BYJUs के बाद अब upGrad भी बर्बादी के कगार पर, आंकड़े दे रहे हैं प्रमाण

एडटेक का बबल फूट गया है और इनकी स्थिति काफी बुरी हो चली है। अब इसमें एक नाम upGrad का भी जुड़ गया। क्या यह भारत में एडटेक कंपनियों के अंत का संकेत है?

upGrad in loss

Source- TFI

upGrad: शिक्षा मानव जीवन का अभिन्न अंग है। शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है। जैसा कि हमने देखा कि जब पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के दस्तक दी थी, तो इस भयंकर बीमारी के कारण शिक्षा भी काफी प्रभावित हुई थी और तब ही आया था ऑनलाइन क्लासिस का दौर। इस दौरान तो मानो एड टेक कंपनियों की चांदी ही हो गयी। घर बैठे शिक्षा हासिल करने के लिए बड़ी संख्या में लोग ऑनलाइन शिक्षा का सहारा लेने लग गये थे।

इस दौरान कई एड-टेक कंपनियों के द्वारा ऑनलाइन मोड में पाठ्यक्रम, ट्यूटोरियल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए क्लासिस देने लगे थे, जिसके लिए इन कंपनियों ने छात्रों से मोटी रकम भी वसूली थी। परंतु जैसे ही कोरोना की रफ्तार थीमी पड़ी और लोगों की जिंदगी दोबारा से पटरी पर आने लगी, वैसे ही इन कंपनियों के अच्छे दिन भी फिर गए हैं और इनका पतन शुरू हो गया। आज के समय में देखा जाये तो इन कंपनियों की हालत इतनी खराब हो चुकी हैं कि इनके लिए अपना अस्तित्व बचाना तक मुश्किल हो रहा है।

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upGrad का घाटा बढ़ा

हम आपको लगातार बता रहे हैं कि कैसे एड-टेक की दिग्गज मानी जाने वाली BYJUs अपने अंत की ओर अग्रसर है। इसके बाद घर बैठे उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली कंपनी अपग्रेड की स्थिति भी कुछ ऐसी ही होती नजर आ रही है। मौजूदा समय में अपग्रेड घाटे के दौर से गुजर रही है।

मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, upGrad का समेकित शुद्ध घाटा पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना बढ़कर इस वित्त वर्ष के दौरान लगभग 627 करोड़ पहुंच गया, जो कि पिछले वर्ष 211.1 करोड़ रुपये  था। घाटे में वृद्धि होने के पीछे का कारण है कंपनी के खर्च में बढ़ोत्तरी होना। वित्त वर्ष 2022 में कंपनी का कुल खर्च बढ़कर 1,319 करोड़ रुपये हो गया था, जो पिछले वर्ष के 514 करोड़ से कही अधिक है। हालांकि इस दौरान कंपनी का राजस्व पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है और यह बढ़कर 692 करोड़ पहुंच गया।

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विज्ञापन और प्रचार पर पैसा बहा रही कंपनी

upGrad के खर्चे इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि  कंपनी विज्ञापन और प्रचार पर खूब पैसा लगा रही है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2022 में इस पर 393 करोड़ रुपये खर्च किए, जो वित्त वर्ष 2021 में खर्च किए गए 205 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना है। जाहिर है कि इन एड टेक कंपनियों ने प्रचार प्रसार में जमकर पैसा बहाया जा रहा है, जिसका परिणाम यह निकलता कि यह कंपनियां आज पतन की ओर अग्रसर हो रही हैं। बता दें कि एडटेक कंपनी अपग्रेड एक तरह से ऑनलाइन इंस्टिट्यूशन है जो कि आपको ऑनलाइन PG करने के लिए एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है। upGrad से ऑनलाइन माध्यम से MBA या अपग्रेड पर उपलब्ध तमाम छोटे-बड़े कोर्सेज, डिप्लोमा या डिग्री को पूरा किया जा सकता है।

एडटेक कंपनियों की हालत खराब

BYJUs ने भी ठीक ऐसा ही किया था। कंपनी ने विज्ञापनों पर खूब पैसा खर्च किया, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि BYJUs आज के समय में धीरे-धीरे कर अपने अंत की तरफ पहुंच रही है। कुछ समय पहले सामने आये आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में BYJUs का घाटा 17 गुना बढ़ गया है। कंपनी को इस वित्त वर्ष में  4500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जो एक वर्ष पूर्व यानी वित्त वर्ष 2019-20 में 262 करोड़ रुपये था। इसके साथ ही कंपनी के राजस्व में भी भारी कमी आयी है। BYJUs का राजस्व 2020-21 में 14 फीसदी घटकर 2428 करोड़ रुपये रह गया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में कंपनी का राजस्व 2704 करोड़ रुपये रहा था।

परंतु BYJUs के संस्थापक न तो कमियों को स्वीकार कर रहे हैं और न ही गलतियों से कोई सबक ले रहे हैं। एक तरफ कंपनी की हालत इतनी खराब होती चली जा रही है कि उन्हें कर्मचारियों को नौकरी से निकालने तक को विवश होना पड़ रहा है। दूसरी ओर खत्म होने की कगार  पर पहुंची BYJUs लोकप्रिय फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी का सहारा लेकर और उन्हें अपना ब्रांड एंबेडसर बनाकर अपनी छवि को चमकाना चाह रही हैं। ऐसा ही कुछ स्थिति में लीडो लर्निंग की भी है और वो दिवालिया होने जा रही है। हाल ही में लीडो लर्निंग ने लगभग 1200 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।

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इससे स्पष्ट है कि आज एडटेक कंपनियों की हालत ऐसी हो चुकी है कि कई कंपनियों बर्बाद होने की कगार पर खड़ी हैं। जब इन कंपनियों ने शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा तो इन्होंने ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने जैसे कई दावे किए थे, परंतु काफी हद वे अपने दावे और वादों पर खरी नहीं उतर पायी। इसके पीछे का कारण शायद यह हो सकता है कि इन कंपनियों ने शिक्षा को एक तरह से व्यापार का माध्यम बनाकर रख दिया। एड-टेक कंपनयों ने स्वयं में सुधार करने के बजाये प्रचार प्रसार में ढिंढोरा पीटने पर अधिक ध्यान दिया, जिसका परिणाम आज हम सबके सामने है।

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