“झूठ बोलो, बार-बार झूठ बोलो, जो भी बोल सकते हो झूठ बोलो”, बस इतनी-सी है केजरीवाल की राजनीति

केजरीवाल को झूठ बोलने और बढ़-चढ़कर दावे करने की आदत गई है और इसी तरह उन्होंने गुजरात में आम आदमी पार्टी को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे लेकिन चुनाव में उनकी पार्टी दहाई के आंकड़े को भी छूने में सफल नहीं हो पायी।

केजरीवाल

Source- TFI

देश के कुछ राज्यों में पिछले कुछ समय से चुनावों को लेकर माहौल काफी गर्म था। इन जगहों पर चुनाव अब संपन्न हो गए हैं और परिणाम भी सबके सामने आ गए। सबसे पहले बात दिल्ली विधानसभा चुनाव की करें तो दिल्ली में विधानसभा के साथ साथ अब एमसीडी पर भी केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने अपना कब्जा जमा लिया है। हाल ही में दिल्ली में हुए नगर निगम के चुनाव में आम आदमी पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ । जहां आम आदमी पार्टी को MCD चुनावों में 250 में से 134 सीटों पर जीत मिली हैं। वहीं इस चुनाव में भाजपा के खाते में 104 सीटें आयीं। इसके साथ ही केजरीवाल के वो दावा गलत साबित हो गया, जिसमें वो कह रहे थे कि दिल्ली एमसीडी में भाजपा की 20 सीटें ही आएगी।

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केजरीवाल के दावे हुए फुस्स

खैर यह तो बात हो गई दिल्ली एमसीडी चुनाव की। MCD में जीत के बाद आम आदमी पार्टी कार्यालय पर पार्टी समर्थकों ने जमकर जश्न मनाया लेकिन इसके एक दिन बाद ही आए गुजरात चुनावों के परिणामों ने आदमी पार्टी को बड़ा झटका दिया है। गुजरात में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है और राज्य में आम आदमी पार्टी का बेहद ही बुरा हाल हुआ। जो आम आदमी पार्टी गुजरात में सरकार बनाने के बड़े बड़े दावे कर रही थी, वो दहाई के आंकड़े तक को छूने में सफल नहीं हो पायीं।

पिछले कुछ समय में लिखकर चुनावों की भविष्यवाणी करने में केजरीवाल की विशेष रुचि देखी गई है। केजरीवाल की लिखने वाली भविष्यवाणी पंजाब चुनाव में सही बैठी तो उन्होंने सोचा क्यों न यह फॉर्मूला गुजरात में भी अपना लिया जाएं। अब तुक्का लगाने में क्या ही जाता है।  गुजरात में भी विधानसभा चुनाव से पहले जगह जगह जाकर लिखित रूप से अपनी पार्टी के जीतने के तमाम बड़े बड़े दावे केजरीवाल ने कर डाले थे लेकिन ये दावे ठीक वैसे ही फेल हो गए जैसे केजरीवाल का फ्रीबी मॉडल।

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आईबी रिपोर्ट वाले दावे पर हो रही किरकिरी

इतना ही नहीं केजरीवाल की ओर से अपने झूठे दावों को सत्य दिखाने की पूरी कोशिश की गई थी। इसके लिए उन्होंने आईबी की रिपोर्ट तक का हवाला दे दिया था। केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि केंद्र सरकार ने गुजरात में अपनी खुफिया एजेंसी को भेजा है और उनसे कहा है कि गुजरात में कि पता करके आओ कि माहौल क्या है। उन्होंने आगे कहा था कि 20-25 दिन आईबी के अफसरों ने गुजरात के कोने-कोने में घूमे और घूमने के बाद रिपोर्ट दी कि दिसबंर के महीने में आम आदमी की सरकार बनने जा रही है। लेकिन केजरीवाल का ये दावा भी एकदम फुस्स हो गया और बड़बोले बोल बोलने में माहिर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी गुजरात में 5 सीटों पर सिमटकर रह गई और बीजेपी ने राज्य में रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज करते हुए 156 सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया।

अब इतना बड़ा दावा करोगे और वो इस तरह से गलत साबित हो जाएगा, तो इसको लेकर आपका मजाक तो बनेगा ही। ऐसा ही कुछ केजरीवाल के साथ भी हो रहा है। भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने केजरीवाल के दावे को लेकर चुटकी लेते हुए कहा- “केजरीवाल को गलत रिपोर्ट देने की वजह से IB आज इस्तीफ़ा देने वाली है।”

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सीएम पद के उम्मीदवार भी हारे

“गुजरात में परिवर्तन की आंधी है”, “हमारे प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया भारी मार्जिन से जीत रहे हैं”, “सीएम पद के लिए हमारे उम्मीदवार ईसुदान जी भारी मार्जिन से जीतेंगे”, इस तरह के न जाने कितने बढ़-चढ़कर दावे केजरीवाल ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान किए थे लेकिन आम आदमी पार्टी गुजरात में सरकार बनाने की बात तो छोड़ ही दीजिए। उनकी पार्टी तो अपने सीएम पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी और गुजरात आप अध्यक्ष गोपाल इटालिया तक की सीटें बचाने में सफल नहीं हो पायी। वहीं बात हिमाचल की करें तो वहां तो आम आदमी पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल पाई।

नतीजे सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर केजरीवाल के चुनाव के दौरान के किए गए दावों के वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं। इस दौरान तमाम लोग केजरीवाल की जमकर खिंचाई करते नजर आ रहे हैं।

देखा जाये तो बिना आधार कुछ भी बोल देने दिल्ली के सीएम केजरीवाल की मानो आदत ही बन गई है इसलिए कुछ लोग ये तक कहते भी हैं कि हमने केजरीवाल से झूठा आज तक नहीं देखा। वो इतने बड़े दावे करते हुए जमीनी हकीकत को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीति का स्तर झूठ बोल-बोलकर गिराते जा रहे हैं। वो कहीं भी और किसी भी मामले पर कुछ भी दावा कर देते हैं। झूठी कहानी कहानी सुनाकर चुनावों के दौरान केजरीवाल ने माहौल बनाने की भरपूर कोशिशें की परंतु वो इसमें बुरी तरह से असफल हो गए और गुजरात और हिमाचल की जनता ने उन्हें नकार दिया।

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