बेलगाम को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच का पुराना झगड़ा फिर चर्चा में है, जानिए इसका संक्षिप्त इतिहास

कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बेलगाम को लेकर विवाद दशकों से चला आ रहा है। इस विवाद की शुरुआत 1960 के दशक में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद हुई।

Belagavi Border Dispute

SOURCE TFI

Belagavi Border Dispute: इन दिनों महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार आमने सामने है और इसके पीछे का कारण है बेलगाम को लेकर चला आ रहा सीमा विवाद। यह विवाद कोई नया नहीं है बल्कि समय-समय पर बेलगाम को लेकर दोनों राज्य सरकारें आमने-सामने आती रहती हैं। अब एक बार फिर यह विवाद भड़क उठा है और इस बार मामला इतना बढ़ गया है कि अब दोनों सरकारें कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी मजबूती के साथ कर रही हैं। दोनों ही राज्य की सरकारों के अपने-अपने दावें हैं।

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बेलगाम को लेकर शिंदे सरकार की तैयारी

दरअसल, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इस मामले को लेकर कानूनी टीम के साथ समन्वय करने के लिए दो मंत्रियों की तैनाती भी कर दी है। वहीं दूसरी ओर कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा है कि कर्नाटक ने भी अपना मामला लड़ने के लिए कई वकीलों की सेवाएं ली हैं।

कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बेलगाम (Belagavi Border Dispute) को लेकर विवाद दशकों से चला आ रहा है। इस विवाद की शुरुआत 1960 के दशक में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद हुई। दरअसल, महाराष्ट्र के नेता बेलगाम को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग करते रहते हैं। बेलगाम जिला जिसे बेलगावी भी कहा जाता है, जोकि अभी कर्नाटक का हिस्सा है लेकिन स्वतंत्रता से पहले यह बॉम्बे प्रेसीडेंसी का भाग हुआ करता था। इसी कारण महाराष्ट्र बेलगाम पर अपना दावा ठोकता है और इसे महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग करता है। वहीं साल 2004 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया जिसके बाद कोर्ट ने सुझाव दिया कि दोनों राज्यों को आपसी बातचीत से इस मसले को हल करना चाहिए। हालांकि अभी भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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Belagavi Border Dispute – फिर सीमा विवाद चर्चा का विषय बना है

अब एक बार फिर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच का यह सीमा विवाद (Belagavi Border Dispute) चर्चा का विषय बना हुआ है, दोनों राज्यों के बीच तालमेल नहीं बैठ पा रहा है, महाराष्ट्र और कर्नाटक के अपने-अपने दावे हैं। इसी बीच हाल ही में कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने बयान देकर एक नये विवाद को जन्म दे दिया है, उन्होंने कहा है कि वह महाराष्ट्र के सांगली जिले के 40 गांवों पर अपना दावा ठोकेंगे। जिसके बाद बोम्मई के बयान पर पलटवार करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि एक भी गांव महाराष्ट्र से बाहर नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद सीमा विवाद सुलझाने पर है।

वहीं इस मामले पर उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मोर्चा खोल दिया और कहा कि महाराष्ट्र के एक भी गांव को किसी अन्य राज्य में शामिल नहीं किया जाएगा। बल्कि इसके बजाय वे कर्नाटक में मराठी भाषी क्षेत्रों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए कानूनी रास्ता अपनाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह दो राज्यों के बीच की कानूनी लड़ाई है और महाराष्ट्र सरकार हमारे राज्य में बेलगाम, कारवार और निपानी जैसे मराठी भाषी क्षेत्रों को शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ेगी।

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उद्धव ठाकरे भी मुद्दा उठा चुके हैं

आपको बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे भी कह चुके हैं कि उनकी सरकार कर्नाटक के उन इलाकों को राज्य में शामिल करने के लिये प्रतिबद्ध हैं जहां मराठी भाषी लोगों की बहुलता है। सीएम बनने के बाद उद्धव ठाकरे से महाराष्ट्र एकीकरण समिति के नेताओं ने इस मुद्दे पर ध्यान देने की मांग की। जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने इस पर दो सदस्यों की समिति बनाई। वहीं समीति के गठन के दौरान कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने कहा था कि कर्नाटक की एक इंच जमीन भी किसी राज्य को देने का सवाल नहीं उठता है।

ध्यान देने वाली बात है कि दोनों ही राज्यों में सरकार बदल चुकी है लेकिन विवाद (Belagavi Border Dispute) वही पुराना है। अब आने वाले समय में देखना होगा कि इन दो राज्यों के बीच के सीमा विवाद का समाधान क्या निकलता है।

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