक एकता कहां चली जाती है। जिस तरह यूक्रेन को चुनकर भारत से सवाल पूछे जाते हैं वैसे हम भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मुद्दे को उठाकर उनसे सवाल पूछ सकते हैं।

QUAD चार देशों का समूह है जिसका पूरा नाम ‘Quadrilateral Security Dialogue’ है और अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान इसके सदस्य हैं। इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सभी राजनीतिक और सुरक्षा के मामलों पर आपसी सामंजस्य बनाए रखना है।

विदेश मंत्री ने विश्व के भविष्य की ओर संकेत करते हुए कहा कि हमने रूस-यूक्रेन युद्ध देखा है और हम कई देशों को प्रभावित करने वाली जलवायु घटनाओं को देख रहे हैं। इसीलिए हमें यह मानकर चलना होगा कि आने वाले समय में कई प्रकार के संकट आ सकते हैं और हमें उसके लिए तैयार रहना होगा। इसके अलावा आने वाला आधा दशक दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसिलए उस कठिन समय के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। यदि विदेश मंत्री के इस तरह के कठोर बयानों की बात की जाए तो यह कोई नयी बात नहीं है। वो पहले भी विश्व पटल पर भारत की अस्मिता को ध्यान में रखते हुए ‘वैश्विक चौधरियों’ को कठोर से कठोर  से जवाब देते रहे हैं।

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