Tata Bisleri water acquisition: आप कहीं पर भी मौजूद क्यों न हो गांव से लेकर शहर तक आपको हर जगह कोई न कोई टाटा ग्रुप का उत्पाद दिखाई पड़ ही जाएगा। आज के समय में नमक से लेकर चाय और ऑटोमोबाइल सेक्टर तक से टाटा जुड़ा हुआ हैं। इन तमाम सेक्टरों में धमाल मचाने के बाद भी टाटा ग्रुप लगातार अपने बाजार के विस्तार की योजना बना रहा है। पिछले कुछ समय से देखने को मिल रहा है कि टाटा ग्रुप तेजी से अपने कारोबार को फैला रहा है। अब खबर है कि देश की सबसे बड़ी बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनी बिसलेरी पर भी टाटा ग्रुप शीघ्र ही अपना कब्जा जमाने की तैयारी में है। जी हां, टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा कंज्यूमर प्रोडेक्ट लिमिटेड जल्द ही बिसलेरी इंटरनेशनल का (Tata Bisleri water acquisition) अधिग्रहण करने जा रही है।
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Tata Bisleri water acquisition – टाटा की होगी बिसलेरी
खबर है कि टाटा ग्रुप बिसलेरी (Tata Bisleri water acquisition) को 7000 करोड़ रुपये में खरीद सकता है और इसके लिए दोनों कंपनियों के बीच बातचीत भी चल रही है। आपको बता दें कि देश की लोकप्रिय बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनी खरीददार की तलाश कर रही है, जिसकी जानकारी बिसलेरी इंटरनेशनल चैयरमैन रमेश चौहान ने स्वयं दी। वैसे कंपनियों की कई खरीददारों से बातचीत जारी है। रिलायंस रिटेल, नेस्ले और डैनॉन जैसी कंपनियों ने भी बिसलेरी को खरीदने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है लेकिन अब बाजी टाटा ग्रुप मारता हुआ दिखाई पड़ रहा है।
हालांकि इसको लेकर अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इसको लेकर रमेश चौहान का कहना है कि मुझे टाटा समूह की ईमानदारी और जीवन के मूल्यों का सम्मान करने वाली संस्कृति पसंद है। उन्होंने भरोसा जताया है कि टाटा उनकी इस कंपनी को संभालकर रखेगी। आपको बता दें कि रमेश चौहान ने टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और टाटा कंज्यूमर के सीईओ सुनील डिसूजा से भी मुलाकात की थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार कंपनी को खरीदने की बातचीत अंतिम चरण पर है।
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बिसलरी का कारोबार
आपको बता दें आज के समय में बोतलबंद पानी का देश में बाजार 20 हजार करोड़ से अधिक का है। 1965 में मुंबई के ठाणे में पहला ‘बिसलेरी वॉटर प्लांट’ स्थापित किया गया था। 1969 में रमेश चौहान ने इटली की कंपनी बिसलेरी लिमिटेड को खरीदा था। उस समय बिसलेरी कांच की बोतल में मिनरल पानी बेचा करती थी। आज पूरे भारत में 5,000 ट्रकों के साथ 4,500 से अधिक इसका डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क है। बोतलबंद पानी के बाजार में बिसलेरी के पास 32% हिस्सेदारी है। ऐसे में अब प्रश्न ये उठता है कि रमेश चौहान देश की सबसे बड़ी बोतलबंद पानी का कारोबार करने वाली बिसलेरी को आखिर बेचने क्यों जा रहे हैं? ऐसी नौबत क्यों आ गयी?
क्यों बेचनी पड़ रही है बिसलेरी?
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 82 साल के हो चुके रमेश चौहान का कहना हैं कि बिसलेरी के कारोबार आगे बढ़ाने के लिए उनके पास उत्तराधिकारी नहीं है और उनकी बेटी को भी उनके कारोबार में अधिक दिलचस्पी नहीं है, जिस कारण उन्हें कंपनी बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है। बता दें कि रमेश चौहान की बेटी जयंती अभी बिसलेरी में वाइस चेयरपर्सन हैं। रमेश चौहान का उम्र बढ़ रही है और उनका स्वास्थ्य भी कुछ समय से ठीक नहीं चल रहा है। इस दौरान भावुक होते हुए रमेश चौहान यह भी बोले कि उन्होंने यह निर्णय पैसों के लिए नहीं लिया। वे कंपनी के भविष्य को लेकर चिंतत हैं। बता दें कि तीन दशक पूर्व वर्ष 1993 में रमेश चौहान और उनके भाई ने ‘थम्स अप’, ‘गोल्ड स्पॉट’, ‘लिम्का’ और ‘माज़ा’ जैसे मशहूर सॉफ़्ट ड्रिंक ब्रांड्स कोका-कोला को बेच दिए थे।
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जैसे कि पूरी संभावनाएं दिख रही है कि टाटा ग्रुप बिसलेरी (Tata Bisleri water acquisition) पर अपना कब्जा जमा ही लेगा और इसके बाद देश नमक के साथ टाटा का पानी भी पीयेगा। बाजार जानकार ऐसा मान रहे हैं कि डील पक्की होने के बाद पानी के मार्केट में टाटा ग्रुप की कंपनी सबसे बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभर सकती है।
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