कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा समय में वायनाड से सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कर रही है। 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई इस यात्रा का उद्देश्य भारत को एकजुट करना बताया जा रहा है। इस यात्रा को निकले 100 दिन से अधिक का समय हो गया है लेकिन प्रश्न यह है कि यह यात्रा कितनी सफल रही है? क्या जिस उद्देश्य के साथ इस यात्रा को निकाला गया था वह पूरा हुआ? कांग्रेस को इस यात्रा से क्या हासिल हुआ? इस यात्रा से राहुल गांधी को क्या हासिल हुआ? और सबसे बड़ा प्रश्न तो यह है कि इस यात्रा का देश के आम लोगों पर क्या और कितना प्रभाव पड़ा?
इस लेख मैं हम इन सभी प्रश्नों के उत्तर टटोलने का प्रयास करेंगे।
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एक असफल यात्रा
दरअसल, सच तो यह है कि कांग्रेस की यह यात्रा पूरी तरह से असफल रही है क्योंकि कांग्रेस इस यात्रा के माध्यम से देश की आम जनता को ही नहीं जोड़ पायी है। इस यात्रा में वही लोग जुड़े जिन पर हिंदू विरोधी होने के आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं। इस यात्रा से वहीं लोग जुड़े जिन पर देश विरोधी होने के आरोप लगते हैं।
ज्ञात हो कि भारत को जोड़ने निकले राहुल गांधी अपनी यात्रा के दौरान पादरी जॉर्ज पोन्नैया से मिले। ये वही पादरी हैं जिन्होंने भारत माता को अपशब्द कहा था। पिछले ही साल इस पादरी ने यह कहते हुए भारत माता का अपमान किया था कि वह गंदी है और खुजली का कारण बन सकती है। तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में अपने सार्वजनिक संबोधन के दौरान इस पादरी ने धरती माता के सम्मान में जूते नहीं पहनने के लिए भाजपा उम्मीदवार एमआर गांधी का मजाक भी उड़ाया था।
कांग्रेस की भारत जोड़ों यात्रा से वामपंथ झुंड की जानी पहचानी सदस्य स्वरा भास्कर जुड़ीं। हिंदू विरोधी बयान देने के लिए अपनी एक अलग पहचान बना चुके अभिनेता कमल हासन इस यात्रा से जुड़ चुके हैं। वो कमल हासन ही हैं जिन्होंने 2002 में रिलीज हुई तमिल फिल्म ब्रह्मचारी में भगवान शिव का अपमान किया था। एक दृश्य के दौरान उन्होंने भगवान शिव का वेश धारणकर उनका मजाक बनाया था। उस दृश्य में कमल हसन एक कलाकार की भूमिका में थे जिसे शिव की भूमिका निभानी थी। उस दृश्य में हासन पहले गलत डायलॉग बोलकर भगवान शिव का मजाक बनाते हैं, फिर मां पार्वती के मुंह पर गलती से त्रिशूल मार देते हैं। इसके बाद डायरेक्टर उन्हें बबलगम देता है, जिसे चबाते हुए कमल हसन बबल बनाने लगते हैं। जिसके बाद दृश्य में पुलिस आ जाती है और उसी दौरान हड़बड़ी में नन्दी बैल भागने लगते हैं, जिसका पीछा करने के लिए कमल हासन भगवान शिव के वेश में ही साइकिल पर निकल जाते हैं।
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राहुल गांधी के मित्र-बंधु
कुल मिलाकर राहुल गांधी अपने मित्र बंधु जो देश विरोधी और हिंदू विरोधी बातें करने के लिए अपनी पहचान बना चुके हैं उन्हें जोड़ने में कामयाब हुए हैं। खेद है कि इतने क्षेत्रों में घूम-घूमकर वो आम जनता को नहीं जोड़ पाए। अब जब अपने दोस्तों और बंधुओं को ही जोड़ना था तो चाय कॉफी पर ही बुला लेते, इतनी मेहनत क्यों कि भला।
यात्रा पुरी तरह असफल रही है जिसे कांग्रेस भी भांप चुकी है, तभी तो मध्य प्रदेश के पू्र्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ के बेटे ने कहा है कि मैं तो राहुल गांधी के साथ पूरे मध्य प्रदेश में घूम रहा था, लेकिन मैं परासिया की जनता को यह बताना चाहता हूं कि परासिया विधानसभा में भारत जोड़ो यात्रा से भी अधिक भीड़ है। बता दें कि कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ ने शनिवार को बडकुही से परासिया तक लगभग 7 किमी लंबी भारत जोड़ो उपयात्रा निकाली थी, इस दौरान उन्होंने यह बयान दिया है।
वहीं पूरा देश इस बात से लगभग परिचित ही होगा कि कोरोना के कारण चीन में किस तरह हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में भारत में भी कोरोना संबंधी सतर्कता बरतने को कहा जाने लगा है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कांग्रेस सासंद राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। इस पत्र में भारत जोड़ो यात्रा में कोविड गाइडलाइंस का कड़ई से पालन किए जाने की अपील की गई है, लेकिन यात्रा के असफल होने से इतना अधिक बोखलाई हुई है कांग्रेस कि उसने सरकार के इस फैसले तक का विरोध कर दिया।
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एक और प्रयोग
वहीं भारत जोड़ो यात्रा को कोई सफलता न मिलते देख, अब कांग्रेस एक और यात्रा निकालकर अपना हाथ अजमाना चाह रही है। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने ऐलान कर दिया है कि कांग्रेस जल्द ही हाथ से हाथ जोड़ो अभियान चलाने जा रही है। उन्होंने कहा है कि हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा के लिए सभी योजनाएं और तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। एक विफल यात्रा के बाद एक और यात्रा जिससे साबित होता है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पूरी तरह से विफल रही है नहीं तो किसी और यात्रा की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।
अब लगे हाथ मीडिया की भी बात कर लेते हैं। एक विफल यात्रा से कांग्रेस इस तरह से हताश हो चुकी है कि मीडिया पर ही आरोप लगाने लगी है कि मीडिया उसकी यात्रा को अधिक कवरेज नहीं दे रहा है। इन आरोपों के उलट सत्य तो यह है कि जब यात्रा आम लोगों को ही अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रही है तो मीडिया भला उसे क्यों कवर करेगी भला। कुल मिलाकर कांग्रेस का यात्रा वाला यह प्रयास पूरी तरह से विफल रहा है। अततः कांग्रेस को इन विफलताओं को स्वीकार करना चाहिए और राहुल बाबा को रीलॉन्च करने के लिए किसी दूसरे प्रयोग के साथ सामने आना चाहिए या फिर स्वयं राहुल बाबा को ही अपने विफल राजनैतिक करियर को हमेशा के लिए स्थगित कर देना चाहिए।
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