अरे राहुल गांधी! जय सियाराम और जय श्रीराम का अर्थ एक ही है, थोड़ा हिंदुत्व को पढ़ लो ना भाई

राहुल गांधी यदि सही में राजनैतिक रूप से सफल होना चाहते हैं तो उन्हें सबसे पहले सनातन संस्कृति के मूल बिंदुओं का ज्ञान अर्जित करना होगा।

Every Indian ought to know a little Sanskrit to comment about Sanatana. Case in point "Raga"

SOURCE TFI

हमारे बड़े बुजुर्ग बता गए हैं कि जिस बात का ज्ञान न हो उस पर मुंह तनिक भी नहीं खोलना चाहिए अन्यथा अपयश का भागी बनना पड़ता है। इस महत्वपूर्ण बात को यदि सबसे अधिक किसी को समझना चाहिए तो वो है कांग्रेस पार्टी। विदेशी मूल की मां जब अपने बेटे को देश की राजनीति में जबरन धकेल देगी और उसे राजनैतिक विरासत संभालने को दे देगी तो स्वाभाविक है कि कुछ ऊटपटांग ही होगा। जब मां को ही भारतीय संस्कृति और विरासत का ज्ञान नहीं है तो बच्चे से तो ऐसी कोई अपेक्षा की ही नहीं जा सकती है। मां-बेटे की यह जोड़ी है सोनिया गांधी और राहुल गांधी की।

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कांग्रेस के हिस्से बस रॉकेट का धुआं

हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसे जानने के लिए पहले पूरा मामला जानना होगा। कांग्रेस ने हमेशा ही भगवान श्री राम, श्रीकृष्ण, माता लक्ष्मी मां सीता को अपमानित करने के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया है। अब जो उनके साथ के बड़ें बुजुर्गों ने किया है वही तो राहुल गांधी भी कर रहे हैं। राहुल भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से अपनी जमीन तलाश रहे हैं, वे बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी हमलावर हैं जो कि पूरी तरह स्वाभाविक है लेकिन सनातानियों की आस्था को राहुल कुछ ऐसे चोट पहुंचा रहे हैं कि उनकी राजनीति में री-लॉन्चिंग वाले रॉकेट का फ्यूज कंडक्टर सनातनी लोग ही निकाल देंगे और कांग्रेस के हिस्से बस रॉकेट का धुआं ही आएगा।

दरअसल, हाल ही में अपनी भारत जोड़ो यात्रा के कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश के आगरा पहुंचे राहुल गांधी ने आरएसएस बीजेपी पर हमला बोला है। उन्होंने RSS को महिला विरोधी सोच वाला बताया है और सनातनियों के भगवान श्रीराम के ‘जय श्रीराम’ नारे की व्याख्या कर डाली।

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राहुल गांधी का आधा अधूरा ज्ञान

उन्होंने कहा, ‘जयश्री राम, इसमें हम राम भगवान की जय कहते हैं। एक पंडित जी ने मुझसे कहा कि आप अपनी स्पीच में पूछिए कि बीजेपी के लोग जय श्रीराम करते हैं, लेकिन जय सियाराम और हे राम क्यों नहीं करते।”

राहुल ने कहा, “आरएसएस और बीजेपी के लोग जिस भावना से भगवान राम ने अपनी जिंदगी जी, उस भावना से जिंदगी नहीं जीते हैं। राम ने किसी के साथ अन्याय नहीं किया। राम ने समाज को जोड़ने का काम किया। राम ने सबको इज्जत दी। आरएसएस और बीजेपी के लोग भगवान राम के जीने के तरीके को नहीं अपनाते। वो सियाराम और सीताराम कर ही नहीं सकते, क्योंकि उनके संगठन में एक महिला नहीं है, तो वो जयसिया राम का संगठन ही नहीं है, उनके संगठन में सीता तो आ ही नहीं सकती, सीता को तो बाहर कर दिया। ये बातें मुझे एक पंडित जी ने सड़क पर कही।”

राहुल गांधी ने यह दिखाने का पूरा प्रयास किया कि कि बीजेपी आरएसएस महिला विरोधी हैं इसीलिए भगवान राम के जयघोष में माता सीता का कोई उल्लेख नहीं होता है लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि राहुल को आधारभूत ज्ञान ही नहीं है। अब यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जैसे ‘जय सियाराम’ सही नारा है और उसमें माता सीता का उल्लेख है ठीक उसी तरह माता सीता का उल्लेख ‘जय श्री राम’ वाले नारे में भी है। अब यह कैसे, तो चलिए बताते हैं।

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जय श्री रामका जयघोष

आप यदि वेद और शास्त्र से तनिक भी परिचित हैं तो निश्चित ही सभी ने संस्कृत का मूल ज्ञान तो पाया ही होगा। संस्कृत में श्री का अर्थ माता लक्ष्मी से होता है, अब यह भी अहम है कि माता सीता भी माता श्री अर्थात लक्ष्मी का अवतार थीं। ऐसे में जिस भक्त ने भी ‘जय श्री राम’ का जयघोष किया, उसने मूल रूप से माता सीता को भी स्मरण कर लिया। यह एक बहुत ही साधारण सी बात है लेकिन राहुल गांधी जैसे जड़मति व्यक्ति को इन सब बातों का लेश मात्र भी ज्ञान नहीं है।

राहुल गांधी महिला विरोधी बातों का उल्लेख करते हैं लेकिन यदि वे सही में राजनीतिक रूप से कुछ सफलता पाना चाहते हैं तो उनको सबसे पहले सनातन संस्कृति के मूल बिंदुओं का ज्ञान अर्जित करना होगा अन्यथा वे ऐसे ही शर्मसार होते रहेंगे। ऐसा ही चलता रहा तो राहुल गांधी को लेकर तो सनातन धर्म के लोगों के मन में बस एक ही बात आती होगी कि वे पहले हिंदू संस्कृति का अपना बेसिक कॉन्सेप्ट तो क्लियर कर लें, पहले संस्कृत का ज्ञान तो अर्जित कर लें, तब जाकर सनातन संबंधी कोई भी बयानबाजी करें, अन्यथा उनके लिए अपना मुंह बंद रखना ही सबसे सही होगा।

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