मन्नत का ‘शाप’ शाहरुख खान के अभिनय को लील गया

शाहरुख खान के अभिनय को दुनिया पसंद करती थी लेकिन जब से उन्होंने 'मन्नत' खरीदा उनके अभिनय को ग्रहण लग गया. अब स्थिति क्या है यह बताने की आवश्यकता नहीं है.

शाहरुख खान मन्नत

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शाहरुख खान मन्नत – एक निर्णय, केवल एक निर्णय आपके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। आप पल भर में शिखर पर पहुंच सकते हैं एवं शिखर से शून्य पर भी पहुंच सकते हैं। ये बात आपके करियर से लेकर आपके घर तक निर्भर करती है, चाहे आप एक आम कर्मचारी हो या बॉलीवुड के किंग खान। शाहरुख खान नाम आते ही आपके मन में सर्वप्रथम क्या आता है? रोमांस का ‘बादशाह’, तुष्टीकरण समर्थक या फिर कंटेंट के नाम पर छिछोरेपन को बढ़ावा देने वाला? अब बातें तो कई हो सकती हैं लेकिन इस बात में कोई संशय नहीं है कि शाहरुख खान एक प्रभावशाली अभिनेता हैं।

परंतु आज उनका भाग्य और उनका करियर, दोनों ही उनके पक्ष में नहीं है, जिसका कारण सिर्फ एक है- उनका घर मन्नत (Mannat)। अब आप भी सोच रहे होंगे कि हम ये क्या अंधविश्वास और आडंबर का प्रचार कर रहे हैं? परंतु सच्चाई इससे उलट है, हर चीज का कारण है और मन्नत जैसा बंगला ही शाहरुख खान के विनाश की नींव का कारण है। वो कैसे? आइए समझते हैं।

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मन्नत और शाहरुख की कहानी

एक समय था जब शाहरुख खान अपने रोमांटिक अवतार के लिए कम और अपने अभिनय के लिए अधिक जाने जाते थे। टीवी हो या फिल्म, दोनों हाथों में इनके पास लड्डू था। दूसरे शब्दों में कहें तो ये 90 के दशक के आयुष्मान खुराना/राजकुमार राव थे, जो कभी ‘फौजी’, तो कभी ‘चमत्कार’, ‘डर’, ‘बाज़ीगर’, जैसी कलाकृतियों से सबको रिझाने का प्रयास करते थे। ‘डर’ में उनका काम ऐसा था कि निर्माताओं ने सन्नी देओल के किरदार को ही बौना बना दिया, जिसके कारण क्रोधित सन्नी पाजी ने पुनः YRF के साथ कभी कार्य नहीं किया पर इस बारे में फिर कभी।

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परंतु ऐसे प्रोजेक्ट्स से दिल भरता है, सपने और पेट नहीं। शाहरुख खान को चाहिए था एक बड़ा बंगला, जहां वो अपने परिवार को बसा सकें। परंतु मायानगरी मुंबई में अधिकतम सी फेसिंग बंगले तो बड़े बड़े सुपरस्टार इत्यादि ले चुके थे और इन्हें न माया मिली न राम। ऐसे में इन्हें किसी ने बांद्रा में एक मस्त लोकेशन सुझाई, जो जन समूह के बीचों बीच है और जो मदर मेरी चर्च से अधिक दूर नहीं है, जहां पर बहुचर्चित फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ की शूटिंग हुई थी। अब शाहरुख के पास चुनौती थी मन्नत (Mannat) के लिए फंड्स जुटाने की? इसके पीछे दो प्रचलित थ्योरी है? इनमें एक पर, स्वयं शाहरुख खान के कभी मित्र तो कभी प्रतिद्वंद्वी रहे सलमान खान ने कहा था कि अगर उन्होंने बाज़ीगर न ठुकराई होती तो न शाहरुख खान कभी सफलता की सीढ़ियां चढ़े होते, न ही वो मन्नत खरीदने योग्य बने होते।

इन प्रोडक्शन हाउस ने चॉकलेट बॉय बना दिया

अब ये बात कितनी सत्य है, ये तो ईश्वर ही जाने, परंतु दूसरी थ्योरी यह भी है कि शाहरुख ने 90 के दशक के मध्य में दो कैंप को प्रमुखता से पकड़ लिया था – यश राज फिल्म्स और धर्मा प्रोडक्शन्स। बताया जाता है कि शाहरुख खान ने मन्नत खरीदने का मन बना लिया था लेकिन पैसों की कमी थी, जिसके बाद उन्हें यश राज फिल्म्स और धर्मा प्रोडक्शंस की ओर अप्रोच किया गया और उन्होंने इन प्रोडक्शन हाउस के साथ अपना अनुबंध तैयार कर लिया। इनके सहारे ही शाहरुख ने मन्नत खरीदी लेकिन इन्हीं दोनों कैंप ने शाहरुख खान को एक रिस्क प्रेमी अभिनेता से ‘Chocolate Boy’ यानी लवर बॉय में परिवर्तित कर दिया। वर्ष 1996 के पूर्व शाहरुख खान प्रयोग करने में कोई परहेज नहीं करते थे परंतु इसके पश्चात प्रयोग को मानो इन्होंने ‘गुडबाय’ ही कह दिया।

उदाहरण के लिए जब इन्होंने वास्तव में एक्टिंग करने का प्रयास किया तो इनकी फिल्में हिन्दी बॉक्स ऑफिस पर कोई जलवा नहीं बिखेर पाई। चाहे ‘हे राम’ में अमजद खान हो, चाहे ‘असोका’ में सम्राट अशोक हो या फिर ‘स्वदेस’ में मोहन भार्गव, जब भी शाहरुख खान ने लीक से हटकर रोल निभाया, उन्हे मुंह की ही खानी पड़ी। इसमें चक दे इंडिया एकमात्र अपवाद है।

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अब बताइए, एक बंगला बनाने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े हैं। परंतु इसके पीछे जिस अभिनेता शाहरुख खान का ह्रास हुआ, उसका कोई हर्जाना नहीं है। 2000 के प्रारम्भिक दशक में शाहरुख खान भले ही ‘किंग खान’ बन गए परंतु उसका मूल्य उन्हें अपने अभिनय कला की तिलांजलि देकर चुकाना पड़ा और शीघ्र ही उसका परिणाम 2015 के पश्चात दिखने भी लगा। ‘दिलवाले’ से जो इनका पतन प्रारंभ हुआ, वो फिर रुकने का नाम ही नहीं लिया और आज स्थिति ये है कि एक साथ चार बड़ी बड़ी फिल्में लाइन में होने के बाद भी शाहरुख खान को कोई गंभीरता से लेने को तैयार ही नहीं है, उल्टे लोग इनके विनाश की कामना कर रहे हैं। भाई, मन्नत थोड़ी ढंग से मांग लेते!

साभार- डॉ जयेश शर्मा

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