अपनी “जबरन वसूली” की रणनीति की वजह से NCPCR की रडार पर आ ही गया BYJUs

BYJU'S ने अपनी छवि चमकाने, विज्ञापनों और ब्रांड एंबेसडरों पर इतना पैसा खर्च करने और लोगों का पैसा लूटने की जगह बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने पर काम किया होता तो आज उसका ये हाल नहीं होता।

BYJU's with its border line extorsion tactics invited the wrath of NCPCR

Source- TFI

वो कहते हैं न पाप का घड़ा धीरे ही सही लेकिन निश्चित रूप से भरता अवश्य है और जब ये भरता है तो सभी पापों का पूरा हिसाब होता है। हम बात कर रहे हैं BYJU’S  की, लगता है मानो उसके पापों का घड़ा अब पूरी तरह से भर चुका है और BYJUs की उल्टी गिनती भी शुरू हो गयी है। जैसा कि हम आप सभी जानते हैं कि पिछले कई महीनो से बर्बादी की कगार पर पहुंच रहा BYJU’S पर धोखेबाज़ी, कर्मचारियों का शोषण करने के कई आरोप लगे गए है। यहां तक कि हाल ही में आई एक सार्वजनिक रेटिंग से भी कंपनी का पर्दाफाश हुआ था। वहीं इन सबके बाद BYJU’S के लिए एक और नई मुसीबत आकर खड़ी हो गई है।

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NCPCR का BYJU’S को समन

दरअसल, अब BYJUs अब सरकार की जांच के घेरे में भी आ गया है। जी हां, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने BYJU’S के सीईओ बायजू रवींद्रन को एक समन जारी किया है। आयोग के द्वारा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स को संज्ञान में लिया गया है, जिसमें ये आरोप लगाया गया कि कंपनी अपने पाठ्यक्रमों को गलत तरह से बेचकर छात्रों का शोषण कर रही है। बायजू रवींद्रन को 23 दिसंबर को दोपहर 2 बजे तक सभी दस्तावेजों के साथ आयोग के सामने पेश होना है।

आयोग के अनुसार, मीडिया रिपोर्ट में कुछ माता-पिता ने ऐसा दावा किया है कि BYJU’S के द्वारा उनका शोषण करके उनको धोखा दिया गया है। BYJU’S पर आरोप ये लगे है कि वो अपने कोर्सों को गलत तरीके से बच्चों को बेचकर उनका घोषण कर रही है। BYJU’S के खिलाफ ऐसी कई शिकायतें मिली, जिसमें लोगों का कहना है कि BYJU’S के कारण उन्होंने अपनी बचत खो दी और बच्चों को भविष्य को भी खतरे में डाल दिया। यही नहीं रिपोर्ट में ये भी आरोप लगाया गया है कि BYJU’S ग्राहकों को पाठ्यक्रमों के लिए ऋण-आधारित समझौतों में प्रवेश करने के लिए ‘बरगलाने’ का भी प्रयास करता रहा है।

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गरीब परिवारों को निशाना बनाता है BYJUs

अभी हाल ही में BYJUs की एक सार्वजनिक रेटिंग सामने आई थी, जिसमें समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने BYJU’S के 22 ग्राहकों से एक ख़ास बातचीत की थी। इस बातचीत से पता चला था कि BYJUs ने बड़ी ही चालाकी से गरीब परिवारों को निशाना बनाया था। इसमें अधिकतर कम आय वाले परिवार शामिल थे, जिनका कहना था कि सेल्स के लोगों ने बहुत आक्रामकता से उन्हें कोर्स को खरीदने के लिए मजबूर किया और उनसे पैसे लेकर चले गए। वहीं अधिकतर लोगों का ये भी कहना है कि कंपनी के सेल्समेन ने उनकी अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा उपलब्ध कराने की इच्छा का लाभ उठाया और उन्हें कर्जदार बनाकर रख दिया।

BYJU’S को लेकर कुछ माता-पिता का ऐसा कहना था कि यहां से रिफंड लेना बहुत ही मुश्किल है। ConsumerComplaints.in वेबसाइट पर BYJU’S के खिलाफ 3,759 शिकायतें मौजूद हैं जिनमें से 1,397 का समाधान किया जा चुका है। वहीं अन्य शिक्षा-तकनीकी कंपनियों जैसे सिंपलीलर्न, वेदांतु, अनएकेडमी और अब दिवालिया हो चुकी लीडो लर्निंग के खिलाफ शिकायतों की संख्या केवल 350 ही है। इसका सीधा और स्पष्ट मतलब तो यही दिखता है कि ये एक धोखाधड़ी भरा बिजनेस मॉडल है जिसमें कमजोर लोगों को शिकार बनाकर केवल अपना लाभ देखा जाता है। बच्चों के साथ-साथ BYJU’S के द्वारा उनके माता-पिता पर दबाव बनाकर उनको भी प्रताड़ित किया गया है। लेकिन अब प्रतीत होता है मानो BYJU’S की इन सभी घोटालों को जनता के साथ-साथ सरकार ने भी भांप लिया है और वो इसकी तह तक जाकर BYJU’S की खटिया खड़ी करने वाली है।

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घाटे से उभर नहीं पा रहा BYJU’S

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि BYJUs की हालत काफी ज्यादा खराब चल रही है। कोरोना के बाद से ही कंपनी लगातार घाटे में चल रही है। कुछ समय पहले आयी एक रिपोर्ट को देखें तो कंपनी के घाटे में निरंतर बढ़ोतरी देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2020-21 में BYJUs का घाटा 17 गुना तक बढ़ गया था। कंपनी को 4500 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। इसके अलावा कंपनी के राजस्व में भी भारी कमी देखने को मिली थी। लेकिन इसके बाद भी BYJU’S के द्वारा यही कहा गया कि कंपनी एकदम सही चल रही है।

इतना ही नहीं कुछ रिपोर्ट्स ऐसी भी सामने आई है जहाँ पता चला है कि BYJU’S पर कंपनी के द्वारा कर्मचारियों के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है. कॉन्टेक्स्ट ने BYJUs के 26 कर्मचारियों से बातचीत की। इनमें से 18 अभी भी वहीं पर काम कर रहे है। इनके अनुसार, बहुत ही कठिन हालात में वे लोग काम कर रहे हैं। उनसे काफी बुरा व्यवहार किया जाता है। साथ ही सेल्स टारगेट को पाने के लिए लोगों को किसी भी तरह कोर्स खरीदने के लिए जबरदस्ती मजबूर करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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वैसे BYJU’S ने अपनी डूबी हुई नाव को किनारा लगाने और अपने कर्मों को छुपाने का काफी प्रयास किया। फिर चाहे वो कंपनी के संस्थापक के द्वारा TFI की रिपोर्ट का मजाक बनाकर कंपनी की तुलना ‘ब्रह्मास्त्र’ फिल्म के कलेक्शन से करनी हो या फिर अपने कंपनी के ब्रांड एंबेसडर के रूप में कभी शाहरुख खान तो कभी फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी को चुनना हो, लेकिन किसी का कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ा और अब सच धीरे-धीरे जनता और सरकार के सामने आ गया। काश BYJU’S ने अपनी छवि चमकाने, विज्ञापनों और ब्रांड एंबेसडरों पर इतना पैसा खर्च करने और लोगों का पैसा लूटने की जगह बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने पर काम किया होता तो आज उसका ये हाल नहीं होता।

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