हिंदू लड़कियां, आफताब जैसे जिहादियों के चक्कर में कैसे फंस जाती हैं? देश की राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ (Shraddha Aftab Case) उसके बाद यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। आपने देखा कि कैसे आफताब अमीन पूनावाला ने हिंदू लिव-इन-पार्टनर लड़की श्रद्धा वाकर की हत्या कर दी। हत्यारे आफ़ताब ने पहले श्रद्धा की हत्या की इसके बाद उसे आरी से 35 टुकड़ों में काटा। आफ़ताब ने इन टुकड़ों को रखने के लिए 300 लीटर का नया फ्रिज खरीदा। फ्रीजर में उसने श्रद्धा के टुकड़ों को रखा। हर रात वो एक टुकड़ा आस-पास कहीं फेंक आता था। ऐसा नहीं है कि इस तरह का यह पहला मामला है।
पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले हमारे सामने आए हैं। जिनमें हमने देखा है कि हिंदू लड़कियां लव जिहाद का शिकार होती हैं और बाद में उनकी हत्या कर दी जाती है। ऐसे में एक सवाल बार-बार सामने आता है कि आखिरकार श्रद्धा जैसी हिंदू लड़कियां आफ़ताब जैसे जिहादियों के चक्कर में कैसे फंस जाती हैं। आइए, इसके पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करते हैं।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे मजहब विशेष के लड़के हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं।
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Shraddha Aftab Case: पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित समाज
भारतीय समाज बुरी तरह से पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित हो चुका है। इतना ज्यादा कि कई बार कॉपी करने के मामले में पश्चिमी लोगों को भी भारतीय समाज पीछे छोड़ देता है। भारतीय माता-पिता ‘कूल’ बनने की कोशिश में लगे रहते हैं।
ऐसे में अपने बच्चों के सामने बैठकर ही वो लोग मदिरा पान जैसे कार्य करने लगते हैं। ठीक है मदिरा पान गैर-कानूनी नहीं है लेकिन छोटे बच्चों के सामने पीना नैतिक भी तो नहीं है। इसके साथ ही जो सबसे बड़ा मुद्दा है वो है अपनी संस्कृति और विरासत की समझ, अपने धर्म की समझ।
बड़े शहरों में माता-पिता, बच्चों को आधुनिक बनाने के चक्कर में, पश्चिमी संस्कृति सिखाने के चक्कर में उन्हें अपनी जड़ों से दूर कर देते हैं। उन्हें अपनी संस्कृति के बारे में, अपने धर्म के बारे में, अपनी जड़ों के बारे में कुछ बताते ही नहीं हैं। ऐसे में बच्चे जिस धर्म में पैदा हुए हैं उसके बारे में वो गहराई से कभी कुछ नहीं सीख पाते है।
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दूसरे धर्म के प्रति आकर्षण
ऐसे माहौल में पली-बड़ी लड़कियां जब मज़हब विशेष के संपर्क में आती हैं तो वो चौंक जाती हैं। उन्हें लगता है, अरे यह होता है धर्म- जिसमें कुछ भी हो जाए जो नियम हैं उन्हें मानना ही मानना है। बस, यहीं से दूसरे मज़हब के लिए उनके मस्तिष्क में आकर्षण की शुरुआत होती है। दूसरे धर्म के प्रति आकर्षण, दूसरे धर्म के विपरित लिंग के प्रति आकर्षण में बदल जाता है और वो उस मज़हब विशेष व्यक्ति के नज़दीक पहुंच जाती हैं।
दिल्ली की श्रद्धा का मामला भी कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। यहां भी आफ़ताब एकदम वोक था, नारीवादी था, LGBT का समर्थक था, वहीं दूसरी तरफ श्रद्धा ने अपने पिता से इसी लड़के के लिए यह तक बोल दिया था कि आपसे अब मेरा कोई संबंध नहीं है।
(Shraddha Aftab Case) इसके साथ ही कई और भी तत्व ऐसे हैं जिनके कारण हिंदू लड़कियां, मजहब विशेष के लड़कों के जाल में फंस जाती हैं। जैसे- मज़हब विशेष के लड़कों का आपराधिक प्रवृत्ति या फिर आक्रामक प्रवृत्ति का होना। कई शोध में यह बात सामने आई है कि लड़कियां आक्रामक प्रवृत्ति के लड़कों की तरफ जल्दी आकर्षित हो जाती हैं। इस प्रवृत्ति को अंग्रेजी में Hybristophilia कहते हैं।
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बॉलीवुड फिल्मों की बड़ी भूमिका
Shraddha Aftab Case: इसके बाद यदि तीसरे बिंदु की बात करें तो बॉलीवुड फिल्में भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती हैं। बॉलीवुडिया फिल्मों में मज़हब विशेष के लड़कों को बहुत प्यारा, बहुत अच्छा, ईमानदार और बहुत समर्पित लवर की तरह प्रस्तुत किया जाता है। इन फिल्मों से प्रभावित होकर भी लड़कियां अक्सर इस रास्ते पर निकल जाती हैं।
इसके बाद हमारे सामने एक बिंदु आता है फंडिंग का। यह मज़हबी लड़के स्कूलों में, कॉलेजों में या फिर दूसरे स्थानों पर स्वयं को अमीर की तरह या फिर ये कहें कि बिंदास-खर्चीले और मस्तमौला व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
कई रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है कि इन लोगों को कुछ विशेष संगठनों से लव जिहाद फैलाने के लिए फंडिंग की जाती है। इसी दौरान हिंदू लड़कियों को प्रभावित करने के लिए यह जिहादी शुरुआत में समर्पित प्रेमी की तरह स्वयं को प्रस्तुत करते हैं।
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वो हिंदू लड़कियों की प्रत्येक बात का बहुत ध्यान रखते हैं। उनकी चिंता करते हैं और उनकी प्रत्येक बात को मानते हैं। यह कुछ मुख्य तरीके हैं जिनसे मजहब विशेष के लड़के हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं। ऐसे में सभी को जागरुक रहने की आवश्यकता होती है।
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