हिंदू धर्म की विशिष्टता का प्रमाण है अग्निहोत्र, यहां समझिए लोगों को इसे क्यों करना चाहिए ?

अग्निहोत्र पूर्ण रूप से प्रकृति को समर्पित है और इसे दुनिया के 70 देशों ने स्वीकार किया है.

अग्निहोत्र

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हिंदू धर्म एक ऐसा पवित्र धर्म है जहां मंत्र साधना और यज्ञ को सभी साधनाओं में सबसे सर्वोच्च माना जाता है. इसके अनुसरण से हमारे जीवन की सभी परेशानियो का अंत तो होता ही है अपितु इससे हमारे मन को भी शांति की अनुभूति होती है. हिंदू धर्म वेदों में पांच प्रकार के यज्ञों के बारे में बताया गया है – ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ, वैश्वदेवयज्ञ और अतिथियज्ञ. इसमें से देव यज्ञ जो सत्संग या अग्निहोत्र से कर्म द्वारा किया जाता है. इसमें वेदी बनाकर अग्नि प्रज्ज्वलित कर होम किया जाता है. इसी को अग्निहोत्र यज्ञ के नाम से जाना जाता है. अग्निहोत्र अर्थात् अग्न्यंतर्यामी (अग्नि में) आहुति अर्पित कर की जाने वाली ईश्‍वर की उपासना है. यह सभी देवी-देवताओ के लिए है और पूर्णतः प्रकृति को समर्पित है. इसमें सभी देवी-देवताओं का आवाहन किया जाता है.

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इसके एक नहीं कई लाभ हैं

अग्निहोत्र एक वैदिक हवन पद्धति है, जिसे एक शुभ मुहूर्त यानी प्रातः 6 बजे से पहले किया जाता है. अग्निहोत्र हिन्दू धर्म के द्वारा मनुष्यों को दी हुई एक अमूल्य और लाभकारी देन है। अग्निहोत्र को नियमित रूप से करने से कई अनगिनत लाभ होते है. जैसे – वातावरण की शुद्धि, व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि, वास्तु और पर्यावरण की रक्षा आदि. समाज को बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षित जीवन की अनुभूति के लिए सूर्यादय और सूर्यास्त के समय ‘अग्निहोत्र’ करना अति लाभकारी माना जाता है। जो व्यक्ति इस पवित्र अग्निहोत्र विधि को करते हैं उनका तनाव कम होता है और शारीरिक, मानसिक शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है. ऐसा भी माना जाता है कि अग्निहोत्र पौधों में जीवन शक्ति का पोषण प्रदान करता है.

इस यज्ञ को करने से ‘देव ऋण’ चुकता है. यह यज्ञ आपातकालीन स्थिति के लिए ही नहीं बल्कि प्रतिदिन करने के लिए भी उपयुक्त है. हिंदू धर्म में पौराणिक मान्यता है कि, अग्निहोत्र यज्ञ से उत्पन्न अग्नि से ‘रज और तम’ कणों का नाश होता है. इस यज्ञ से उत्पन्न अग्नि मनुष्य को 10 फीट तक सुरक्षा कवच प्रदान करती है.

अग्निहोत्र से वनस्पतियों को वातावरण से पोषण द्रव्य प्राप्त होते है. इसके भस्म से भी उत्तम लाभ होते है. अग्निहोत्र के जादुई लाभ का सबसे अच्छा उदहारण है- भोपाल में दिसंबर,1984 में हुई गैस त्रासदी.  इसमें लगभग 15,000 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इतना ही नहीं, कई लोग शारीरिक अपंगता का भी शिकार हुए थे. तबाही की इस आंधी में हजारों परिवारों के बीच भोपाल में कुशवाहा परिवार भी इससे जूझ रहा था. अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार कुशवाहा परिवार के घर में प्रतिदिन सुबह और शाम अग्निहोत्र यज्ञ किया जाता था. इसलिए उस भयानक रात को भी कुशवाहा परिवार ने अग्निहोत्र यज्ञ किया. इसके बाद लगभग 20 मिनट के बाद ही उनका घर और उसके आस-पास का वातावरण ‘मिथाइल आइसो साइनाइड गैस’ से आजाद हो गया था.

इन मंत्रों का करना चाहिए उच्चारण

इतना ही नही इसे रोजाना करने से आपकी दिनचर्या में भी सुधार आता है. आज के वर्तमान समय में प्रदूषित वातावरण में वायु की शुद्धता को बनाये रखने के लिए ‘अग्निहोत्र’ विधि किसी औषधि से कम नहीं है. अग्निहोत्र एक ऐसा जादुई मंत्र है जिसे करने से अनेकों लाभ होते है साथ ही इसे करने में कम समय लगता है. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ही इस यज्ञ को करने का महत्त्व बताया गया है. इसमें प्रातःकाल 12 आहुतियाँ और सांयकाल 12 आहुतियाँ दी जाती हैं. सूर्योदय के समय निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए –

सूर्याय स्वाहा सूर्याय इदम् न मम .
प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदम् न मम ..

सूर्यास्त के समय निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए –

अग्नये स्वाहा अग्नये इदम् न मम .
प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदम् न मम ..

आपको बताते दें कि अग्निहोत्र को जिस हवन सामग्री से किया जाता है, उसके भी अपने अलग लाभ होते है. इसमें प्रयोग होने वाली हवन सामग्री में अलग-अलग तरह की चीज़ें होती हैं, जैसे- तिल, जौ और घी आदि. इस मंत्र को अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस जैसे 70 देशों ने भी स्वीकार किया है. इतना ही नहीं, उन्होंने विविध विज्ञान मासिकों में भी उसके निष्कर्ष छापे हैं, इसलिए वैज्ञानिक दृष्टि से भी ऐसा सिद्ध हुआ है कि यह विधि सभी नागरिकों को प्रतिदिन करना ही चाहिए.

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