अगर रेडियो पर एक ही गाना बार-बार बजता है तो उसे सुनकर किसी का भी मन ऊब जाता है। ऐसे ही कुछ विचार अब राहुल गांधी को भी लेकर भी आने लगे है। देखा जाये तो कभी पूरे भारत पर राज करने वाली कांग्रेस की स्थिति आज उसके ही कृत्यों के कारण बड़ी ही दयनीय अवस्था में पहुंच चुकी है। कांग्रेस के चश्मोचिराग राहुल गांधी वैसे तो कई दिनों से भारत जोड़ों यात्रा पर निकले है। परंतु अपनी इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी बार-बार ऐसे कार्य कर रहे हैं, जिससे ये भारत जोड़ने की यात्रा कम और भारत को तोड़ने की यात्रा ज्यादा लग रही है। राहुल गांधी के पिछले कुछ भाषणों पर गौर करेंगे तो ऐसा ही लगेगा कि उनके पास अब कुछ विशेष मुद्दे तो रह नहीं गये हैं इसलिए हर बार वो एक ही राग अलापते हुए दिखाई देते है यानी यह कहा जा सकता है कि राहुल गांधी की राजनीति अब किसी बिंदु पर अटक गई है!
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राहुल गांधी की ‘कुत्सित’ राजनीति
दरअसल, हाल ही में उन्होंने गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर “दो भारत” को लेकर तंज़ कसा है। महुवा के आदिवासियों को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, “आप देश के पहले मालिक हैं।” साथ ही भाजपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार गरीब आदिवासियों की जमीन छीनकर उद्योगपतियों को दे रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार की नीतियां “दो इंडिया” का निर्माण कर रही हैं, जिसमें से एक चुनिंदा अरबपतियों और दूसरा गरीबों का हैं।
पिछले कुछ वर्षों से देखा जाये तो राहुल गांधी की यह बातें रिपीट मोड पर चल रही हैं। वो हर जगह जाकर यही बातें करते नजर आते हैं, जिनके पीछे कोई ठोस कारण तो नहीं दिख रहा बल्कि ऐसा लग रहा है मानो उनके भाषण लेखक वीर दास ने लिखे हो, जो एक सो-कॉल्ड स्टैंडअप कॉमेडियन हैं और अमेरिका में जाकर ‘दो भारत’ जैसी अपमानजनक कविता सुनाते हैं।
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आदिवासियों को लेकर बोले राहुल गांधी
साथ ही ऐसा भी लग रहा है कि राहुल गांधी की बातें भी केवल आर्यन इन्वेजन थ्योरी तक ही सीमित है, जिसमें वो बस आदिवासियों की बात, उनके अधिकार का डंका ही बजाते रहते हैं। रैली के दौरान अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा सरकार नहीं चाहती कि वनवासियों के बच्चों का भविष्य बेहतर बने।
राहुल गांधी का ऐसा कहना था कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने किसानों, युवाओं और आदिवासियों के दर्द को करीब से महसूस किया है। उन्होंने कहा- “भाजपा आपको ‘वनवासी’ कहती हैं। वह ये नहीं कहते कि आप भारत के पहले मालिक हो, बल्कि वह कहते हैं कि आप जंगलों में रहते हैं। आपको इसका फर्क दिखता हैं? इसका मतलब है कि वे ये नहीं चाहते है कि आप शहरों में रहें, आप अपने बच्चों को इंजीनियर, डॉक्टर बनते हुए देखें, विमान उड़ाना सीखें, अंग्रेजी बोलें।”
उन्होंने ये भी कहा- “वे चाहते हैं कि आप जंगलों में ही रहे, लेकिन वो यहां पर रुके नहीं। इसके बाद वे आपसे ये जंगल भी छीनने लगते हैं। अगर इसी तरह से चलता रहा तो अगले पांच से दस साल में सारे जंगल दो से तीन उद्योगपतियों के हाथ मे चले जाएंगे और आपके पास रहने के लिए कोई भी स्थान नहीं होगा। आपको शिक्षा, स्वास्थ्य और नौकरी भी नहीं मिलेगी।” यहां यह जान लें कि राहुल गांधी ने गुजरात में दो रैलियों को संबोधित किया था, एक सूरत जिले के महुवा में और दूसरी राजकोट में। इस माह की शुरुआत में गुजरात विधानसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद उनकी ये पहली रैली थी।
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फूट डालने का काम कर रहे हैं राहुल?
ध्यान देने योग्य बात है कि एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ विजन के माध्यम से उत्तर और दक्षिण में चले आ रहे टकराव को खत्म करने के उद्देश्य से ‘काशी तमिल संगम’ कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी विवादास्पद टिप्पणी करके कभी समुदायों, तो कभी दो राज्यों के बीच दुश्मनी पैदा करने के प्रयास कर रहे हैं। इससे पहले जब बीते दिनों राहुल गांधी महाराष्ट्र पहुंचे थे, तो यहां उन्होंने गुजरात और महाराष्ट्र के लोगों के बीच टकराव पैदा करने की कोशिश की थीं। यहां राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के लोगों को यह दिखाने के प्रयास किए कि मोदी सरकार उनके राज्य के बड़े प्रोजेक्ट छिनकर गुजरात भेज रही है। वैसे तो “फूट डालो, राज करो” कांग्रेस की पुरानी नीति ही रही है, जिसे अब राहुल आगे बढ़ाते नजर आ रहे हैं। उनकी राजनीति इसी पर टिकी हुई है।
सरकार का विरोध करने को आतुर कांग्रेस ने राष्ट्र के नैतिक मूल्यों का विरोध करना आरंभ कर दिया है। इस प्रकार की टिप्पणियां बोगस आर्यन आक्रमण सिद्धांत की तरह ही है, जहां मार्क्सवादी विकृतियों ने एक भयावह दावा किया कि आर्यों ने भारत पर आक्रमण किया और मूल निवासियों (भूमि के पहले मालिक) पर अत्याचार किए।
सरकार पर आदिवासी विरोधी और गरीब विरोधी होने का तंज कसते हुए कांग्रेस नेता कल्याणकारी योजनाओं की सफलता को शायद नज़रंदाज़ कर रहे हैं। उदाहरण के लिए देखें तो साल 2014 के बाद पीएम मोदी ने गरीब, मध्यम वर्ग और समाज के कमजोर वर्गों के लिए प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे कई सारी योजनाएं लेकर आयी हैं। एक जिम्मेदार विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस को अपनी मंदबुद्धि और निचली राजनीति से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए, जो समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश करें।
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