बॉलीवुड के ‘कोयले की खान’ में चमकते हुए हीरे के समान हैं नीरज पांडे

नीरज पांडे बॉलीवुड के इकलौते ऐसे निर्देशक हैं, जिनके लिए कंटेंट ही सबकुछ है. अगर कहानी अच्छी है तो बिना किसी गाने के भी वो फिल्म को हिट करा देते हैं.

नीरज पांडे

Source- TFI

“मिल जाते हैं कुछ ऑफिसर्स हमें, थोड़े पागल, थोड़े अड़ियल, जिनके दिमाग में सिर्फ देश और देशभक्ति घूमती है। ये देश के लिए मरना नहीं चाहते बल्कि जीना चाहते हैं, ताकि आखिरी सांस तक देश की रक्षा कर सके!” ऐसे संवाद ढूंढने से भी हमारे फिल्म उद्योग में नहीं मिलते और बॉलीवुड में इसे ढूंढना माने घास में सुई नहीं धागा ढूंढने के समान है। परंतु ऐसे ही हैं नीरज पांडे, जिनके लिए अच्छी स्क्रिप्ट रचना उतना ही सरल है, जितना दो और दो का उत्तर ढूंढना और आश्चर्य की बात है कि वो भी उसी बॉलीवुड के भाग हैं, जहां अच्छी कथा और दमदार स्क्रीनप्ले से इस उद्योग का छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इस लेख में हम विस्तार से नीरज पांडे के अनोखे विचारों एवं उनकी आगामी परियोजनाओं से अवगत होंगे, जो उन्हें सबसे अलग बनाते हैं।

हाल ही में नेटफ्लिक्स पर एक नई वेबसीरीज़ की घोषणा हुई है, ‘खाकी – द बिहार चैप्टर’। ये बिहार के जंगल राज और उसके शेखपुरा क्षेत्र के अपराध जगत पर केंद्रित होगी, जिसका उल्लेख आईपीएस अफसर अमित लोधा द्वारा अपनी पुस्तक ‘Bihar Diaries’ में भी किया गया है। आम तौर पर जनता की शिकायत ये रही है कि Netflix भारतीय परिवेश के अनुसार कंटेंट नहीं बनाता परंतु इन प्रोजेक्ट्स के माध्यम से इस धारणा को बदलने का प्रयास किया जा रहा है और ऐसे में नीरज पांडे द्वारा ऐसी सीरीज़ लाना सोने पर सुहागा समान है।

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इनके लिए कंटेंट ही सर्वस्व है

अब नीरज पांडे कोई ऐसे वैसे व्यक्ति तो हैं नहीं। यूं तो कोलकाता यानी हावड़ा में उनका जन्म हुआ परंतु वो मूल रूप से बिहार के आरा से संबंध रखते हैं। ऐसे में इस परिवेश का असर कहीं न कहीं उनमें अवश्य दिखेगा। इसके अतिरिक्त नीरज पांडे उन चंद निर्देशकों में सम्मिलित हैं, जो सदैव कथा को सर्वोपरि रखते हैं। इसका प्रमाण उन्होंने अपनी सर्वप्रथम फिल्म ‘अ वेडनेसडे’ से ही दे दिया था। वर्ष 2008 में प्रदर्शित इस फिल्म में न कोई शोर शराबा था, न कोई डांस, न कोई आइटम सॉन्ग। परंतु फिर भी इस फिल्म ने अपने बजट से कहीं अधिक कमाया, केवल अपनी कथा के बल पर।

अगले 5 वर्ष नीरज ने अपने आप को फिल्म उद्योग में स्थापित करने में व्यय किया और इसी बीच एक मराठी फिल्म पर निवेश भी किया। फिर वर्ष 2013 में उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित करते हुए एक लंबा दांव लगाया ‘स्पेशल 26′ पर, जिसमें अभिनेता कोई और नहीं अक्षय कुमार थे। उस समय अक्षय किसी भांति अपने डूबते करियर को बचाने में लगे हुए थे और ‘राउडी राठौर’ को छोड़कर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली थी। परंतु ‘स्पेशल 26’ न केवल सफल हुई बल्कि इससे अक्षय और नीरज के बीच एक तगड़ी साझेदारी हुई, जिसके अंतर्गत कई प्रभावशाली फिल्में मिली। ‘बेबी’, ‘रुस्तम’ जैसी फिल्में इसी साझेदारी की देन हैं, जहां नीरज पांडे कभी निर्देशक बनें तो कभी निर्माता बनें। साथ ही उनके निर्देशन में बनी एमएस धोनी- द अनटोल्ट स्टोरी को कोई कैसे भूल सकता है।

‘अय्यारी’ और ‘विक्रम वेधा’ जैसे अपवाद भी हैं

अब ऐसा भी नहीं है कि नीरज पांडे कभी असफल ही नहीं हुए। ‘अय्यारी’ जैसे अपवाद भी हैं और बतौर निर्माता ‘विक्रम वेधा’ का रीमेक सिद्ध करता है कि हर दांव आवश्यक नहीं कि सफल हो। परंतु जो चुनौतियों से पराजित हो, वो नीरज पांडे थोड़े ही हैं क्योंकि ये वही हैं, जिन्होंने ‘स्पेशल ऑप्स’ जैसी सीरीज़ भी दी है और इसके अलगे भाग की तैयारी भी जोर शोर से चल रही है। परंतु कथा यहीं पर खत्म नहीं होती। अभी नीरज महोदय को एक अघोषित प्रोजेक्ट पर कार्य करना है, जिसके लिए उन्होंने अजय देवगन को साइन किया है। यह वर्ष 2023 के जून माह में प्रदर्शित होगी। इसके अतिरिक्त यदि सब कुछ सही रहा तो अजय देवगन के साथ वो अखंड भारत के रचयिता आचार्य चाणक्य के जीवन को आत्मसात भी करेंगे और फिर भारतीय सिनेमा में जो क्रांति आएगी, उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता!

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