पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो या यूं कहें कि पाकिस्तान के “पप्पू” को इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई एक भद्दी टिप्पणी को लेकर जमकर धोया जा रहा है। यही नहीं भुट्टो के बयान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा आधिकारिक रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की गई जिसमें पाकिस्तान को आतंकवाद और अल्पसंख्यकों के साथ बुरे बर्ताव जैसे कई मुद्दों पर खूब कूटा गया। लेकिन अब यह मुद्दा बयानों से ऊपर निकल चुका है। बीजेपी कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ की गई इस ‘असभ्य टिप्पणी’ को लेकर आक्रोश में हैं और वे पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। बिलावल भुट्टो के बयान के बाद जो कुछ भी हो रहा है उसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो भुट्टो ने पीएम मोदी को वो मौका दिया हो, जिसके वो इंतजार में थे।
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बिलावल भुट्टो ने क्यों दिया ये बयान?
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर पूरा विवाद है क्या? दरअसल, बिलावल भुट्टो ने 16 दिसंबर को बयान देते हुए कहा था– “ओसामा बिन लादेन मर चुका है पर ‘बुचर ऑफ गुजरात’ जिंदा है और वो भारत का प्रधानमंत्री है। जब तक वो प्रधानमंत्री नहीं बना था तब तक उसके अमेरिका आने पर पाबंदी थी।” अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बिलावर भुट्टो ने पीएम मोदी को लेकर इस तरह की विवादित टिप्पणी आखिर की क्यों?
दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई थीं, जब हर बार की तरह अपनी पुरानी आदत को दोहराते हुए संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में पाकिस्तान के द्वारा कश्मीर मुद्दे को उठाया गया। पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने अपने एक बयान में कहा था कि कश्मीर का मुद्दा अभी सुलझा नहीं था, जिसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें लताड़ते हुए कहा कि जो देश ओसामा बिन लादेन की मेहमाननवाजी कर रहा था, जिसने अपने पड़ोसी की संसद पर हमला किया वो UN जैसे शक्तिशाली मंच पर उपदेश देने के काबिल नहीं है। इसके बाद ही बिलावल भुट्टो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ये विवादित और बेहूदा टिप्पणी की थीं।
भुट्टो द्वारा दिया गया यह बयान बेहद शर्मनाक और घटिया है। किसी भी देश के प्रधानमंत्री के लिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना और वो भी विदेश मंत्री होते हुए बिलावल भुट्टो की कुंठित मानसिकता को दर्शाता है। वैसे भी पाकिस्तान एक आतंकवाद को आश्रय देने वाला और दूसरों की सहायता पर पलने वाला देश है। इसलिए बिलावाल भट्टो को टिप्पणी करने से पहले अपने गिरेवान को झांककर देख लेना चाहिए।
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1971 की हार का दर्द
यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि बिलावल भुट्टो ने जिस दिन यह बयान दिया था वो 16 दिसंबर का दिन था। पाकिस्तान के लिए यह दिन हार और आत्मसमर्पण करने का दिन है। ज्ञात हो 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान और भारत के बीच एक युद्ध समाप्त हुआ था जिसमें पाकिस्तान बुरी तरह हारा था। इस दौरान भारत ने पाकिस्तान के टुकड़े कर दिए और एक नया देश बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। भारत के लोगों ने सोशल मीडिया पर बिलावल भुट्टो को 16 दिसंबर 1971 याद दिलाते हुए उनके जमककर मजे लिए।
PoK को लेकर कुछ बड़ा होने वाला है?
बिलावल भुट्टो के भद्दे बयान के बाद जिस प्रकार देश में बीजेपी पाकिस्तान के विरोध में उग्र होती हुई दिख रही आ रही है। उससे कई प्रकार के प्रश्न उठ रहे हैं। एक सीधा सवाल तो यह है कि बीजेपी व्यर्थ में ही एक ऐेसे व्यक्ति का घेराव कर रही जिसका स्वयं का कोई अस्तित्व नहीं है। आज विदेश मंत्री हैं क्या पता कल रहे न रहें? क्योंकि पाकिस्तान में जिस प्रकार की लोकतांत्रिक व्यवस्था है वो तो सर्वविदित है।
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दूसरा बड़ा प्रश्न यह है कि बिलावल भुट्टो की यह टिप्पणी मोदी सरकार को वो मौका दे देगी, जिसके वो प्रतीक्षा में थीं। दरअसल, देखा जा रहा है कि भुट्टो के बयान को लेकर भाजपा किस प्रकार से उग्र हो गई है और पाकिस्तान के विरुद्ध देशभर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि मानों भाजपा आम नागरिकों के बीच यह सहमति बनाने की कोशिश कर रही हो कि अब पाकिस्तान को सबक सिखाने और उसके हाथों से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) छीनने का सही समय आ चुका है।
पिछले कुछ समय से देखा जाये तो मोदी सरकार के कई बड़े नेता PoK वापस हासिल करने के लिए कई बड़े बयान दे रहे हैं। बीजेपी प्रारंभ से ही POK को लेकर मुखर रूप से बोलती आई है फिर चाहे वह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हों, गृह मंत्री अमित शाह या स्वयं पीएम मोदी। कुछ समय पूर्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने एक बयान में PoK को भारत का हिस्सा बताते हुए आश्वासन दिया था कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो उसमें भारत ही विजयी बनकर निकलेगा। वहीं भारतीय सेना ने भी स्पष्ट किया है कि PoK वापस लेने के लिए वे केवल सरकार के एक आदेश के इंतेजार में बैठी हैं।
बीते कुछ समय से जिस प्रकार मोदी सरकार PoK की घर वापसी को लेकर सार्वजनिक रूप से चर्चा कर रही है। उससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार इसके लिए पहले माहौल तैयार कर रही है। जिस प्रकार से नेता PoK को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं। साथ ही पाकिस्तान के विरुद्ध माहौल बनाया जा रहा है, उससे तो ऐसा ही लगता है कि आने वाले समय में पाकिस्तान के खिलाफ कुछ बड़ा होने वाला है और यह जो विरोध है वो उसकी सिर्फ तैयारी भी हो सकता है। खैर PoK को एक न एक दिन भारत का हिस्सा तो बनना है ही। परंतु पाकिस्तान इस तरह के कृत्य कर स्वयं ही उस दिन को निकट बुलाता जा रहा है।
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