एक संगीतज्ञ का आंकलन किस पैमाने पर होना चाहिए। क्या ये कि उसकी कला कितनी उत्कृष्ट है, उसके संगीत से कितने लोग प्रभावित हुए या ये कि उसने कितने पुरस्कार जीते? अगर पुरस्कार ही सब कुछ है तो क्षमा करें, ये बड़ी ही घटिया सोच है। हमारे देश में इलैयाराजा (Ilayaraja) और एमएम कीरावाणी जैसे रत्नों को अनदेखा कर एआर रहमान जैसे नमूनों को कुछ ज्यादा ही भाव दिया गया है, जो केवल आधुनिक तकनीक के बल पर उछलते रहे हैं।
पोन्नियन सेल्वन को प्रदर्शित हुए कई माह हो चुके हैं पर इससे दो भ्रम टूटे। एक तो यह कि मणि रत्नम एक करिश्माई निर्देशक हैं और दूसरे यह कि अल्लाह रखा रहमान यानी एआर रहमान एक उत्कृष्ट संगीतज्ञ हैं। भाईसाब, आधुनिक तकनीक और ऑटो ट्यून के बल पर तनिष्क बागची भी म्यूज़िक बना सकता है पर उसे बाजा बनाना कहते हैं, संगीत नहीं। तो एआर रहमान और तनिष्क बागची में कोई विशेष अंतर है क्या? केवल ऑस्कर मिलने से कोई देवतुल्य हो जाता है क्या? अब आप सोचेंगे कि अरे, इतने बड़े कम्पोजर की तौहीन कैसे की, तो हमारे पास इसका भी जवाब है।
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इलैयाराजा ‘लीजेंड’ हैं
एआर रहमान (AR Rahman) के डेब्यू से पहले ही इन बेहतरीन कंपोजर्स के कई ऐसे धुन बनाए थे, जिसे सुनकर ऐसा प्रतीत होता है कि वे रेट्रो और इलेक्ट्रो बीट्स का अद्भुत समागम हैं। और यह तब की बात है जब एआर रहमान ने डेब्यू भी नहीं किया था। वर्ष 1986 में फिल्म आई थी विक्रम, गायक थे स्वयं मुख्य अभिनेता कमल हासन और संगीतज्ञ इलैयाराजा। इस फिल्म का म्यूजिक अभी भी वायरल होते रहता है। उन्होंने कभी भी अपनी प्रतिभा का ढिंढोरा नहीं पीटा, न ही उन्होंने कभी ये गाया कि वे कितने उत्कृष्ट हैं और आज भी उनके संगीत के बिना भारतीय सिनेमा अधूरा सा लगता है। ऐसे में एआर रहमान जिस विद्यालय के छात्र है, इलैयाराजा उसी विद्यालय के हेडमास्टर हैं और अभी तो हमने अनिरुद्ध रविचंदर की चर्चा भी नहीं की है।
अब एआर रहमान (AR Rahman) के प्रशंसक बोलेंगे, अरे, उन्होंने रोजा, दिल से, बॉम्बे, स्लमडॉग मिलियनेयर जैसी फिल्में अपने संगीत से सजाई। हां भाई, ठीक भी है, परंतु जितना बंधु ने अपना संगीत दिया, उतना ही उन्होंने समाज में वैमनस्यता भी फैलाया। उदाहरण के लिए देखें तो 8 अप्रैल 2022 को, अल्लाह रक्खा रहमान ने अपने सोशल मीडिया पेजों पर तमिल देवी का एक विचित्र चित्रण साझा किया, जिसमें तमिल थाई वाज़थु (देवी तमिल का आह्वान) का एक शब्द ‘थामिझिनंगु’ लिखा था और इसमें एक टैग लाइन भी थी जिसमें कहा गया था कि “प्रिय तमिल हमारे अस्तित्व की जड़ हैं।” 20वीं शताब्दी के आधुनिक तमिल कवि भारतीदासन द्वारा लिखी गई एक पंक्ति का उन्होंने जिक्र किया।
पेरियार के लिए संगीत देने से कर दिया था मना
लेकिन अगर आप इलैयाराजा (Ilayaraja) के जीवन को समीप से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि उन्होंने पेरियार के बायोपिक के लिए संगीत देने से मना कर दिया था, जबकि वो स्वयं वामपंथी थे। उनके लिए संगीत सरस्वती देवी की देन है और जो देवी देवताओं को ही न माने, उसके परियोजना को क्यों हाथ लगाना? परंतु अगर विद्यालय में हेडमास्टर हैं, तो प्रधानाचार्य भी होंगे न।
जी हाँ, आपने ठीक समझा, ये कोई और नहीं, अपने एमएम कीरावाणी हैं, जो एक समय बॉलीवुड को भी अपने कर्णप्रिय धुनों से सजाया करते थे। ‘तू मिले दिल खिले’, ‘गली में आज चाँद निकला’, ‘आवारापन बंजारापन’, ‘मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना खुशी’ जैसे गीतों को अपना मधुर संगीत देने वाले एमएम कीरावाणी को जब पता चला कि उन्हें हिन्दी उद्योग में वह सम्मान नहीं मिलेगा जिसके वह योग्य हैं, तो वह पुनः तेलुगु उद्योग की ओर मुड़े और फिर उन्होंने अपने संगीत से ‘ईगा’ (मक्खी), ‘बाहुबली’ सीरीज़ एवं ‘RRR’ जैसे महारत्नों को अपने संगीत से सजाया। आज ‘RRR’ पर इनके संगीत का लोहा केवल भारत ही नहीं, सम्पूर्ण संसार भी मान रहा है और इसके लिए न कोई लॉबिंग करनी पड़ी, न चाटुकारिता और न ही कोई नौटंकी। ऐसे में एआर रहमान को इनसे कुछ सीखना चाहिए।
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