बेट द्वारका के ‘इस्लामीकरण’ के पीछे है कराची कनेक्शन जिसे तुरंत ध्वस्त करना होगा

श्रीकृष्ण भक्तों के तीर्थस्थल द्वारका नगरी से कुछ दूरी पर स्थित बेट द्वारका में अवैध कब्जे खूब फल-फूल रहे हैं, जोकि आगे चलकर भारत के लिए खतरा भी बन सकते हैं।

बेट द्वारका इस्लामीकरण, The Karachi connection behind Bet Dwarka’s Islamization and why it must be nipped in the bud

source- TFI

ये भी मेरा, वो भी मेरा, सब मेरा, सारी भूमि मेरी, गुजरात के द्वारका शहर से 35 किमी दूर स्थित बेट द्वारका इस समय इसी ‘कब्जेबाजी’ की समस्या से जूझ रहा है। द्वारका नगरी की बात करें तो भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में यह जानी जाती है। लगभग 5000 साल पहले भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका नगरी बसाई थी और इस तरह श्रीकृष्ण भक्तों की दृष्टि में यह एक महान तीर्थस्थल है। लेकिन श्रीकृष्ण भक्तों के इस तीर्थस्थल से कुछ दूरी पर स्थित बेट द्वारका (Bet Dwarka) में अवैध कब्जे खूब फल-फूल रहे हैं, जोकि आगे चलकर भारत के लिए खतरा भी बन सकते हैं। अब आप सोचते होंगे कि कैसा खतरा? इस लेख में जानेंगे बेट द्वारका के इस्लामीकरण के पीछे कराची कनेक्शन के बारे में और क्यों इस कनेक्शन पर चोट करते हुए इसे तुरंत ध्वस्त कर देना चाहिए।

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बेट द्वारका का इस्लामीकरण

दरअसल, आज के समय में बेट द्वारका में मंदिर से ज्यादा मस्जिद और मजारें दिखाई पड़ती हैं। क्योंकि इस बेट द्वारका की 80 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। इस क्षेत्र की कुल आबादी लगभग 12000 है जिसमें से लगभग 9500 लोग मुस्लिम हैं। यहां कि लगभग 6.5 करोड़ की जमीन पर मस्जिदों और मजारों का कब्जा है। हाल ही में यहां अवैध कब्जों पर प्रशासन का हंटर भी चला है। अक्टूबर में 100 से ज्यादा अतिक्रमण पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की है जिसमें कई मस्जिद और मजारें शामिल थी।

आपको बता दें कि साल 2021 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बेट द्वारका के दो जगहों को अपना बताने की कोशिश की थी लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा था कि कृष्ण की नगरी में आप ये दावा कैसे कर सकते हैं। जिसके बाद हाईकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया था।

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वक्फ बोर्ड का दावा

बता दें कि बेट द्वारका (Bet Dwarka) में करीब आठ टापू हैं जिनमें से दो पर भगवान कृष्ण के मंदिर बने हुए हैं। कहते हैं कि द्वारा नगरी श्रीकृष्ण ने बसाई थी और इसी के अंदर आने वाले बेट द्वारका में सुदामा अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे थे। बेट द्वारका के इन दो टापू पर करीब 7,000 परिवार रहते हैं जिनमें से करीब 6,000 परिवार मुस्लिम हैं। इसी आधार पर वक्फ बोर्ड अपना दावा पेश करता है कि यहां बहुसंख्यक आबादी मुस्लिमों की है और इसीलिए इस बेट द्वारका के टापुओं पर मुस्लिम वर्ग और वक्फ बोर्ड का हक है‌।

चौंकाने वाली बात ये है कि साल 1960 की जनगणना के अनुसार यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 600 और हिंदूओं की संख्या 2786 थी। इस हिसाब से देखें तो हिंदूओं की आबादी यहां और पर बढ़नी चाहिए थी लेकिन हुआ बिल्कुल इसके उलट। दरअसल, दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार हिंदू घटकर 960 रह गए हैं और मुस्लिमों की संख्या बढ़कर 6040 हो गई है। वर्तमान समय में देखें तो कृष्ण की नगरी का इस्लामीकरण हो चुका है। यहां पर जंगल काटकर समुद्र के किनारे लोगों ने मस्जिद और मजारें बना ली हैं। यहां पर अधिकतर लोग मछली पकड़ने का काम करती है।

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अब आप ये सोच रहे होंगे कि ये देश के लिए कैसे खतरा है। दरअसल, बेट द्वारका से कराची की दूरी 105 किलोमीटर है। जिसके कारण आसानी से पाकिस्तान तक पहुंचा जा सकता है। यहां के लोग नाव से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक चले जाते हैं जिसका कोई हिसाब-किताब भी नहीं होता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये देश के लिए कितना बड़ा खतरा साबित हो सकता है। यहां तक कि कराची समेत पाकिस्तान की रहने वाली बहुत सी लड़कियों की शादी यहां और यहां की कई लड़कियों की शादी पाकिस्तानी में हुई है। इस तरह पाकिस्तान की लड़कियां यहां बस गयी हैं। जिससे यहां हो रहे इस्लामीकरण के कराची कनेक्शन का खुलासा होता है।

ड्रग तस्करी का कारोबार

बेट द्वारका (Bet Dwarka) में जमीनों पर अवैध कब्जों के साथ-साथ ड्रग तस्करी का कारोबार भी खूब किया जाता है। जिसके चलते इस क्षेत्र में रही ये सारी गतिविधियां भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनी हुई हैं। यहां पाकिस्तानी अपने नाकाम मंसूबों को अंजाम दे सकते हैं, यहां से कई ड्रग तस्करी के मामले सामने आ चुके हैं। समूद्री रास्ते के चलते तस्करों के लिए भारत में तस्करी करने में भी आसानी होती है।

बेट द्वारका में अवैध निर्माण के जरिए, पक्के ठिकाने बनाए जा रहे थे। अब अवैध निर्माण के पीछे भारत के लिए खतरनाक मंसूबे शामिल हो सकते हैं। क्योंकि ये अवैध ठिकाने कौन बना रहा था और इन्हें बनाने के पीछे क्या साजिश थी ये किसी को भी नहीं पता। सवाल ये भी है कि कभी हिंदू बहुल क्षेत्र होने के बाद भी इस क्षेत्र का इस्लामीकरण कैसे हुआ? ये जांच का विषय है साथ ही देश की आंतरिक सुरक्षा का भी मामला है जिस पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

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