भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है बल्कि यह लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ मुद्दा है। जब भी आप किसी से उसके पसंदीदा खेल के बारे में पूछेंगे तो अधिकतर लोग क्रिकेट का ही नाम लेंगे। परन्तु बीते कुछ समय से भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) का प्रदर्शन कैसा रहा है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के लिए आप टी-20 वर्ल्डकप के सेमीफाइनल मैच को ही ले लीजिए कि किस प्रकार इंग्लैंड के विरुद्ध इंडियन क्रिकेट टीम ने खराब प्रदर्शन किया और अंत में फाइनल की रेस से बाहर हो गई। लेकिन इसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं और ये कारण बड़े गंभीर हैं। इस लेख में हम विस्तार से भारतीय क्रिकेट टीम के लगातार खराब प्रदर्शन के पीछे के कारण के बारे में जानेंगे, जिस पर किसी की नजर नहीं जा रही है।
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IPL से बर्बाद हो रहे हैं खिलाड़ी
दरअसल, भारतीय क्रिकेट टीम के खराब प्रदर्शन करने के पीछे का सबसे पहला कारण है IPL नाम का जुआ, जिसमें खिलाड़ियों पर पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। इस लीग में एक-एक खिलाड़ी को खेलने के लिए करोड़ो रूपया मिलता है, जिसकी वजह से वे पैसा तो कमा लेते हैं लेकिन उनकी फिटनेस की बुरी तरह से बैंड बज जाती है और अंत में जब देश के लिए खेलने की बात आती है तो खिलाड़ी अंदर से पूरी तरह खोखले हो चुके होते हैं।
उदाहरण के लिए हम जसप्रीत बुमराह को देख सकते हैं कि किस प्रकार से IPL में खेलने के बाद चोट की वजह से वो टी-20 वर्ल्डकप नहीं खेल सके औऱ पूरे टूर्नामेंट में उनकी कमी खलती रही। वहीं, दूसरी ओर विदेशी खिलाड़ियों को देखा जाए तो वे IPL को एक सामान्य लीग की तरह ही समझते हैं। मिचेल स्टार्क से लेकर स्टुअर्ट ब्रॉड, मिशेल सैंटनर और जो रूट जैसे खिलाड़ी IPL में कम खेलते नजर आते हैं। कगिसो रबाडा जैसे खिलाड़ियों को देखा जाए तो कुछ मैचों के लिए खेलने आते हैं और पैसा कमाकर निकल जाते हैं। वहीं, भारतीय खिलाड़ी मैच की शुरूआत से लेकर अंत तक खेलते हैं और जब अंतरराष्ट्रीय मैच आते हैं तो इन खिलाड़िओं की फिटनेस जवाब दे देती है। केएल राहुल का उदाहरण भी सामने है कि कैसे वो IPL में जबरदस्त प्रदर्शन करते आए हैं लेकिन जब बात देश के लिए खेलने की आई, तो बेकार साबित हुए।
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छोटे मैदान पर छक्के और बड़े पर फुस्स
भारतीय क्रिकेट टीम के खराब प्रदर्शन के पीछे का दूसरा कारण है भारतीय खिलाड़ियों का छोटे और धीमी गति के ग्रांउड पर ज्यादा खेलना। दरअसल, एशियन देशों में क्रिकेट के जितने भी ग्रांउड हैं वे ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की अपेक्षा छोटे और धीमी गति के पिच वाले ग्राउंड हैं, इसलिए खिलड़ियों को बड़े और तेज ग्रांउड पर खेलने में मशक्कत करनी पड़ती है। इस कारण भारतीय खिलाड़ी जब भी बड़े ग्राउंड पर खेलते हैं तो हमेशा मात खाते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए भारतीय खिलाड़ियों के ज्यादा से ज्यादा मैच बड़े और तेज गति वाली पिच के ग्रांउड पर होने चाहिए।
इसके अलावा लंबे शॉट मारना भी है एक बड़ा कारण है और इसके पीछे भी IPL का ही हाथ है। भारतीय खिलाड़ी IPL में जमकर चौके और छक्के लगाने का प्रयास करते हैं और अब तो ज्यादा छक्के मारने वालों को प्राइज मनी भी मिलता है, जिसके कारण खिलाड़ी उसी बहाव में बह जाते हैं। IPL में ग्राउंड बहुत ज्यादा बड़े नहीं होते और खिलाड़ी छक्का लगाने में कामयाब हो जाते हैं। लेकिन यही आदत बड़े मैदानों पर उनके लिए काल बन जाती है और छक्के के चक्कर में वे कैच थमा कर लौट आते हैं।
क्या ‘पैसा’ बना चुनौती?
ओवरऑल बात यही है कि ‘पैसा’ भारतीय क्रिकेट के लिए चुनौती बन रहा है। IPL को शुरूआती समय में भारत के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को एक अच्छा मंच प्रदान करने के लिए बनाया गया था लेकिन अब इसका स्वरूप पूर्ण रूप से बिगड़ चुका है और अब पूरी तरह से यह पैसे के लिए खेली जाने वाली एक लीग बन चुकी है। खिलाड़ियों को खेलने के लिए करोड़ों रुपए मिलते हैं और साथ में प्रचार करने के लिए ब्रांड्स भी मिल जाते हैं, जिसका सीधा प्रभाव उनके प्रदर्शन पर पड़ता है। इसके अलावा भारतीय क्रिकेटर ब्रांड्स के प्रचार करने में एक्टिंग तो बहुत अच्छी करने लग हैं, लेकिन सवाल यह है कि खेलेंगे कब। निष्कर्ष के रूप में हम यही कहना चाहेंगे कि इंडियन क्रिकेट टीम को फिर से एक बार अपनी कमियों की जांच करनी चाहिए और BCCI को IPL को लेकर सोचना चाहिए कि देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करना आवश्यक है या फिर IPL से ही खिलाड़ियों को महान बनाना चाहते हैं।
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