अमेरिकी बिग टेक कंपनियों में काम करते हैं तो सावधान हो जाएं, आप सुरक्षित नहीं हैं

अमेरिकी बिग टेक कंपनियों ने पिछले दिनों में जैसे कदम उठाए हैं, उसके बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल वहां काम करने वाले लोगों के भविष्य को लेकर हैं।

अमेरिकी बिग टेक

विश्व में अमेरिका सबसे बड़ी कथित आर्थिक शक्ति है, वो बात और है कि यह तथ्य केवल और केवल कहने को है। इस बात को अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि सबसे अधिक शोषणकारी नीतियों को अपनाने वाले और दुनियाभर में विवाद खड़ा करने वाले देशों में यदि किसी देश का नाम सबसे पहले लिया जाएगा तो वो अमेरिका ही होगा। नवीनतम उदाहरण ट्विटर के रूप में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है- कैसे इस कंपनी ने अपने आधे से अधिक कर्मचारियों को केवल एक नोटिस देकर नौकरी से निकाल दिया। ऐसे में इस बात को समझना बहुत सरल है कि कैसे अमेरिकी कंपनियों में काम करने की इच्छा रखने वाले लोगों का भविष्य अंधकार में है। इस लेख में जानेंगे कि कैस यदि आप किसी अमेरिकी बिग टेक कंपनी के साथ काम कर रहे हैं तो न तो आपकी नौकरी सुरक्षित है और न ही आपका भविष्य सुरक्षित हैं।

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कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय

दरअसल, दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति या यूं कहें कि अपने धन के बल पर दुनियाभर में रौब जमाने वाले एलन मस्क अपने तरह-तरह के शौक के लिए जाने जाते हैं। स्पेस एक्स के जरिए लोगों को अतंरिक्ष की सैर कराने तक का स्वप्न दिखा चुके एलन मस्क अब ट्विटर के बॉस भी बन चुके हैं और अब उनका एक दूसरा ही रूप दुनिया के सामने आने लगा है। अपने लिए गए विवादित फैसलों के कारण एलन मस्क चर्चा में हैं। वो इस तरह कि ट्विटर खरीदने के बाद से ही उन्होंने आधे से अधिक कर्मचारियों को केवल एक शार्ट नोटिस के जरिए निकालने का सिलसिला शुरू कर दिया है। अब ऐसा करना कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय नहीं है तो और क्या है?

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भारत में भी छटनी

सोचिए कि ऑफिस जाते हुए किसी व्यक्ति को आधे रास्ते में ही पता चले कि उसकी तो नौकरी ही नहीं रही तो कल्पना करिए कि उस व्यक्ति पर क्या बीतेगी। ट्विटर में एलन मस्क की एंट्री होने से पहले 7500 लोगों का स्टाफ हुआ करता था। लेकिन मस्क ने आने के बाद सबसे पहले सीईओ पराग अग्रवाल, सीएफओ नेड सेगल और ट्विटर ट्रस्ट और सेफ्टी विभाग की हेड विजया गड्डे को निकाल दिया और उसके बाद अब कंपनी के घाटे के नाम पर 50 प्रतिशत कर्मचारियों को निकाल दिया गया है। वहीं भारत की बात करें तो ट्विटर में 200 से ज्यादा लोग काम करते थे, जिनमें से ज्यादातर लोगों की छंटनी कर दी गई है।

ध्यान देना होगा कि छंटनी करने की इस प्रक्रिया में केवल ट्विटर ही नहीं है बल्कि फेसबुक, गूगल (अमेरिकी बिग टेक) भी इसी रेस में आगे-आगे भाग रहे हैं। इन दोनों कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर कम करने का प्लान बनाया है।

कर्मचारियों की छंटनी करने के इस खेल में अगर फेसबुक की बात करें तो वो भी पीछे नहीं है। एलन मस्क के बाद “सादा जीवन और उच्च विचार” के प्रणेता बनने वाले मार्क जकरबर्ग ने भी अपनी कंपनी फेसबुक में दुनियाभर के 12 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को निकालने का प्लान बनाया है। कर्मचारियों की छंटनी के पीछे जकरबर्ग की नेटवर्थ में कमी और शेयर बाजार में कंपनी के शेयर में गिरावट आना बताया जा रहा है।

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भर्तियों में भी कटौती

ट्विटर और फेसबुक के बाद अब बात आती है गूगल की, तो यह भी दूध की धुली कंपनी नहीं है। इसने भी अगस्त के महीने में कर्मचारियों की छंटनी करने का प्लान तैयार किया था और कहा था कि जो कोई भी अच्छा काम नहीं करेगा उसे निकाल दिया जाएगा। इसके आलावा कंपनियों ने भर्तियों में भी कटौती की है।

निष्कर्ष यह है कि अमेरिकी बिग टेक आज के समय की ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह दिखायी देने लगी हैं जोकि जिस भी देश में जाती हैं वहां पर अपना पूर्ण रूप से आधिपत्य जमाने की कोशिश तो करती ही हैं इसके साथ ही मनमानी भी करती है। अपने लाभ के लिए ये किसी भी हद तक जा सकती हैं। न तो इन कंपनियों को अपने यहां काम करने वाले लोगों के करियर की पड़ी और न तो इन्हें किसी के भविष्य के बनने बिगड़ने से कोई अंतर पड़ता है।

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