जहां-जहां पैर पड़े कपटियों के तहां-तहां बंटाधार… यह एक ऐसी कहावत है जो कि अमेरिका पर सटीक तरह से लागू होती है क्योंकि उसने अपनी युद्ध नीति के तहत छोटे-छोटे देशों को उजाड़ने का काम किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान हमें यह सबकुछ होता ही देखने मिल रहा है कि कैसे यूक्रेन को युद्ध की आग में झोंककर अमेरिका ने अपने कदम पीछे खींच लिए। एक तरफ अमेरिका है जो शायद विनाश में विश्वास रखता होगा, जबकि दूसरी बार भारत निर्माण में भरोसा करता है। इसी के तहत भारत ने अब सीरिया को आर्थिक मदद (India Syria assistance) देकर उसके पुनर्निर्माण को लेकर बड़ा सराहनीय कदम उठा रहा है। चलिए समझाते हैं कि इस कदम का वैश्विक स्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
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भारत कर रहा सीरिया की मदद
दरअसल, आतंकवाद और युद्ध के चलते तबाह हो चुके सीरिया को अब भारत नयी संजीवनी (India Syria assistance) देने वाला है। भारत ने बिजली संयंत्र और इस्पात संयंत्र के निर्माण के लिए सीरिया को 28 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा की पेशकश की है। सीरिया की राजनीतिक-मानवीय स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सत्र को संबोधित करते हुए भारत के स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने बुधवार को कहा- “भारत ने बिजली संयंत्र और इस्पात संयंत्र के निर्माण के लिए सीरिया को 280 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की पेशकश की है।”
बता दें कि अक्तूबर 2021 में दमिश्क में एक नेक्स्ट-जेन सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई थी। वहीं सीरियाई छात्रों को विभिन्न धाराओं में भारत में अध्ययन करने के लिए लगभग 1500 छात्रवृत्तियां प्रदान की गई हैं, जिसमें वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में ही 200 छात्रवृत्तियां शामिल हैं। रुचिरा कंबोज ने कहा, “भारत द्विपक्षीय और बहुपक्षीय चैनलों के माध्यम से सीरिया को मानवीय, तकनीकी और विकासात्मक सहायता प्रदान करता रहा है। महामारी सहित समय-समय पर सीरिया को भोजन और दवाओं की खेपों की आपूर्ति की गई है।”
भारतीय प्रतिनिधि कंबोज ने कहा, “हमें खेद है कि सीरिया में संघर्ष का अभी भी कोई अंत नहीं है और राजनीतिक प्रक्रिया का पांव पसारना अभी बाकी है। हम सीरियाई अरब गणराज्य की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ UNSC संकल्प 2254 के अनुरूप सीरिया के नेतृत्व वाली और सीरिया के स्वामित्व वाली राजनीतिक प्रक्रिया पर जोर देना जारी रखते हैं।”
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सीरिया ने की भारत की जमकर तारीफ
ऐसा नहीं है कि भारत कोई पहली बार भारत ने सीरिया के लिए मदद (India Syria assistance) का हाथ बढ़ाया है अपितु यह हमेशा से ही भारत की नीति रही है कि वो वैश्विक स्तर पर कमजोर देशों की सहायता करने में सबसे आगे रहता है। प्रत्येक मौके पर भारत ने सीरिया में अपनी मदद पहुंचाई है और इसी का परिणाम है कि भारत के साथ सीरिया के रिश्ते बेहतरीन रहे हैं। जब भी वैश्विक मंचों पर भारत को सीरिया की आवश्यकता पड़ी, सीरिया भारत के साथ ही खड़ा दिखा। पाकिस्तान से लेकर चीन तक के मुद्दों पर सीरिया की नीति हमेशा ही भारत के पक्ष में ही रही।
नवंबर 2022 में जब सीरियाई विदेश मंत्री फैसल मैकदाद भारत आए थे, तो उस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। इस दौरान वे भारत की जमकर तारीफ करते नजर आए थे। तब उन्होंने ये स्वीकार किया कि भारत ने कैसे कदम-कदम पर सीरिया का साथ दिया। उन्होंने यहां तक कहा कि जब उनके देश में खाने को कुछ नहीं था तो मदद का पहला हाथ भारत की तरफ से उठा।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा- “साल 2013, 2014 और 2015 में सीरिया की राजधानी दमास्कस में लगातार आतंकी हमले हो रहे थे तो भारतीय दूतावास ही ऐसा था, जिसमें सभी काम सामान्य दिनों की तरह करता रहा। खास बात यह है कि आतंकवादी संगठनों ने भी इसे निशाना नहीं बनाया। इसकी वजह यह है कि वे भी भारतीय मित्रता को स्वीकार करते थे। सीरिया के विदेश मंत्री ने आगे यह भी कहा था- ”हम यह समझते हैं कि नागरिकों और लोकतंत्र की बुनियाद पर बने मजबूत संबंध सदियों तक टिके रहते हैं। सीरिया के लोग भारतीयों का काफी सम्मान करते हैं और मैं भी जहां जाता हूं वहां भारत के लोग भी हमारा सम्मान करते हैं।”
इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा संघ (UNSC) में भारत को स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत का जो मानवीय योगदान है, हम उसकी सराहना करते हैं।
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देखा जाए तो सीरिया को बर्बाद करने में अमेरिका की भूमिका रही है। कट्टरपंथ को बढ़ावा देना फिर उसे खत्म करने का दिखावा करके सीरिया में अमेरिका ने तबाही मचानी शुरू की। वहीं उस दौरान सीरिया की मदद रूस ने की और सभी तरह के कपटों की काट करते हुए सैन्य सहायता से सीरिया में शान्ति स्थापित करने के लिए काम शुरू किया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बशर अल-असद के साथ खड़े रहे और उन्होंने अमेरिका की रणनीति चलने नहीं दी। एक तरफ जहां रूस ने सीरिया को सैन्य सहायता की तो दूसरी ओर रूस के पक्के दोस्त ने भारत में वहां मानवीय संवेदना का उदाहरण पेश किया। सटीक शब्दों में तो जिस सीरिया को अमेरिका ने बर्बाद किया अब रूस और भारत की (India Syria assistance) जोड़ी मिलकर उसके पुनर्निर्माण और शांति स्थापित करने में जुटी है।
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