Liverpool खरीद रहे हैं भारतीय अरबपति मुकेश अंबानी, बदलने वाली है भारतीय फुटबॉल की किस्मत?

मुकेश अंबानी अगर Liverpool खरीद लेते हैं तो इससे क्या बदल जाएगा? क्यों मुकेश अंबानी इस फुटबॉल क्लब को खरीदना चाहते हैं? कौन-कौन है इसे खरीदने की दौड़ में ? इस लेख में विस्तार से सबकुछ समझिए।

लिवरपूल अंबानी, Mukesh Ambani liverpool

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फुटबॉल को विश्व स्तर पर 3.5 बिलियन से अधिक प्रशंसकों के साथ सबसे प्रसिद्ध खेल होने का सम्मान दिया गया है। भारत में भी खेल के प्रति युवाओं का झुकाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में समाप्त हुए 2022 फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप ने चीन के 1985 के संस्करण को पीछे छोड़ते हुए कुल 1,347,133 दर्शकों की उपस्थिति दर्ज की। फुटबॉल के विकास के कारण कई संस्थागत नीतियां जमीन पर उतर रही हैं। दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल में कई फुटबॉल क्लब्स हैं और इन्हीं में से एक है इंग्लैंड का लिवरपूल फुटबॉल क्लब। फुटबॉल में क्लब गेम्स की बहुत अहमियत होती हैं और लिवरपूल एफसी (Liverpool) इस खेल में सबसे प्रतिष्ठित है। हालांकि, कुछ समय पहले ही इस क्लब के मालिकों ने इसे बेचने का फैसला कर लिया है। अब तक इस क्लब को खरीदने में कुछ पार्टियाँ दिलचस्पी दिखा चुकी हैं और अंबानी भी उन्हीं में से एक हैं।

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आसानी से लिवरपूल को खरीद सकते हैं अंबानी

परंपरागत रूप से खिलाड़ियों की भागीदारी और टेलीविजन दर्शकों की संख्या के मामले में फुटबॉल भारत में शीर्ष तीन सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक रहा है। लोकप्रियता के मामले में यह खेल भारत में केवल क्रिकेट और कबड्डी से पीछे है। लेकिन भारतीय युवाओं में फ़ुटबॉल के क्षेत्र में युवाओं की बढ़ती रुचि के कारण अंबानी द्वारा Liverpool FC का अधिग्रहण एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। ध्यान देने योग्य है कि अंबानी ने मुंबई इंडियंस की अपनी शानदार फ्रेंचाइजी के माध्यम से युवाओं को क्रिकेट में स्थान प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

यदि लिवरपूल सौदा हो जाता है तो भारतीय प्रतिभाओं को अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच मिल सकता है। इसके अलावा यह कदम भारत में फुटबॉल की जड़ें स्थापित करने में महत्वपूर्ण हो सकता है और विविध पृष्ठभूमि के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित खिलाड़ियों के साथ प्रशिक्षण के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। इसके अतिरिक्त यह खेल के महान खिलाड़ियों को घरेलू फुटबॉल लीग में भाग लेने के लिए लुभाने की दिशा में एक नया कदम होगा। ज्ञात हो कि 3 जून 1892 को स्थापित 130 वर्ष पुराने इस फुटबॉल क्लब की फोर्ब्स (Forbes) के अनुसार वैल्यू 3.5 बिलियन पाउंड्स (करीब 32 हज़ार करोड़ रुपये) है। वहीं, मुकेश अंबानी की वर्तमान वैल्यू करीब 77 हज़ार करोड़ रुपये है। ऐसे में अंबानी आसानी से लिवरपूल एफसी खरीद सकते है।

इसे खरीदने में अन्य पार्टियां भी शामिल हैं

लिवरपूल एफसी एक सफल फुटबॉल क्लब है, जिसने 6 बार UEFA चैंपियंस लीग और 19 बार इंग्लिश प्रीमियर लीग जीती हैं। ऐसे में एक भारतीय द्वारा इस क्लब को खरीदने से बड़े लेवल पर फुटबॉल में भारतीय प्रवेश हो सकता है। साथ ही इससे भारतीय फुटबॉल में भी सुधार हो सकता है। इसके अलावा मुकेश अंबानी वर्तमान समय में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के वाणिज्यिक भागीदार भी हैं। लिवरपूल को लेकर वर्तमान अटकलें फेनवे स्पोर्ट्स ग्रुप (FSG) के बयान के अनुरूप हैं, जो लिवरपूल का मालिक है। उन्होंने कहा, एफएसजी को अक्सर लिवरपूल में शेयरधारक बनने की मांग करने वाले तीसरे पक्ष से रुचि की अभिव्यक्ति प्राप्त हुई है। एफएसजी ने इससे पहले कहा है कि सही नियमों और शर्तों के तहत, हम नए शेयरधारकों पर विचार करेंगे यदि यह लिवरपूल के सर्वोत्तम हित में होगा।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने बिट्रेन के दैनिक अखबार ‘द मिरर‘ के हवाले से बताया कि एफएसजी लिवरपूल एफसी को 4 बिलियन डॉलर ब्रिटिश पाउंड में बेचना चाहता है। एफएसजी को लिवरपूल एफसी के लिए काफी प्रस्ताव मिल रहे हैं लेकिन कंपनी ने पहले एक बयान दिया कि हम नए शेयरधारकों पर विचार करेंगे। अगर वह क्लब के हित में होता है। रिपोर्ट में बताया गया कि मुकेश अंबानी के अलावा खरीदारों की रेस में गल्फ और अमेरिका की कई पार्टियां शामिल हैं। एफएसजी के तहत जुर्गेन क्लोप की टीम को काफी सफलता मिली है। पिछले कुछ वर्षों में उनकी ओर से प्रीमियर लीग टाइटल, चैंपियंस लीग, एफए कप, काराबाओ कप और यूरोपीय सुपर कप जीता गया है।

आपको बताते चलें कि भारत में फुटबॉल की स्थिति में काफी सुधार देखने को मिल रही है। ऐसे में अंबानी के द्वारा उठाया जा रहा यह एक कदम एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। भारत में 11 से 30 अक्टूबर तक अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 के हालिया समापन के बाद इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन फुटबॉल (फीफा) के अध्यक्ष ने सकारात्मक टिप्पणी की है। ऐसे में आने वाले समय में स्थिति क्या होगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई है।

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