G-20 की अहम बैठक से पहले रूस दौरे पर जयशंकर, चीन और अमेरिका की बढ़ेगी टेंशन

भारतीय विदेश मंत्री का रूस दौरा और हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच जो निकटता और बढ़ी है उससे पश्चिमी देश टेंशन में हैं.

जयशंकर रूस

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एस जयशंकर, मोदी सरकार के ऐसे मिसाइल जो कहीं भी और कभी भी तथ्यों के साथ किसी की भी बजा देते हैं। मोदी सरकार में विदेश मंत्रालय को फ्री हैंड दे दिया गया है और एस जयशंकर, पीएम मोदी के भरोसे पर एकदम खरे उतर रहे हैं। भारत अब अपनी स्वयं लिख रहा है और पूरा विश्व इसका साक्षी बन रहा है। पिछले कुछ समय में आपने वैश्विक मंचों पर पश्चिमी देशों को लताड़ लगाते हुए जयशंकर की कई वीडियो देखी होगी, हाल ही में उन्होंने अमेरिका में ही अमेरिका को हड़का दिया था। इसी बीच अब जयशंकर रूस की यात्रा पर निकल चुके हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आखिर क्यों एस जयशंकर के मास्को दौरे को काफी अहम माना जा रहा है।

दरअसल, भारतीय विदेश मंत्री, सोमवार से रूस के दो दिवसीय दौरे पर हैं। ज्ञात हो कि दो दिन पहले ही भारत ने यूएन में रूस के ‘नाजीवाद के महिमामंडन से मुकाबला’ प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग कर उसका समर्थन किया था। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र में इस प्रस्ताव पर तीखी बहस के बाद रूस के पक्ष में 105 मत पड़े थे, जबकि 52 ने इसके खिलाफ वोटिंग की थी। भारत के इस कदम के ठीक बाद अब जयशंकर, रूस दौरे पर निकल गए हैं।

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जल्द ही होने वाली है G-20 की बैठक

ध्यान देने योग्य है कि भारत के विदेश मंत्री जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री के बीच पिछले कुछ महीनों में कई बार मुलाकात हो चुकी है। फरवरी 2022 से लेकर अभी तक रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ 4 बार जयशंकर से मुलाकात कर चुके हैं। जयशंकर के इस दौरे पर अब उनकी 5वीं मुलाकात होगी। भारत के इस कदम को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में जी20 की बैठक भी होने वाली है। आपको बता दें कि जी20 की बैठक 15-16 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में होने वाली है, जहां सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष उपस्थित होंगे। इस अहम समिट से पहले जयशंकर की रूस यात्रा को भी काफी करीब से देखा जा रहा है। यह पहला मौका होगा जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन एक टेबल पर होंगे।

ज्ञात हो कि भारत 1 दिसंबर 2022 को इंडोनेशिया से जी20 का अध्यक्ष पद ग्रहण करेगा। इसके बाद 2023 में पहली बार भारत जी20 देशों की शिखर (G20 Summit) बैठक आयोजित करेगा। 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक के लिए G20 की अध्यक्षता भारत की अध्यक्षता में होगी। इस अध्यक्षता के दौरान देशभर में 200 से अधिक G20 बैठकों की मेजबानी करने की उम्मीद है। दूसरी ओर भारत-रूस की दोस्ती भी दिन प्रतिदिन एक नई कहानी लिखती जा रही है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत, रूस से रिकॉर्ड मात्रा में तेल का आयात कर रहा है।

एनर्जी इंटेलिजेंस फर्म, वोर्टेक्स के अनुसार, भारत ने दिसंबर 2021 में रूस से सिर्फ 36,255 बीपीडी कच्चे तेल का आयात किया, जबकि इराक से 1.05 मिलियन बीपीडी और सऊदी अरब से 952,625 बीपीडी का आयात किया गया था। अगले दो महीनों में रूस से कोई आयात नहीं हुआ लेकिन फरवरी के आखिर में यूक्रेन युद्ध छिड़ने के तुरंत बाद मार्च में फिर से शुरू हो गया था। और अब स्थिति ऐसी है कि रूस, भारत का सबसे बड़ा आयातक बन गया है। अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति की है। यह उसके द्वारा भारत को कच्चे तेल की अब तक की सर्वाधिक आपूर्ति है। यह अब भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का 22 प्रतिशत हो गया है, जो इराक के 20.5 प्रतिशत और सऊदी अरब के 16 प्रतिशत से अधिक है।

पश्चिम के आंखों में चुभ रही भारत-रूस की दोस्ती

आपको बताते चलें कि भारत और रूस की मित्रता पश्चिमी जगत के आंखों में चुभ रही है। पश्चिमी देशों ने रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरूआत से ही रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे लेकिन स्थिति ऐसी हो गई कि रूस के रहमोकरम पर जीने वाला पूरा यूरोप ठप्प सा पड़ गया। तब पश्चिमी देशों ने भारत पर रूस के विरूद्ध खड़े होने का काफी दबाव बनाया लेकिन भारत को ठहरा भारत, उनकी बोलती बंद की और अपने सदाबहार दोस्त रूस के साथ मुश्किल परिस्थिति में भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। अब स्थिति देख लीजिए, अमेरिका को कोई पूछ नहीं रहा है, पश्चिम देशों को अपनी औकात पता चल गई है और अब भारत की कूटनीति का ही असर है कि वे मिमियाते नजर आ रहे हैं। दूसरी ओर चीन भी पूरी तरह से रूस के पक्ष में खड़ा नहीं दिख रहा है। वहीं, दूसरी ओर भारत और रूस की करीबी उनके जलन पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। हालात ऐसे हो गए हैं कि वे चाह कर भी कुछ नहीं बोल सकते क्योंकि अब वो समय गया, जब भारत के बारे में कोई कुछ भी बोलकर निकल जाता था, अब भारत अपने विरोधियों को प्यार से धोता है। भारतीय विदेश मंत्री का रूस दौरा और हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच जो निकटता और बढ़ी है उससे चीन और अमेरिका दोनों टेंशन में हैं। ऐसे में एस जयशंकर की रूस यात्रा का असर क्या होगा, वह जल्द ही सभी के सामने आने वाला है।

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